'महिला के ब्रेस्ट को छूना रेप नहीं...', कहने वाले जस्टिस अरिजीत बनर्जी और बिस्वरूप चौधरी के बारे में जान लीजिए
कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस अरिजीत बनर्जी और जस्टिस बिस्वरूप चौधरी ने हाल ही में एक विवादास्पद टिप्पणी की, जिसमें उन्होंने कहा कि महिला के ब्रेस्ट को छूने के प्रयास को 'गंभीर यौन उत्पीड़न' माना जाएगा, लेकिन रेप का प्रयास नहीं. इससे पहले, इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा ने भी ऐसी ही टिप्पणी की थी. आइए, जस्टिस अरिजीत बनर्जी और जस्टिस बिस्वरूप चौधरी के बारे में विस्तार से जानते हैं...

Justice Arijit Banerjee Justice Biswaroop Chowdhury: कलकत्ता हाईकोर्ट के जज जस्टिस अरिजीत बनर्जी और जस्टिस बिस्वरूप चौधरी की पीठ ने एक विवादित फैसला सुनाया है. उन्होंने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि किसी महिला के ब्रेस्ट को छूने का प्रयास POCSO अधिनियम के तहत 'गंभीर यौन उत्पीड़न' की श्रेणी में आता है, लेकिन यह 'रेप का प्रयास' नहीं माना जाएगा. इससे पहले, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी हाल ही में ऐसी विवादित टिप्पणी की थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट को दखल देना पड़ गया था.
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा ने 19 मार्च को दिए अपने एक फैसले में कहा था कि नाबालिग के स्तन को पकड़ना, पायजामे का नाड़ा तोड़ना और उसे घसीटकर पुलिया के नीचे ले जाने की कोशिश करना रेप नहीं है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने दखल देते हुए 26 मार्च को कहा कि हम इस फैसले पर रोक लगाते हैं. हमें यह दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि इस फैसले को लिखने वाले जज में संवेदनशीलता की बेहद कमी थी.
जस्टिस अरिजीत बनर्जी के बारे में जरूरी बातें
- जस्टिस अरिजीत बनर्जी का जन्म 7 मार्च 1967 को हुआ. उन्होंने बीएससी और एमए किया हुआ है. इसके साथ ही, उन्होंने कानून की भी पढ़ाई की है.
- जस्टिस बनर्जी 30 मई 1991 को वकील के रूप में नामांकित हुए और 22 साल तक मुख्यतः कलकत्ता हाईकोर्ट में प्रैक्टिस की.
- कंपनी, वाणिज्यिक, संपत्ति, मध्यस्थता, नौवहन और शिपिंग, श्रम, सेवा और परिवार कानूनों के साथ-साथ संवैधानिक मामलों में भी वकालत की, लेकिन कंपनी, संपत्ति, मध्यस्थता, नौवहन और शिपिंग और श्रम कानूनों में विशेषज्ञता हासिल की
- वे 30 अक्टूबर 2013 को कलकत्ता हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए और 14 मार्च 2016 को स्थायी न्यायाधीश बने.
जस्टिस बिस्वरूप चौधरी के बारे में जरूरी बातें
- जस्टिस बिस्वरूप चौधरी का जन्म 29 सितंबर 1965 को हुआ. उनके पिता का नाम धीरेंद्र नाथ चौधरी और माता का नाम ईरा चौधरी है. उनकी पत्नी का नाम मनीषा चौधरी है. उन्होंने बी.कॉम और एलएलबी किया हुआ है.
- 25 जनवरी 1995 को वे पश्चिम बंगाल बार काउंसिल में वकील के रूप में नामांकित हुए.
- उन्होंने कलकत्ता हाईकोर्ट में विभिन्न विधिक क्षेत्रों में लगभग 14 वर्षों तक प्रैक्टिस की, जिसमें सिविल, वाणिज्यिक, कंपनी, संपत्ति, मध्यस्थता और संवैधानिक मामले शामिल हैं.
- 29 अक्टूबर 2009 को पश्चिम बंगाल न्यायिक सेवा में जिला न्यायाधीश (प्रवेश स्तर) के रूप में शामिल हुए. उन्होंने मालदा, हावड़ा, बीरभूम, पूर्व मेदिनीपुर और पूर्व बर्दवान जिलों में जिला एवं सत्र न्यायाधीश के रूप में कार्य किया. इसके अलावा, उन्होंने कोलकाता सिटी सेशंस कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में भी सेवा दी.
- जस्टिस चौधरी ने पश्चिम बंगाल सरकार के विधि विभाग और न्याय विभाग में प्रधान सचिव के रूप में कार्य किया. साथ ही, लीगल रिमेम्ब्रांसर (Legal Remembrancer) का पद भी संभाला.
- 31 अगस्त 2022 को कलकत्ता हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए और उसी दिन शपथ ली. इसके बाद उन्हें 31 अगस्त, 2024 से एक वर्ष की नई अवधि के लिए फिर से अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया.