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कौन हैं रीता कौशिक, जो अतुल सुभाष सुसाइड केस के बाद सोशल मीडिया पर कर रहीं ट्रेंड?

Atul Subhash Suicide Case: बेंगलुरु के 34 वर्षीय इंजीनियर अतुल सुभाष की दुखद आत्महत्या ने पुरुषों के अधिकारों और मानसिक स्वास्थ्य पर देश भर में चर्चा को बढ़ावा दिया है. पुलिस ने उनकी पत्नी और उसके रिश्तेदारों के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया है.

कौन हैं रीता कौशिक, जो अतुल सुभाष सुसाइड केस के बाद सोशल मीडिया पर कर रहीं ट्रेंड?
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Atul Subhash Suicide Case
सचिन सिंह
Edited By: सचिन सिंह

Updated on: 11 Dec 2024 3:53 PM IST

Atul Subhash Suicide Case: बेंगलुरु के 34 वर्षीय इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या ने पूरे देश में एक नया बवाल खड़ा कर दिया है. इसने इस बात से पर्दा उठाया है कि पुरुष भी प्रताड़ित किए जा सकते हैं. इस केस के साथ एक और नाम है जो इंटरनेट पर चर्चा में शामिल है और वो हैं जज रीता कौशिक.

दरअसल, सुभाष ने उत्तर प्रदेश के जौनपुर में एक फैमिली कोर्ट की जज रीता कौशिक रिश्वत लेने और अपनी पत्नी के प्रति पक्षपात करने का भी आरोप लगाया है. सुभाष के मुताबिक फैमिली कोर्ट में सुनवाई के दौरान जब उनकी पत्नी ने 1 करोड़ के समझौते को 3 करोड़ सेटलमेंट की बात की तो उन्होंने इस पर सवाल खड़े किए. इस पर जज ने कहा, 'तो क्या हुआ? वह आपकी पत्नी है और यह आम बात है.' उन्होंने जज पर मामले को निपटाने के लिए 5 लाख रुपये की रिश्वत मांगने का भी आरोप लगाया.

कौन हैं रीता कौशिक?

रीता कैशिक फिलहाल जौनपुर प्रिंसिपल फैमिली कोर्ट की जज के रूप में कार्यरत हैं. उनका जन्म 1 जुलाई 1968 को मुजफ्फरनगर में हुआ था. 2000 से 2002 तक रीता मथुरा में अतिरिक्त सिविल जज के रूप में कार्यरत रहीं और उसके बाद वहीं सिविल जज बनीं. 2003 में उन्हें जूनियर सिविल जज के रूप में अमरोहा ट्रांसफर कर दिया गया. इसके अलावा 2003 से 2004 तक उन्होंने लखनऊ में विशेष CJM के रूप में कार्य किया. 2022 में उन्हें जौनपुर ट्रांसफर कर दिया गया.

सोशल मीडिया पर मचा बवाल

एक यूजर ने आवाज उठाते हुए अपने हैंडल पर लिखा- 2 महिलाएं एक भ्रष्ट व्यवस्था और एक बर्बाद जिंदगी.. वे सिर्फ़ भ्रष्ट नहीं हैं. हत्यारे हैं, झूठ बोलते हैं और सत्ता का दुरुपयोग करते हैं, लेकिन अतुल सुभाष के खून के लिए उन्हें कौन जवाबदेह ठहराएगा?

वहीं एक दूसरे यूजर ने लिखा- देशभर में रेप के मामले सारी दुनिया पर एक तरफ से लागू होते हैं. एक मर्द की इस दुर्गति पर कोई रोने वाला नहीं है. दुनिया के मर्दों को झकझोर देने वाली इस केस ने साबित कर दिया है कि भारत में अब पैसे से ही न्याय होगा, लैंगिक समानता नाम पर.

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