विशाखापट्टनम मंदिर में चंदनोत्सव के दौरान गिरी दीवार, क्या मंदिर प्रबंधन की लापरवाही ने ली 7 जिंदगियां?
आंध्र प्रदेश के श्री वराहलक्ष्मी नरसिम्हा मंदिर में चंदनोत्सव के दौरान भारी भीड़ के बीच मंदिर की दीवार गिरने से 7 लोगों की मौत हो गई और 4 घायल हुए. हादसे ने मंदिर प्रबंधन और प्रशासन की तैयारियों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. प्रशासनिक लापरवाही और जर्जर संरचना हादसे की बड़ी वजह मानी जा रही है. रेस्क्यू कार्य जारी है.

आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम स्थित श्री वराहलक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी मंदिर में मंगलवार को आस्था एक हादसे में तब्दील हो गई, जब चंदनोत्सव के दौरान मंदिर की एक दीवार अचानक ढह गई. इस हादसे में 7 श्रद्धालुओं की जान चली गई जबकि कम से कम 4 अन्य गंभीर रूप से घायल हुए हैं. हादसे के वक्त मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे, जो भगवान के 'वास्तविक रूप' के दुर्लभ दर्शन के लिए जमा हुए थे.
स्थानीय प्रशासन और मंदिर प्रबंधन की तैयारियां इस अप्रत्याशित भीड़ को संभालने में विफल साबित हुईं. पुलिस और प्रशासन के अनुसार मंदिर परिसर में सुरक्षा इंतज़ाम नाकाफी थे. 20 फीट ऊंची दीवार का गिरना यह इशारा करता है कि या तो दीवार जर्जर थी या फिर भीड़ का दबाव उस पर भारी पड़ गया. हादसे के बाद राहत-बचाव कार्य तुरंत शुरू किया गया, लेकिन तब तक कई जिंदगियां जा चुकी थीं.
भीड़ की चेतावनी को किया गया नजरअंदाज?
जानकारी के मुताबिक चंदनोत्सवम के लिए मंगलवार दोपहर से ही सिंहगिरी में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ने लगी थी. यह पहले से पता था कि भगवान नरसिंह के 'वास्तविक रूप' के दर्शन दुर्लभ होते हैं और श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ सकती है. बावजूद इसके प्रशासन ने न तो कोई ठोस भीड़ नियंत्रण योजना बनाई, न ही कोई सुरक्षा बैरिकेडिंग सुनिश्चित की गई. भगदड़ और ढहती दीवार ने इस लापरवाही को भयावह रूप दे दिया.
मंत्री पहुंचे घटनास्थल
हादसे के बाद ज़िले के कलेक्टर हरेंद्र प्रसाद ने बताया कि एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें मौके पर तैनात हैं और घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है. राज्य की गृहमंत्री वंगलापुड़ी अनिता ने मौके पर पहुंचकर राहत कार्यों का जायज़ा लिया. उन्होंने जांच के आदेश दिए हैं कि दीवार क्यों गिरी और क्या इसकी स्थिति पहले से खराब थी. लेकिन बड़ा सवाल है कि क्या ये तैयारी पहले नहीं की जा सकती थी?
दर्शन की पवित्रता के बीच उठे सवाल
इस त्रासदी की एक विडंबना यह रही कि हादसे के कुछ ही घंटे पहले भगवान के विशेष दर्शन और चंदन अनावरण की विधियां पूरी धार्मिक परंपराओं के साथ आयोजित की गई थीं. मंदिर ट्रस्टी पुसापति अशोक गजपति राजू और अन्य गणमान्य व्यक्तियों को दर्शन कराए गए थे. लेकिन आम श्रद्धालु लंबी-लंबी कतारों में खड़े रहकर मौत के साए में पहुंचे. इस हादसे ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है. क्या हमारी आस्था की भीड़, हमारी तैयारी से बड़ी हो गई है?