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'लड़कियां मर्जी से आश्रम में रह रहीं, वहां पुलिस जांच गलत'; सद्गुरु को 'सुप्रीम' राहत

Sadhguru Jaggi Vasudev:सुप्रीम कोर्ट ने दो लड़कियों को बंधक बनाने के मामले में सद्गुरु जग्गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन के खिलाफ केस बंद कर दिया है. महिलाओं ने अपने बयान में कहा था कि वो बिना किसी दबाव के तमिलनाडु के कोयंबटूर स्थित आश्रम में अपनी इच्छा से रह रही थीं.

लड़कियां मर्जी से आश्रम में रह रहीं, वहां पुलिस जांच गलत; सद्गुरु को सुप्रीम राहत
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सागर द्विवेदी
Edited By: सागर द्विवेदी

Published on: 18 Oct 2024 3:20 PM

Sadhguru Jaggi Vasudev: सद्गुरु जग्गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने दो लड़कियों को बंधक बनाने के मामले में सद्गुरु जग्गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन के खिलाफ केस बंद कर दिया है. महिलाओं ने अपने बयान में कहा था कि वो बिना किसी दबाव के तमिलनाडु के कोयंबटूर स्थित आश्रम में अपनी इच्छा से रह रही थीं.

सुप्रीम कोर्ट ने एक पिता द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का निपटारा कर दिया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उसकी दो बेटियों को ईशा योग केंद्र में बंधक बनाकर रखा गया था और वहां उनका ब्रेनवॉश किया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने 39 साल और 42 साल की दोनों बेटियों के बालिग होने और स्वेच्छा से आश्रम में रहने, आश्रम से बाहर जाने के लिए स्वतंत्र होने आदि के बयानों पर गौर किया और कहा कि बंदी प्रत्यक्षीकरण में आगे कोई निर्देश नहीं है. आवश्यक है, और इसे बंद किया जाना चाहिए.



'मेरी बेटी का ब्रेनवॉश किया गया'

ईशा फाउंडेशन के खिलाफ रिटायर्ड प्रोफेसर एस कामराज ने मद्रांस हाईकोर्ट ने याचिका लगाई थी. उनका आरोप था कि आश्रम में उनकी बेटियों लता और गीता को बंधक बनाकर रखा गया है. हाईकोर्ट ने 30 सितंबर को मामले के खिलाफ जांच करने और ईशा फाउंडेशन से जुड़े सभी क्रिमिनल केसों की डिटेल पेश करने का आदेश दिया था.

इसके बाद अगले दिन 1 अक्टूबर लगभग 150 से अधिक पुलिसकर्मी फाउंडेशन के हेडक्वार्टर पहुंचे थे. इसके बाद सद्गुरु ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने 3 अक्टूबर को मद्रास हाईकोर्ट के फाउंडेशन के खिलाफ पुलिस जांच के आदेश पर रोक लगाई थी.

सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस की मौजूदगी पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि पहली बात तो यह है कि आप इस तरह से पुलिस की एक टुकड़ी को परिसर में नहीं आने दे सकते. एक न्यायिक अधिकारी जाएंगे और दोनों लड़कियों से पूछताछ कर सकते हैं. बता दें कि सुनवाई के दौरान दोनों बहनों में से एक वर्चुअल तौर पर कोर्ट में मौजूद थी. उसने दोहराया कि वह अपनी मर्जी से आश्रम में रह रही थी. उसने आरोप लगाया कि उनके पिता बीते 8 सालों से उन्हें परेशान कर रहे हैं.

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