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'पुलिस को घेरकर तलवारें लहराईं', राणा सांगा से करणी सेना का कनेक्शन क्या? पढ़ें चर्चित किस्से

उत्तर प्रदेश के आगरा में आयोजित करणी सेना के स्वाभिमान सम्मेलन' में माहौल तब गरमा गया जब कार्यकर्ताओं ने तलवारें और डंडे लहराकर प्रदर्शन किया. सम्मेलन का उद्देश्य समाजिक एकता और सम्मान को दर्शाना था, लेकिन यह शक्ति प्रदर्शन में बदल गया, जिसमें जमकर नारेबाजी और प्रशासन को खुलेआम चेतावनी दी गई. यह आक्रोश सपा सांसद रामजी लाल सुमन के उस बयान के विरोध में था जिसमें उन्होंने राणा सांगा को बाबर को लाने वाला बताया था.

पुलिस को घेरकर तलवारें लहराईं,  राणा सांगा से करणी सेना का कनेक्शन क्या? पढ़ें चर्चित किस्से
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सागर द्विवेदी
By: सागर द्विवेदी

Updated on: 12 April 2025 3:10 PM IST

आपकी जुबान आपको तारीफ भी दिलवाती है और जूते भी पड़वाती है. यह बात आपने भी जरूर सुनी होगी. देश में आए दिन किसी न किसी मुद्दे को लेकर बवाल होता ही रहता है, जिनमें से अधिकतर की वह किसी न किसी की बेकाबू जुबान होती है. वैसे हाल ही में आपने राणा सांगा पर बवाल वाला मुद्दा जरूर सुना होगा, जिसमें समाजवादी पार्टी के एक सांसद रामजीलाल सुमन, जिन्होंने राणा सांगा को लेकर सांसद में विवादित टिप्‍पणी की थी. उन्‍होंने कहा था कि बाबर को भारत में लाने वाले राणा सांगा ही थे इसलिए वो गद्दार थे. उनका इस कथनी पर बवाल मचना तय था और हुआ भी. इस मामले पर करणी सेना इतनी नाराज हुई कि सपा सांसद के घर पर हमला बोला दिया.

यहीं नहीं, जमकर बयानबाजी भी हुई जिसमें माफी से लेकर इस्तीफे की डिमांड थी. वहीं सपा ने तो अपने नेता के बयान से किनारा कर लिया लेकिन सांसद जी ने नहीं. 12 अप्रैल को राणा सांगा की जयंती के मौके पर आगरा में करणी सेना ने स्वाभिमान रैली का आयोजन किया है. करणी सेना वही संगठन है जिसका पहले भी कई विवादों से नाता रहा है. ऐसे में आइए जानते हैं करणी सेना का राणा सांगा से कनेक्शन और उनके बवाल के कुछ किस्से.

करणी सेना का नाम आज विरोध और तेज़ आंदोलनों के लिए जाना जाता है लेकिन इसकी शुरुआत कुछ और सोच के साथ हुई थी. राजपूत स्वाभिमान की रक्षा के लिए, राजस्थान से शुरू हुआ यह संगठन धीरे-धीरे पूरे भारत में एक प्रभावशाली जातीय आंदोलनकारी शक्ति बनकर उभरा. वहीं बात करें करणी सेना के स्थापना की तो साल 2006 में राजस्थान के नागौर जिले में हुई थी जिसके संस्थापक लोकेंद्र सिंह कालवी हैं.

राणा सांगा जयंती पर आगरा में करणी सेना का उग्र प्रदर्शन

आगरा में करणी सेना के 'रक्त स्वाभिमान सम्मेलन' ने अचानक तगड़ा मोड़ ले लिया, जब मंच पर जय-जयकार और सम्मान के नारे अचानक गर्जन और ग़ुस्से में बदल गए. पुलिस की मौजूदगी में कार्यकर्ताओं ने तलवारें, लाठियां और झंडे लहराकर ऐसा प्रदर्शन किया कि पूरा इलाका चौंक गया. कार्यकर्ता सिर्फ नारेबाज़ी तक नहीं रुके. उन्होंने 'छेड़ोगे तो छोड़ेंगे नहीं!' जैसे नारों से माहौल गर्मा दिया. इस दौरान पुलिस मौके पर मौजूद रही, लेकिन भीड़ के गुस्से के सामने मूकदर्शक बनकर रह गई.

करणी सेना का राणा सांगा से कनेक्शन

इसका उद्देश्य राजपूत समाज के गौरव, संस्कृति और इतिहास की रक्षा करना और युवाओं को संगठित करना. जिसके कारण जब- जब कोई राजपूत समाज पर विवादित बयान देता करणी सेना काफी तेज हो जाती है. लोकेंद्र सिंह कालवी, जो कि एक प्रभावशाली राजनीतिक परिवार से आते हैं, उन्होंने करणी माता के नाम पर इस संगठन को खड़ा किया. करणी माता को राजपूत समाज में देवी का दर्जा प्राप्त है, और वही संगठन का प्रेरणा स्रोत बनीं.

करणी सेना का मकसद क्या?

शुरुआत में करणी सेना ने खुद को एक सांस्कृतिक और सामाजिक संगठन बताया था, जिसका मुख्य एजेंडा था. राजपूत युवाओं को एकजुट करना और शिक्षा और रोजगार में हिस्सेदारी , ऐतिहासिक विरासत की रक्षा. फिल्मों और इतिहास से जुड़े विवादों पर नजर रखना.

बवाली किस्से जो सुर्खियों में रहे-

पद्मावत बवाल (2017-18)-

सबसे बड़ा और चर्चित विवाद था संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावत' को लेकर. करणी सेना ने फिल्म पर रानी पद्मिनी के चरित्र को लेकर ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ का आरोप लगाया. नतीजा? सेट तोड़े गए, थियेटरों में आगजनी, और भंसाली के खिलाफ जबरदस्त प्रदर्शन.

आनंदपाल एनकाउंटर का विरोध (2017)-

राजस्थान के कुख्यात गैंगस्टर आनंदपाल सिंह की पुलिस मुठभेड़ में मौत के बाद करणी सेना ने इसे फर्जी एनकाउंटर बताया और सड़कों पर उतर आई. राज्य में कर्फ्यू जैसी स्थिति बन गई थी.

जातीय आरक्षण के मुद्दे-

करणी सेना ने कई बार जातीय आरक्षण के खिलाफ आंदोलन किया है. उनका कहना है कि जाति के आधार पर नहीं, आर्थिक स्थिति के आधार पर आरक्षण मिलना चाहिए.

राजनेताओं और नेताओं को चेतावनी देना-

करणी सेना के कार्यकर्ता कई बार ऐसे नेताओं के घर या ऑफिस के बाहर प्रदर्शन कर चुके हैं जिन्होंने राजपूत या ऐतिहासिक हस्तियों के खिलाफ बयानबाजी की हो.

राणा सांगा विवाद (2025)-

हाल में समाजवादी पार्टी के सांसद रामजीलाल सुमन ने राणा सांगा को बाबर लाने वाला बताया और गद्दार जैसी शब्दों का उपयोग किया. इसके बाद आगरा में सांसद के घर तक हमला और जवाब में सपा की तरफ से दूरी बना लेना ये सब करणी सेना के उग्र तेवर का ताजा उदाहरण है.

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