वीडियो के जरिए दो युवकों ने सरकार से मांगी मदद, मणिपुर के मुख्यमंत्री ने बताया किसने किया अपहरण
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने हाल ही में दो युवकों के अपहरण की वीडियो सामने आने के बाद विधायकों के साथ मीटिंग की है. सरकार ने कहा कि वह दोनों युवकों को बचाने के लिए हर संभव प्रयास करेगी. सोशल मीडिया पर युवकों का मदद मांगते हुए वीडियो काफी वायरल हो रहा है.

एनडीटीवी में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें मणिपुर के दो मैतेई युवक मुख्यमंत्री से अपहरणकर्ताओं की मांगें पूरी करके अपनी जान बचाने की अपील की है. इन्हें कुकी उग्रवादियों द्वारा किडनैप किया गया है.
इस वीडियो के सामने आते ही मुख्यमंत्री ने विधायकों के साथ बैठक की. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार दोनों को छुड़ाने के लिए सही कदम उठा रही है. एन. बीरेन सिंह ने एक्स और फेसबुक पर पोस्ट कर बताया, "आज अपने सचिवालय में सत्तारूढ़ और विपक्षी दोनों दलों के सभी विधायकों के साथ बैठक की. राज्य की मौजूदा स्थिति पर चर्चा की. विशेष रूप से कुकी उग्रवादियों द्वारा दो निर्दोष युवकों के अपहरण के बचाव पर ध्यान केंद्रित किया." उन्होंने आगे लिखा, "हम इस तरह के जघन्य कृत्यों की निंदा करते हैं और हमारी सरकार पीड़ितों की सुरक्षित रिहाई सुनिश्चित करने के लिए काम कर रही है.
क्या है मामला?
यह बात शुक्रवार की है, जब निंगोमबाम जॉनसन सिंह, ओइनम थोइथोई सिंह और थोकचोम थोइथोइबा सिंह अपने घर इम्फाल घाटी के थौबल जिले से बाइक पर इम्फाल पश्चिम जिले के न्यू कीथेलमानबी में सेना भर्ती रैली में भाग लेने के लिए जा रहे थे. लोकल लोगों की मानें, तो तीनों युवक ने गूगल मैप्स के सहारे रास्ता तय किया और गलती से मैप पर डेस्टिनेशन न्यू कीथेलमानबी के बजाय कीथेलमानबी सेट कर दिया. कीथेलमानबी कुकी बहुल गांव है, जबकि न्यू कीथेलमानबी मैतेई बहुल गांव है. इसलिए, जब वे कीथेलमानबी की ओर जा रहे थे, तो उन्हें कुकी उग्रवादियों ने पकड़ लिया. वहीं इनमें से एक युवक निंगोमबाम जॉनसन सिंह बच गए.
बनाई गई संयुक्त कार्रवाई समिति
युवकों की घर वापसी के लिए यहां के लोगों ने "संयुक्त कार्रवाई समिति" और शनिवार को पुलिस अधिकारियों से मुलाकात की. इन लोगों ने पुलिस से दोनों युवकों को बचाने की मांग की है. मणिपुर में मैतेई और कुकी दो उग्रवादी समूह है. इस समूह के बीच पिछले साल 3 मई को जातीय हिंसा हुई थी. इस हिंसा में करीब 250 लोग मारे गए. वहीं, 60,000 से ज़्यादा लोगों ने अपना घर छोड़ दिया. कुछ विस्थापित लोग अभी भी राहत शिविरों में रह रहे हैं.