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राणा सांगा को 'गद्दार' कहने वाले कौन हैं सपा सांसद लाल जी सुमन, अखिलेश के कितने करीब?

राज्यसभा में बोलते हुए रामजी लाल सुमन ने कहा कि बाबर को भारत लाने वाला राणा सांगा था, लेकिन उसकी कभी आलोचना नहीं की जाती. उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि जब बाबर की आलोचना हो सकती है, तो राणा सांगा की क्यों नहीं? उनके इस बयान के बाद सदन में हंगामा मच गया.

राणा सांगा को गद्दार कहने वाले कौन हैं सपा सांसद लाल जी सुमन, अखिलेश के कितने करीब?
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सागर द्विवेदी
Edited By: सागर द्विवेदी

Updated on: 23 March 2025 12:31 AM IST

समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन एक बार फिर चर्चा में हैं. उन्होंने हाल ही में राज्यसभा में गृह मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा के दौरान राणा सांगा को गद्दार करार देकर राजनीतिक हलकों में बवाल खड़ा कर दिया. उनके इस बयान के बाद भाजपा सांसदों ने कड़ा विरोध जताया और इसे हिंदू वीरों का अपमान बताया.

राज्यसभा में बोलते हुए रामजी लाल सुमन ने कहा कि बाबर को भारत लाने वाला राणा सांगा था, लेकिन उसकी कभी आलोचना नहीं की जाती. उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि जब बाबर की आलोचना हो सकती है, तो राणा सांगा की क्यों नहीं? उनके इस बयान के बाद सदन में हंगामा मच गया.

भाजपा का कड़ा विरोध, सदन में हंगामा

रामजी लाल सुमन के इस बयान पर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया दी. भाजपा सांसदों ने इसे हिंदू वीरों का अपमान करार देते हुए माफी की मांग की. सदन में जबरदस्त हंगामे के बाद राज्यसभा के उपसभापति ने सपा सांसद को मर्यादा बनाए रखने की सलाह दी और शांत होने को कहा.

रामजी लाल सुमन कौन हैं?

रामजी लाल सुमन उत्तर प्रदेश की दलित राजनीति के बड़े चेहरे के रूप में पहचाने जाते हैं. वे 1977 में पहली बार सांसद बने थे और कई बार लोकसभा और राज्यसभा का हिस्सा रहे हैं. समाजवादी विचारधारा से जुड़े सुमन सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के विश्वसनीय नेताओं में गिने जाते हैं.

रामजी लाल सुमन का जन्म और शिक्षा

जन्म: 25 जुलाई 1950

जन्मस्थान: बहदोई गांव, हाथरस, उत्तर प्रदेश

शिक्षा: प्रारंभिक शिक्षा गांव में पूरी करने के बाद आगरा कॉलेज से उच्च शिक्षा प्राप्त की.

छात्र राजनीति: कॉलेज के दिनों में ही छात्र राजनीति में सक्रिय हुए और समाजवादी आंदोलन से जुड़ गए.

राजनीतिक सफर

आपातकाल (1975-77): इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के दौरान उन्हें जेल जाना पड़ा.

1977: जनता पार्टी के टिकट पर फिरोजाबाद लोकसभा सीट से पहली बार सांसद चुने गए.

1989: जनता दल के टिकट पर फिरोजाबाद से दोबारा सांसद बने.

1991: चंद्रशेखर सरकार में श्रम कल्याण, महिला और बाल विकास राज्य मंत्री बनाए गए.

1993: समाजवादी पार्टी के गठन के बाद वे मुलायम सिंह यादव के करीबी नेताओं में शामिल हो गए.

1999 और 2004: समाजवादी पार्टी के टिकट पर फिरोजाबाद लोकसभा सीट से सांसद बने.

2024: अखिलेश यादव ने उन्हें राज्यसभा भेजा.

दलित राजनीति में मजबूत पकड़

रामजी लाल सुमन समाजवादी पार्टी के दलित चेहरों में से एक माने जाते हैं. उन्हें अखिलेश यादव की पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक (PDA) राजनीति का एक प्रमुख चेहरा माना जाता है. यही वजह है कि उन्हें पार्टी में अहम पदों पर जगह मिलती रही है.

राणा सांगा कौन थे और उनका इतिहास क्या कहता है?

राणा सांगा (1482-1528) मेवाड़ के महान योद्धा और राजा थे. उनका असली नाम महाराणा संग्राम सिंह था. वे राजपूत वीरता और स्वाभिमान के प्रतीक माने जाते हैं. राणा सांगा ने दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी के खिलाफ कई युद्ध लड़े थे. 1526 में पानीपत की पहली लड़ाई में बाबर ने इब्राहिम लोदी को हराया. ऐसा कहा जाता है कि राणा सांगा ने शुरू में बाबर को आमंत्रित किया था ताकि वे लोदी को हरा सकें.

बाद में, राणा सांगा को एहसास हुआ कि बाबर भारत में लंबे समय तक राज करने के इरादे से आया है.1527 में खानवा के युद्ध में राणा सांगा ने बाबर से मुकाबला किया लेकिन हार गए. कहा जाता है कि इस हार के बाद राणा सांगा को उनके ही लोगों ने जहर दे दिया और उनकी मौत हो गई.

क्या राणा सांगा को गद्दार कहा जा सकता है?

इतिहासकारों के अनुसार, राणा सांगा ने बाबर को आमंत्रित किया था, लेकिन यह उनकी कूटनीति का हिस्सा था. उन्होंने बाबर को भारत से बाहर खदेड़ने की पूरी कोशिश की थी, लेकिन दुर्भाग्यवश सफल नहीं हो सके. इसलिए उन्हें गद्दार कहना उचित नहीं है.

अखिलेश यादव के कितने करीब हैं रामजी लाल सुमन?

रामजी लाल सुमन समाजवादी पार्टी में मुलायम सिंह यादव के करीबी रहे हैं और अब अखिलेश यादव के भरोसेमंद नेता माने जाते हैं. अखिलेश यादव ने उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाया. 2024 में राज्यसभा भेजकर उनकी राजनीतिक हैसियत को और मजबूत किया. सपा की दलित राजनीति को धार देने के लिए उन्हें अहम भूमिका दी गई.

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