घर में ही बना रहे थे पटाखा, सिलेंडर में लगी आग से हुआ ब्लास्ट; अब तक 7 लोगों की मौत
पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले में एक अवैध पटाखा फैक्ट्री में हुए भीषण विस्फोट में सात लोगों की मौत हो गई, जिनमें तीन बच्चे भी शामिल हैं. हादसा गैस सिलेंडर फटने के बाद हुआ, जिससे पटाखों में आग लग गई. विस्फोट से पूरा इलाका दहल उठा. प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है, जबकि स्थानीय लोगों ने राहत कार्य में सहयोग दिया.

पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के पाथरप्रतिमा इलाके में सोमवार देर रात एक घर में अवैध रूप से संचालित पटाखा फैक्ट्री में भयानक विस्फोट हुआ, जिससे सात लोगों की मौत हो गई. मृतकों में तीन बच्चे भी शामिल हैं. हादसा उस समय हुआ जब एक गैस सिलेंडर में आग लग गई, जिसने वहां रखे पटाखों को चपेट में ले लिया, जिससे धमाके ने पूरे इलाके को दहला दिया.
जानकारी के अनुसार, चंद्रकांत बनिक नामक व्यक्ति अपने घर में अवैध रूप से पटाखा निर्माण कर रहा था. पूजा को लेकर बड़े पैमाने पर आतिशबाजी बनाई जा रही थी. रात में एक सिलेंडर में आग लग गई, जिससे जबरदस्त विस्फोट हुआ और आसपास रखे पटाखों ने भी आग पकड़ ली. नतीजतन, सिलसिलेवार धमाके होते गए और घर पूरी तरह जलकर खाक हो गया.
स्थानीय लोगों ने चलाया राहत अभियान
ब्लास्ट इतनी तेज थी कि पूरा इलाका दहल उठा और धुएं से भर गया. विस्फोट की आवाज सुनते ही स्थानीय लोग घटनास्थल पर पहुंचे और पुलिस को सूचना दी. पुलिस और दमकल विभाग तुरंत मौके पर पहुंचे और राहत एवं बचाव कार्य शुरू किया. लेकिन तब तक सात लोगों की जान जा चुकी थी. घायलों को अस्पताल ले जाया गया, जहां कुछ की हालत गंभीर बताई जा रही है.
विधायक ने की जांच की मांग
घटना की जानकारी मिलते ही पाथरप्रतिमा के विधायक समीर कुमार जाना घटनास्थल पर पहुंचे. उन्होंने इस हादसे को दुखद बताते हुए कहा कि पुलिस मामले की जांच कर रही है और दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी. पुलिस को आशंका है कि घर के अंदर और लोग फंसे हो सकते हैं, इसलिए मलबे की तलाश जारी है.
लगातार बढ़ रही पटाखा फैक्ट्री दुर्घटनाएं
यह पहली बार नहीं है जब बंगाल में अवैध पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट हुआ हो. इससे पहले पूर्वी मिदनापुर के खादिकुल, महेशतला और चम्पाहाटी में भी इसी तरह की घटनाएं हो चुकी हैं. इन घटनाओं के बावजूद, अवैध पटाखा निर्माण का धंधा बदस्तूर जारी है. यह हादसा प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक चेतावनी है कि बिना सख्त निगरानी के ऐसे हादसे दोबारा हो सकते हैं.