उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद अब आगे क्या? जानें हर सवाल का जवाब
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे से संवैधानिक स्थिति बनी है. वह तीसरे उपराष्ट्रपति हैं जिन्होंने कार्यकाल पूरा होने से पहले पद छोड़ा. संविधान में कार्यवाहक उपराष्ट्रपति का प्रावधान नहीं है, इसलिए राज्यसभा की कार्यवाही डिप्टी चेयरमैन हरिवंश संभालेंगे. चुनाव आयोग जल्द चुनाव की तारीख घोषित करेगा. नए उपराष्ट्रपति को पूरा पांच साल का कार्यकाल मिलेगा और उनका चुनाव केवल सांसदों द्वारा गुप्त मतदान से होगा.

भारत के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद पर एक अभूतपूर्व स्थिति बनी है. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार देर रात अचानक इस्तीफा देकर सभी को चौंका दिया. वह देश के तीसरे उपराष्ट्रपति हैं जिन्होंने कार्यकाल पूरा होने से पहले पद छोड़ा है. इससे पहले वी.वी. गिरी और आर. वेंकटरमण ने राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा दिया था. उपराष्ट्रपति का पद केवल एक औपचारिक भूमिका नहीं है, बल्कि राज्यसभा के सभापति के तौर पर भी उनकी जिम्मेदारी अहम मानी जाती है.
ऐसे में सवाल उठता है कि धनखड़ के इस्तीफे के बाद राज्यसभा की कार्यवाही कौन देखेगा और नए उपराष्ट्रपति का चुनाव कब होगा. संविधान में कार्यवाहक उपराष्ट्रपति का कोई प्रावधान नहीं है, इसलिए यह जिम्मेदारी डिप्टी चेयरमैन हरिवंश नारायण सिंह संभालेंगे. अब चुनाव आयोग इस पद को भरने के लिए प्रक्रिया शुरू करेगा. दिलचस्प बात यह है कि उपराष्ट्रपति के चुनाव में केवल लोकसभा और राज्यसभा के सांसद ही वोट डालते हैं, राज्य विधानसभाएं इसमें शामिल नहीं होतीं. नए उपराष्ट्रपति को पूर्ण पांच साल का कार्यकाल मिलेगा. इस पूरे घटनाक्रम ने राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है और सबकी निगाहें अब चुनाव आयोग की घोषणा पर टिकी हैं.
आइए जानते हैं, इस इस्तीफे के बाद अब क्या होगा.
नए उपराष्ट्रपति का चुनाव कब होगा?
राष्ट्रपति के लिए छह महीने के भीतर चुनाव कराना अनिवार्य है, लेकिन उपराष्ट्रपति के मामले में कोई तय समयसीमा नहीं है. नियम यह कहता है कि चुनाव जितनी जल्दी संभव हो, कराया जाना चाहिए. इसकी तारीख चुनाव आयोग तय करेगा. यह चुनाव राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव अधिनियम, 1952 के तहत होता है. आमतौर पर संसद के किसी एक सदन के महासचिव को रिटर्निंग ऑफिसर नियुक्त किया जाता है.
उम्मीदवार के लिए क्या योग्यता होनी चाहिए?
उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार भारत का नागरिक होना चाहिए, उसकी न्यूनतम उम्र 35 साल होनी चाहिए और वह राज्यसभा का सदस्य बनने की योग्यता रखता हो. उम्मीदवार को किसी संसदीय क्षेत्र का पंजीकृत मतदाता होना चाहिए और केंद्र या राज्य सरकार के अधीन किसी लाभ के पद पर नहीं होना चाहिए. हालांकि, राष्ट्रपति, राज्यपाल और मंत्री के पद पर रहते हुए चुनाव लड़ने की अनुमति है.
चुनाव प्रक्रिया क्या है?
उपराष्ट्रपति का चुनाव लोकसभा और राज्यसभा के सभी सांसदों द्वारा किया जाता है, जिसमें नामांकित सदस्य भी शामिल होते हैं. इसमें राज्य विधानसभाएं हिस्सा नहीं लेतीं. मतदान गुप्त बैलेट के जरिए संसद भवन में होता है और प्रोपोर्शनल रिप्रेजेंटेशन सिस्टम के तहत सिंगल ट्रांसफरेबल वोट पद्धति अपनाई जाती है. सांसद उम्मीदवारों को प्राथमिकता के आधार पर रैंक देते हैं. जीतने के लिए उम्मीदवार कोटा हासिल करना होता है, जो कुल वैध वोटों के आधे से एक ज्यादा होता है. अगर कोई उम्मीदवार पहले राउंड में कोटा हासिल नहीं करता तो सबसे कम वोट पाने वाला उम्मीदवार बाहर हो जाता है और उसके वोट दूसरी प्राथमिकता के आधार पर ट्रांसफर होते हैं. यह प्रक्रिया तब तक जारी रहती है जब तक कोई उम्मीदवार कोटा पार न कर ले.
नए उपराष्ट्रपति का कार्यकाल कितना होगा?
नए चुने गए उपराष्ट्रपति को पूरा पांच साल का कार्यकाल मिलेगा. यह केवल पूर्व उपराष्ट्रपति के बचे हुए कार्यकाल के लिए नहीं होगा.
अभी उपराष्ट्रपति की जिम्मेदारी कौन निभाएगा?
संविधान में कार्यवाहक उपराष्ट्रपति का प्रावधान नहीं है. चूंकि उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति होते हैं, इसलिए उनकी अनुपस्थिति में राज्यसभा की कार्यवाही डिप्टी चेयरमैन संभालते हैं. फिलहाल यह जिम्मेदारी हरिवंश नारायण सिंह के पास होगी.