'शाम 6 बजे तक कैंपस खाली कर दो...', 400 फ्रेशर्स को नौकरी से निकालने पर इंफोसिस ने दी यह सफाई
इंफोसिस को 400 फ्रेशर्स की छंटनी करने के बाद कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है, जिस पर कंपनी ने बयान जारी किया है. कंपनी ने कहा कि तीन बार एसेसमेंट में नाकाम होने की वजह से कर्मचारियों की छंटनी की गई. बता दें कि कंपनी के ऊपर आरोप है कि उसने साढ़े 9 बजे कर्मचारियों को बुलाकर उसी दिन शाम 6 बजे तक कैंपस खाली करने का दबाव बनाया. इस दौरान बाउंसर्स की भी मदद ली गई.
Infosys Layoffs: आईटी दिग्गज कंपनी इंफोसिस ने 400 फ्रेशर्स को नौकरी से निकाल दिया है, जिसके बाद से इसकी कड़ी आलोचना हो रही है. अब कंपनी ने अपने इस कदम का बचाव करते हुए कहा है कि एसेसमेंट पास करने में तीन बार नाकाम रहने की वजह से यह कदम उठाना जरूरी हो गया था. कंपनी ने कहा कि इस तरह की कार्रवाई की चेतावनी देने वाला एक खंड का उनके कांट्रैक्ट में भी जिक्र किया गया है. यह प्रक्रिया दो दशकों से अस्तित्व में है.
इंफोसिस ने कहा कि सभी फ्रेशर्स को एसेसमेंट पास करने के लिए तीन मौके दिए जाते हैं. इसमें नाकाम रहने पर उन्हें कंपनी से निकाल दिया जाता है.
मैसूर परिसर में 7 फरवरी को हुई छंटनी
बता दें कि 400 कर्मचारियों की यह छंटनी इंफोसिस के मैसूर परिसर में 7 फरवरी को हुई. उन्हें तुरंत परिसर को खाली करने के लिए कहा गया. ये फ्रेशर्स पिछले साल सितंबर में कंपनी में शामिल हुए थे.
व्यवस्थित तरीके से की गई छंटनी की प्रक्रिया
एक रिपोर्ट के मुताबिक, कर्मचारियों की छंटनी की प्रक्रिया व्यवस्थित तरीके से की गई. 50 फ्रेशर्स के ग्रुप को सुबह 9:30 बजे लैपटॉप के साथ बुलाया गया. जब उन्हें परिसर खाली करने को कहा गया, उस समय सुरक्षाकर्मी और बाउंसर भी मौजूद थे.
'अब आप कंपनी का हिस्सा नहीं हैं'
एक महिला कर्मचारी को शाम 6 बजे तक परिसर खाली करने के लिए कहा गया, जबकि उसने प्रबंधन से रात भर रुकने की गुहार लगाई थी. प्रबंधन ने स्पष्ट शब्दों में कहा- अब आप कंपनी का हिस्सा नहीं हैं. शाम 6 बजे तक परिसर खाली कर दें.
ऑफर लेटर के लिए दो साल तक करना पड़ा इंतजार
जिन कर्मचारियों की छंटनी हुई है, उसमें से अधिकांश 2022 इंजीनियरिंग बैच के हैं. उन्होंने इंफोसिस के मैसूर कैंपस में ट्रेनिंग लिया था. इन भर्तियों को अक्टूबर 2023 में शामिल होने से पहले दो साल तक लंबा इंतजार करना पड़ा, जबकि शुरुआती ऑफर लेटर में सिस्टम इंजीनियर की भूमिका के लिए 3.2-3.7 लाख रुपये के वार्षिक पैकेज का वादा किया गया था.
इंफोसिस पर कर्मचारियों को डराने-धमकाने का आरोप
आईटी कर्मचारियों की यूनियन एनआईटीईएस ने इंफोसिस पर छंटनी प्रक्रिया के दौरान डराने-धमकाने की रणनीति अपनाने का आरोप लगाया है. एनआईटीईएस के अध्यक्ष हरप्रीत सिंह सलूजा ने आरोप लगाया कि कंपनी ने कर्मचारियों को डराने-धमकाने के लिए बाउंसर और सुरक्षाकर्मी तैनात किए हैं, ताकि वे मोबाइल फोन न ले जा सकें, जिससे वे घटना का दस्तावेजीकरण करने या मदद मांगने में असमर्थ हो जाएं. एनआईटीईएस अब सरकार से मामले में हस्तक्षेप की मांग कर रहा है. उसका कहना है कि इंफोसिस की कार्रवाई औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 का उल्लंघन है. इसलिए आईटी कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा के लिए तत्काल कार्रवाई की जाए.





