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'वॉशरूम जाने की भी नहीं थी परमिशन' कुछ ऐसी खौफनाक रही भारतीयों की US से India तक की 40 घंटे यात्रा

Indian Deportees: अमेरिका ने बुधवार को 104 अप्रवासी भारतीयों को वापस भेज दिया था. अब घर वापस आकर सभी अपना दर्द बता रहे हैं. अमेरिका से लवप्रीत कौर (30) और उनके 10 साल के बेटा अमेरिका से घर लौटे हैं. उन्होंने कहा कि "हमारे साथ ऐसा व्यवहार किया गया जैसे हम कोई कट्टर अपराधी हों." "हमें फ्लाइट में घूमने की अनुमति नहीं दी गई. कई लोग अब उन एजेंटों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं जिन्होंने उनकी यात्रा में मदद की.

वॉशरूम जाने की भी नहीं थी परमिशन कुछ ऐसी खौफनाक रही भारतीयों की US से India तक की 40 घंटे यात्रा
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( Image Source:  @NaveedPervaiz13 )

Indian Deportees From America: अमेरिका ने अपने देश के अप्रवासियों को निकालना शुरू कर दिया. इस सप्ताह 104 भारतीयों को यूएस से भगा दिया गया. कई लोगों को भारत से अमेरिका पहुंचने तक हथकड़ियों में बांध कर रखा गया. बुधवार को पंजाब के अमृतसर एयरपोर्ट यह लोग उतरे. भारत आने वाले के बाद सभी ने अपनी दर्द भरी कहानी सुनाई है. सोशल मीडिया पर बहुत से लोगों के वीडियो समाने आए हैं.

हिन्दुस्तान टाइम्स के मुताबिक, अमेरिका से 104 भारतीय वापस देश लौटे हैं, इनमें 72 पुरुष, 19 महिलाएं और 13 बच्चे शामिल थे. उन्हें जंजीरों में बांधकर कड़ी निगरानी में रखा गया. इन भारतीयों के साथ अपराधी जैसा व्यवहार किया गया. उन्हें प्रताड़ित किया गया, यहां तक की फ्लाइट में हथकड़ी से बांधकर रखा गया. इन सभी पर आरोप है कि ये अवैध तरीके से अमेरिका में रह रहे थे इसलिए ट्रम्प सरकार ने वापस भारत भेज दिया.

लवप्रीत कौर ने बताया सच

एचटी को अमेरिका से लवप्रीत कौर (30) और उनके 10 साल के बेटा अमेरिका से घर लौटे हैं. उन्होंने कहा कि "हमारे साथ ऐसा व्यवहार किया गया जैसे हम कोई कट्टर अपराधी हों." "हमें फ्लाइट में घूमने की अनुमति नहीं दी गई. बहुत से यात्री वॉशरूम जाने के लिए बोल रहे थे लेकिन उनके कमर और पैरों से बंधी हथकड़ी और जंजीरें नहीं खोली गईं." निर्वासित लोगों ने बताया कि उन्हें प्रोटोकॉल की बात कहकर, फोन और सिम कार्ड जब्त किए, जूतों के फीते और गहने उतारे और कम भोजन के साथ ठंडे केंद्रों में रखा जाना. अधिकांश लोगों को जनवरी के अंत में अमेरिका-मेक्सिको सीमा पर पकड़ा गया था.

सुखपाल सिंह का दर्द

दारापुर के सुखपाल सिंह ने कहा कि "अवैध अप्रवासियों को नुकसान पहुंचाने के लिए कमरे का तापमान जानबूझकर बहुत कम रखा गया था और बहुत कम या बिल्कुल भी भोजन नहीं परोसा गया था." दलेर सिंह ने कहा कि यात्रा के दौरान, "उन्होंने हमें भोजन और मेडिकल सर्विस सहित अन्य प्रकार की देखभाल दी."

5 साल के लिए यूएस में एंट्री बैन

निर्वासित लोगों को अमृतसर पहुंचने पर निर्वासन टिकटों के साथ उनके पासपोर्ट दिए गए और उन्हें पता चला कि उन्हें पांच साल के लिए अमेरिका में प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. कई लोग अब उन एजेंटों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं जिन्होंने उनकी यात्रा में मदद की. उन्होंने दावा किया कि उन्हें अमेरिका में अवैध मार्ग से जाने के लिए धोखा दिया गया था, जिसके बाद उन्होंने कहा, "हम चाहते हैं कि सरकार हमें धोखा देने के लिए ट्रैवल एजेंट के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे."

संसद में हंगामा

अमेरिका से भारतीय की वापसी का मुद्दा संसद में उठाया गया. विपक्ष इस पर भी राजनीति कर रहा है. गुरुवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस मुद्दे पर एक बयान जारी किया. जयशंकर ने कहा कि निर्वासित लोगों को हथकड़ी और जंजीरों में वापस भेजा जाना 2012 से अमेरिकी आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन (ICE) की मानक संचालन प्रक्रियाओं का हिस्सा रहा है. हालांकि, उन्होंने कहा कि महिलाओं और बच्चों को रोका नहीं जाता है.

जयशंकर ने लोकसभा में कहा, "ICE द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले विमानों द्वारा निर्वासन के लिए मानक संचालन प्रक्रिया, जो 2012 से प्रभावी है, मैं आपको दोहराता हूं, ये 2012 से लागू प्रक्रियाएं हैं, जो प्रतिबंधों के इस्तेमाल का प्रावधान करती हैं." इस दौरान उन्होंने सदन में प्रतिबंध प्रक्रिया पर 2012 का एक अमेरिकी दस्तावेज रखा.

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