मणिपुर में फिर भड़की हिंसा, SP ऑफिस पर पत्थरबाजी और फायरिंग
मणिपुर के कांगपोकपी जिले में शुक्रवार देर रात हिंसा भड़क गई. कुकी जनजाति के प्रदर्शनकारियों और केंद्रीय सुरक्षा बलों के बीच झड़प हुई. प्रदर्शनकारी इंफाल से 45 किलोमीटर दूर कांगपोकपी की पहाड़ियों से केंद्रीय बलों को हटाने की मांग कर रहे थे.

मणिपुर के कांगपोकपी जिले में शुक्रवार देर रात हिंसा भड़क गई. कुकी जनजाति के प्रदर्शनकारियों और केंद्रीय सुरक्षा बलों के बीच झड़प हुई. प्रदर्शनकारी इंफाल से 45 किलोमीटर दूर कांगपोकपी की पहाड़ियों से केंद्रीय बलों को हटाने की मांग कर रहे थे. इसके लिए उन्होंने आर्थिक नाकेबंदी लागू करते हुए गाड़ियों को रोकने का प्रयास किया. अधिकारियों ने कहा कि सुरक्षा बलों और हमलावरों के बीच झड़प के दौरान पुलिस कर्मियों और प्रदर्शनकारियों सहित कई अन्य लोगों को भी चोटें आईं.
सैबोल गांव, जो इंफाल पूर्वी जिले की सीमा पर स्थित है, में कुकी संगठन 31 दिसंबर को महिलाओं पर कथित लाठीचार्ज के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शनकारी केंद्रीय बलों (बीएसएफ और सीआरपीएफ) की तैनाती का विरोध कर रहे थे. भीड़ ने एसपी कार्यालय पर पथराव किया और वाहनों को नुकसान पहुंचाया.
घटना के बाद हालात पर काबू पाने के लिए अतिरिक्त केंद्रीय बल तैनात किए गए. इससे पहले, सुरक्षा बलों ने गांव और आसपास के इलाकों में अभियान चलाया था, जिसमें चार लोग घायल हुए थे. मई 2023 से मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जारी जातीय हिंसा में 250 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों बेघर हो चुके हैं.
एक अधिकारी ने बताया कि हमलावरों ने गांव में केंद्रीय बलों, विशेष रूप से सीमा सुरक्षा बल (BSF) और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF), की सतत तैनाती को लेकर नाराजगी जताते हुए एसपी कार्यालय पर पथराव किया और अन्य वस्तुएं फेंकी. पुलिस के अनुसार, कार्यालय परिसर में खड़े जिला पुलिस के वाहनों को भी क्षति पहुंचाई गई. अधिकारी ने यह भी बताया कि केंद्रीय बलों को गांव से हटाने की मांग करते हुए बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी दोपहर से एसपी कार्यालय के सामने जुटने लगे थे.
पिछले सप्ताह, सुरक्षा बलों ने दो समूहों के बीच गोलीबारी की घटना के बाद गांव और उसके आसपास के क्षेत्रों में अभियान चलाया था, जिसमें एक पुलिसकर्मी सहित चार लोग घायल हो गए थे. 31 दिसंबर को सैबोल में हुई घटना के संबंध में मणिपुर पुलिस ने कहा था कि महिलाओं के एक समूह द्वारा राज्य और केंद्रीय बलों की संयुक्त टीम के आंदोलन को रोकने की कोशिश करने के बाद सुरक्षा बलों ने आंसू गैस के गोले दागे.