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वी रामसुब्रमण्यम कौन हैं, जिन्हें बनाया गया भारतीय राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का प्रमुख ?

Who Is V Ramasubramanian: वी रामसुब्रमण्यम को भारतीय राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) का नया अध्यक्ष बनाया गया है. पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई हाईलेवल कमेटी की बैठक में यह फैसला लिया गया है. यह बैठक 18 दिसंबर को हुई थी, जिसमें राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे भी शामिल हुए थे. आइए, रामसुब्रमण्यम के बारे में जानते हैं...

वी रामसुब्रमण्यम कौन हैं, जिन्हें बनाया गया भारतीय राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का प्रमुख ?
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( Image Source:  X )

V Ramasubramanian: सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज वी रामसुब्रमण्यम को सोमवार को भारतीय राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया. वे NHRC के 9वें अध्यक्ष हैं. यह पद पूर्व न्यायाधीश जस्टिस अरुण कुमार मिश्रा के रिटायरमेंट के बाद 1 जून से खाली था.

NHRC के अगले अध्यक्ष के चुनाव लिए 18 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में एक हाईलेवल कमेटी की बैठक हुई थी. इसमें कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष व राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी शामिल हुए.

कौन हैं वी रामसुब्रमण्यम?

वी सुब्रमण्यम सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज हैं. उनका जन्म 30 जून 1958 को हुआ. उन्होंने चेन्नई के रामकृष्ण मिशन, विवेकानंद कॉलेज से केमिस्ट्री में ग्रेजुएशन किया. उसके बाद मद्रास लॉ कॉलेज से लॉ की पढ़ाई की. 16 फरवरी 1983 को बार के सदस्य के रूप में उनका रजिस्ट्रेशन हुआ. उन्होंने मद्रास हाईकोर्ट में करीब 23 वर्षों तक प्रैक्टिस की. 31 जुलाई 2006 को उन्हें मद्रास हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया. 9 नवंबर 2009 को उन्हें स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया.

जस्टिस सुब्रमण्यम ने 22 जुलाई 2019 से लेकर 22 सितंबर 2019 तक हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में भी काम किया. उन्हें 2016 में तेलंगाना और आंध्र प्रदेश राज्यों के लिए हैदराबाद स्थित हाईकोर्ट में उनके स्वयं के अनुरोध पर स्थानांतरित कर दिया गया. सुब्रमण्यम को 2019 में तेलंगाना हाईकोर्ट के जज के रूप में बरकरार रखा गया.

स्काइप पर सुनवाई करने वाले पहले जज

जस्टिस सुब्रमण्यम स्काइप पर सुनवाई करने वाले पहले जज हैं. उन्होंने अनाथालय के 89 कैदियों से संबंधित मामले की सुनवाई के लिए स्काइप का इस्तेमाल किया था. उनकी पीठ ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए भी वकालत की और कहा कि दुनिया भर के रुझानों के अनुरूप मान हानि की कार्यवाही को अपराध से मुक्त किया जाना चाहिए.

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