महाराष्ट्र में महायुति की 'महापावर' के पीछे RSS नेता अतुल लिमये की निति! बताया जा रहा जीत का इंजीनियर, जानें कौन?
महाराष्ट्र में महायुति की जीत के पीछे एक नाम की चर्चा सबसे तेज है. वह नाम और किसी का नहीं अतुल लिमये का है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संयुक्त महासचिव अतुल लिमये ने अपनी कुशल रणनीति और विचारधारा आधारित नेतृत्व से इस चुनावी नींव रखी.

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का पूरा हो चुका है. महायुति ने शानदार प्रदर्शन दिखाते हुए इस चुनाव बंपर जीत हासिल की. इसके बाद अब राज्य में सीएम पद को लेकर खलबली मची हुई है. इसी के साथ महाराष्ट्र में जीत को लेकर कई योजनाओं के कारण जीत के दावे किए जा रहे हैं. जैसे 'लाडकी बहिन योजना' तो कहीं कुछ. इसी कड़ी में महायुति गठबंधन की जीत के पीछे अतुल लिमये का नाम बार-बार सामने आ रहा है. जिन्हें 'जीत का इंजीनियर कहा जा रहा है. तो आइए इस खबर में विस्तार से जानते हैं.
अतुल लिमिये ने अपनी रणनीति से एनडीए को सत्ता-विरोधी भावना से निपटने में मदद करने में प्रमुख भूमिका निभाई है.
कौन हैं अतुल लिमये?
लगभग तीन दशक पहले अतुल लिमये ने एक इंटरनेशनल कंपनी को छोड़कर RSS में शामिल हो गए और पूर्णकालिक प्रचारक बन गए थे. शुरुआत में उन्होंने रायगढ़ और कोंकण जैसे पश्चिमी क्षेत्रों में काम किया. इसके बाद वह मराठवाड़ा और उत्तर महाराष्ट्र क्षेत्रों को शामिल करते हुए देवगिरि प्रांत के सह प्रांत प्रचारक बन गए.
साल 2014 में जिस समय बीजेपी ने सत्ता में वापसी की थी. उस दौरान लिमये ने महाराष्ट्र, गुजरात, पश्चिमी महाराष्ट्र क्षेत्र के प्रभारी का कार्य भी संभाला था. प्रांत प्रचारक के रूप में लिमये ने अपने कार्यकाल में कृषि अर्थव्यवस्था और क्षेत्र की सामाजिक-राजनीतिक जैसे मुद्दों को समझने और इन मुद्दों पर काम किया था.
महाराष्ट्र में बीजेपी और विपक्ष की कमजोरी को ऐसे समझा
वेस्टर्न क्षेत्र के चीफ रहते हुए उन्होंने महाराष्ट्र की राजनीति को अच्छे से समझा और अनुभव हुआ कि आखिर विपक्ष समेत भाजपा नेताओं की ताकत और कमजोरियों में क्या कमियां शामिल थी. इन सब के बाद लिमये ने कई रिसर्च टीम,शिक्षा ग्रुप बनाए. उन्होंने मुस्लिम और ईसाई समुदायों की जनसांख्यिकी से लेकर सरकारी नीतियों के निर्माण तक विभिन्न मुद्दों पर काम किया था.
कैसे की महाराष्ट्र चुनाव में मदद?
अतुल लिमये ने इस साल की शुरुआत में लोकसभा चुनावी माहौल के दौरान जब RSS भाजपा ने भाजपा को समर्थन न देने की भूमिका निभाने का फैसला किया था. इस पर उन्होंने ज्वाइंट सेक्रेटरी के तौर पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता नितिन गडकरी, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फणडवीस और दिल्ली समेत संघ से जुड़े व्यक्तियों को एक साथ लाने का कार्य किया.