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22 महीने में 300 लीटर ब्रेस्ट मिल्क दान करने वाली ये महिला कौन? सैकड़ो शिशुओं को दिया नया जीवन

तमिलनाडु के त्रिची जिले के कत्तूर की 33 वर्षीय गृहिणी सेल्वा बृंदा ने एक ऐसा काम किया है, जिसकी मिसाल आज पूरा देश दे रहा है. दो बच्चों की मां बृंदा ने 22 महीनों में 300.17 लीटर मां का दूध दान किया, जिससे हजारों समयपूर्व और बीमार नवजात शिशुओं को नया जीवन मिला.

22 महीने में 300 लीटर ब्रेस्ट मिल्क दान करने वाली ये महिला कौन? सैकड़ो शिशुओं को दिया नया जीवन
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( Image Source:  Sora_ AI )
सागर द्विवेदी
By: सागर द्विवेदी

Updated on: 6 Aug 2025 11:12 AM IST

तमिलनाडु के त्रिची जिले के कत्तूर की 33 वर्षीय गृहिणी सेल्वा बृंदा ने एक ऐसा काम किया है, जिसकी मिसाल आज पूरा देश दे रहा है. दो बच्चों की मां बृंदा ने 22 महीनों में 300.17 लीटर मां का दूध दान किया, जिससे हजारों समयपूर्व और बीमार नवजात शिशुओं को नया जीवन मिला. उनकी इस अद्भुत सेवा ने उन्हें एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में स्थान दिलाया है.

सेल्वा बृंदा का यह मानवीय अभियान सिर्फ मातृत्व नहीं, बल्कि संवेदना, दृढ़ निश्चय और सामाजिक जागरूकता का प्रतीक बन गया है. उन्होंने त्रिची के महात्मा गांधी मेमोरियल गवर्नमेंट हॉस्पिटल के मिल्क बैंक को 2023-24 में जितना दूध मिला, उसका लगभग आधा अकेले दान किया.

एक मां से 'मिल्क डोनर' बनने तक का सफर

बृंदा की यह यात्रा अप्रैल 2023 में शुरू हुई, जब उनकी बेटी को नवजात गहन चिकित्सा इकाई (NICU) में भर्ती कराया गया. वहां उन्होंने देखा कि समयपूर्व शिशुओं को जीवित रखने के लिए डोनर मिल्क कितना जरूरी होता है. जब उनका दूध अपनी बेटी की जरूरत से अधिक होने लगा, तब उन्होंने उसे दान करने का फैसला लिया.

शुरुआत में झिझक, बाद में बना जुनून

बृंदा ने कहा कि शुरू में आसान नहीं था. वजन कम हो गया, लोगों ने शक की नजरों से देखा, लेकिन जब मुझे पता चला कि दूध पंप करने से कैलोरी बर्न होती है और यह सेहत के लिए नुकसानदायक नहीं है, तब मैंने हार नहीं मानी. धीरे-धीरे इस काम से भावनात्मक रूप से जुड़ गई.

हजारों बच्चों की जान बनीं बृंदा

एक नवजात शिशु को एक दिन में 10-12 बार 20ml से 40ml दूध की जरूरत होती है. ऐसे में बृंदा द्वारा दिया गया दूध हजारों शिशुओं को जीवनदान देने में सक्षम रहा. अस्पताल की बाल रोग विशेषज्ञ और मिल्क बैंक की प्रभारी डॉ. एस. पद्मप्रिया ने कहा, उन्होंने एक असाधारण उदाहरण पेश किया है. हम उन्हें 7 अगस्त को विश्व स्तनपान सप्ताह के समापन समारोह में सम्मानित करेंगे.

परिवार का साथ और सामाजिक संदेश

बृंदा के इस सफर में उनके परिवार ने उनका पूरा साथ दिया. वे कहती हैं, एक छोटा-सा योगदान भी किसी जरूरतमंद बच्चे को पोषण दे सकता है. सिर्फ यही सोच काफी है कुछ करने के लिए. उन्होंने यह भी अपील की कि स्तन दूध दान को लेकर फैली चुप्पी और सामाजिक संकोच को तोड़ा जाए. जब लोग समझ जाते हैं कि ये जिंदगियां बचाने की बात है, तो हिचक खुद ही खत्म हो जाती है.

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