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बिहार में चुनाव से पहले वोटर लिस्ट का बवाल क्या? ओवैसी ने EC से मांगा इन सवालों के जवाब- Video

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बिहार में चल रही 'स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन' (SIR) प्रक्रिया को लेकर चुनाव आयोग (ECI) पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने इस प्रक्रिया को असंवैधानिक, जल्दबाजी में किया गया और गरीब भारतीय नागरिकों को मताधिकार से वंचित करने वाला कदम करार दिया है.

बिहार में चुनाव से पहले वोटर लिस्ट का बवाल क्या? ओवैसी ने EC से मांगा इन सवालों के जवाब- Video
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सागर द्विवेदी
By: सागर द्विवेदी

Updated on: 29 Jun 2025 12:12 AM IST

बिहार में इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग द्वारा वोटर लिस्ट में "स्पेशल इंटेन्सिव रिविज़न" (SIR) की घोषणा ने सियासी बवाल खड़ा कर दिया है. आयोग का कहना है कि 2003 के बाद पहली बार घर-घर जाकर मतदाताओं की जांच की जाएगी और दस्तावेज़ के आधार पर नाम जोड़े या हटाए जाएंगे. लेकिन विपक्षी दलों को आशंका है कि यह कवायद गरीब और सीमांचल जैसे बाढ़ प्रभावित इलाकों के वास्तविक वोटरों को सूची से बाहर करने की कोशिश है. AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इसे गरीबों के मतदान अधिकार का हनन बताया है.

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बिहार में चल रही 'स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन' (SIR) प्रक्रिया को लेकर चुनाव आयोग (ECI) पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने इस प्रक्रिया को असंवैधानिक, जल्दबाजी में किया गया और गरीब भारतीय नागरिकों को मताधिकार से वंचित करने वाला कदम करार दिया है. ओवैसी ने यह भी दावा किया कि यह पूरी कवायद संघ नागरिकता कानून के एजेंडे से जुड़ी है और इसके पीछे एक बड़ी राजनीतिक साजिश छिपी हो सकती है.

ओवैसी का चुनाव आयोग से 6 बड़ा सवाल

  • एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ओवैसी ने कहा, 'हमने ECI को लिखित में ज्ञापन दिया है और उनसे इन मुद्दों पर स्पष्ट जवाब मांगा है.
  • 2024 लोकसभा चुनाव में जो वोटर लिस्ट इस्तेमाल हुई, क्या उसमें विदेशी घुसपैठिए थे?
  • बिहार में विशेष पुनरीक्षण (Special Summary Revision) पहले ही 29 अक्टूबर 2024 से 6 जनवरी 2025 के बीच किया जा चुका है. अब दोबारा इतने जल्दबाजी में क्यों?
  • पिछली बार जब SIR हुआ था, तब संसद चुनाव में 1 साल और विधानसभा चुनाव में 2 साल बाकी थे. अब चुनाव से महज 1 महीने पहले SIR कैसे संभव है?
  • BLO (बूथ लेवल ऑफिसर) को बिना प्रशिक्षण दिए इतनी बड़ी प्रक्रिया सौंप दी गई, जबकि राज्य में 7.90 करोड़ वोटर हैं.
  • BLO को संदिग्ध नागरिकों को Citizenship Act 1955 के तहत रिपोर्ट करने की 'अनियंत्रित शक्ति' दी गई है, इससे आम लोगों के वोटिंग अधिकार और रोजगार पर असर पड़ेगा.
  • 1 जुलाई 1987 से पहले जन्मे वोटरों को जन्म प्रमाण पत्र दिखाने को कहा गया है, लेकिन इतनी पुरानी तारीख का क्या आधार है?
  • ‘क्या 2024 के चुनाव में विदेशी नागरिकों ने वोट दिया?’

ओवैसी ने चेताया, “जब BLO को यह अधिकार दे दिया गया है कि वे संदिग्ध नागरिकों को नागरिकता अधिनियम के तहत रिपोर्ट कर सकते हैं, तो क्या इसका मतलब यह है कि 2024 के आम चुनावों में अवैध नागरिकों ने मतदान किया? अगर हां, तो फिर 2024 के नतीजों पर भी सवाल उठेंगे.”

'गरीबी और बाढ़ मताधिकार का आधार नहीं हो सकती'

ओवैसी ने बिहार के सीमांचल इलाके की खराब बुनियादी स्थिति का हवाला देते हुए कहा कि वहां हर साल बाढ़ के कारण लाखों लोग बेघर हो जाते हैं, दस्तावेज़ खो जाते हैं और हजारों एकड़ भूमि पानी में डूब जाती है. उन्होंने पूछा, “क्या ECI को अंदाजा है कि इन लोगों के पास कितने डॉक्युमेंट्स हैं? क्या कोई सिर्फ इसलिए वोट नहीं डाल पाएगा क्योंकि वो गरीब है या उसका घर बाढ़ में बह गया?”

'हम NDA को रोकना चाहते हैं, लेकिन...'

ओवैसी ने बिहार में महागठबंधन से जुड़े नेताओं के साथ बातचीत की बात स्वीकारते हुए कहा, 'हमारे राज्य अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने कई नेताओं से बात की है और साफ कहा है कि हम NDA को वापस सत्ता में नहीं आने देना चाहते. लेकिन अब यह बाकी दलों पर निर्भर करता है कि वो इस दिशा में क्या करते हैं.उन्होंने यह भी कहा कि AIMIM सीमांचल के अलावा राज्य के अन्य हिस्सों में भी चुनाव लड़ेगी. उन्होंने जोड़ा, “अगर महागठबंधन साथ नहीं आता, तो मैं तैयार हूं...जहां जरूरत होगी, वहां लड़ूंगा.

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