यह तो 'Dog-Whistling' है, सुप्रीम कोर्ट ने अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर को जमानत तो दे दी, पर खूब सुनाया भी - 10 बड़ी बातें
ऑपरेशन सिंदूर पर सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर गिरफ्तार अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद की याचिका पर सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने तीखी टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा, “देश पर हमला हुआ है, सस्ती लोकप्रियता की क्या जरूरत थी?” जस्टिस सूर्यकांत ने उनकी भाषा को ‘dog-whistling’ बताया और कहा कि भावनाएं आहत न हों, ऐसी तटस्थ भाषा अपनानी चाहिए.

देश में जब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर भावनाएं चरम पर थीं, तब अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद के एक सोशल मीडिया पोस्ट ने विवाद को जन्म दे दिया. गिरफ्तारी के बाद जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, तो अदालत ने तीखे शब्दों में टिप्पणी करते हुए पूछा, “सस्ती लोकप्रियता हासिल करने की जरूरत क्यों पड़ी?” कोर्ट ने कहा कि जब देश पर हमले हो रहे हों, ऐसे समय में नागरिकों को अपने कर्तव्यों का भी ख्याल रखना चाहिए.
लेकिन कोर्ट की सबसे अहम टिप्पणी तब आई जब जस्टिस सूर्यकांत ने उनकी भाषा को 'dog-whistling' बताया, यानी जानबूझकर ऐसे शब्दों का चयन करना जो अप्रत्यक्ष रूप से अपमान या असहजता उत्पन्न करें. उन्होंने कहा, "एक शिक्षित व्यक्ति साधारण, सम्मानजनक और तटस्थ भाषा में अपनी बात रख सकता है."
सुप्रीम कोर्ट ने अशोका यूनिवर्सिटी, हरियाणा में राजनीति विज्ञान विभाग के प्रमुख और एसोसिएट प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद की गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक लगाते हुए उनकी रिहाई का आदेश दिया है. प्रोफेसर पर आरोप है कि उन्होंने दो महिला सैन्य अधिकारियों, कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह के ऑपरेशन सिंदूर ब्रीफिंग में शामिल होने को लेकर विवादास्पद टिप्पणी की, जिससे न केवल देश की एकता बल्कि महिला अधिकारियों की गरिमा पर भी सवाल उठे. 10 बातों में जानिए इस पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट में क्या-क्या हुआ.
1. सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी
ऑपरेशन सिंदूर पर सोशल मीडिया पोस्ट के चलते गिरफ्तार प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, "देश पर राक्षसों ने हमला किया है, ऐसे में इंटरनेट पर सस्ती लोकप्रियता पाने की क्या जरूरत थी?"
2. गिरफ्तारी और आरोप
अशोका यूनिवर्सिटी के पॉलिटिकल साइंस डिपार्टमेंट के प्रमुख अली खान महमूदाबाद को पिछले हफ्ते उनके पोस्ट को लेकर गिरफ्तार किया गया. उन पर राष्ट्र की अखंडता और एकता को खतरे में डालने व समुदायों में वैमनस्य फैलाने जैसे गंभीर धाराओं में केस दर्ज हुआ है.
3. न्यायमूर्ति सूर्यकांत की टिप्पणी
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, “हर किसी को अभिव्यक्ति की आज़ादी है... लेकिन क्या यह समय है इस तरह की बातें करने का? जब देश पर हमला हुआ हो तो सबको एकजुट रहना चाहिए.”
4. "सिर्फ अधिकार नहीं, कर्तव्य भी"
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी जोड़ा, “जैसे पूरे देश में पिछले 75 सालों से सिर्फ अधिकार ही बांटे जा रहे हैं, कोई कर्तव्य नहीं निभा रहा.”
5. कपिल सिब्बल ने रखा पक्ष
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने प्रोफेसर की ओर से अदालत में दलीलें दीं और पूछा, “इस पोस्ट में आपराधिक मंशा कहां है?”
6. महिला अधिकारियों पर टिप्पणी बनी विवाद की जड़
प्रोफेसर ने कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह के ऑपरेशन सिंदूर ब्रीफिंग में चयन पर टिप्पणी की थी, जिसके बाद विवाद शुरू हुआ.
7. पोस्ट की मुख्य बात
प्रोफेसर ने लिखा था कि "दो महिला अफसरों की प्रस्तुति एक अच्छा संदेश है, लेकिन यह सिर्फ दिखावा न रह जाए, ज़मीन पर भी बदलाव दिखना चाहिए."
8. हरियाणा महिला आयोग की शिकायत
हरियाणा महिला आयोग की चेयरपर्सन रेणु भाटिया ने प्रोफेसर के खिलाफ शिकायत दी, जिसमें कहा गया कि उनके बयान महिला सैन्य अधिकारियों का अपमान करते हैं और उनकी प्रोफेशनल भूमिका को कमतर आंकते हैं.
9. प्रोफेसर की सफाई
महमूदाबाद ने कहा कि महिला आयोग ने उनकी पोस्ट का अर्थ ही पलट दिया है और उनकी टिप्पणियों को पूरी तरह गलत समझा गया है.
10. सुप्रीम कोर्ट का संतुलन का संदेश
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि संविधान में अधिकार हैं, लेकिन इन अधिकारों के साथ ज़िम्मेदारी और संवेदनशीलता भी उतनी ही ज़रूरी है, खासकर जब देश संवेदनशील हालात से गुजर रहा हो.