शांत सड़कें और जूते चप्पलों के ढेर बता रहे करूर का दर्द, भगदड़ के बाद ऐसा दिख रहा मंजर; विजय की रैली बनी त्रासदी | Video
तमिलनाडु के करूर में अभिनेता-राजनेता विजय की रैली एक खौफनाक हादसे में बदल गई. भगदड़ में 39 लोगों की मौत हुई, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं. घटनास्थल पर जूते-चप्पलों का अंबार और टूटे झंडे अब भी भयावह मंजर बयां कर रहे हैं. प्रशासन पर लापरवाही के आरोप और भीड़ नियंत्रण की नाकामी ने इस हादसे को और गंभीर बना दिया है.

करूर की सड़कें अब शांत हैं, लेकिन वहां की भयावह यादें अब भी जीवित हैं. जूतों और चप्पलों के ढेर, कुचली हुई पानी की बोतलें, फटे झंडे और बिखरे कपड़े बता रहे हैं कि पिछली रात क्या हुआ. जिस जगह खुशी और उत्साह की लहरें थीं, वहीं अचानक डर और अफरा-तफरी का माहौल बन गया. सुबह-सुबह टहलने निकले लोग और दूध लेने वाले दुकानदार इस मंजर को देखकर हैरान रह गए.
हादसे के बाद अब तक 39 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और इनमें कई महिलाएं और बच्चे शामिल हैं. रैली में शामिल लोग अब भी उस भयानक पल को याद करके कांप रहे हैं. यह घटना न केवल तमिलनाडु, बल्कि पूरे देश के लिए एक चेतावनी बनकर सामने आई है कि भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा इंतजाम कितने महत्वपूर्ण हैं.
परिजनों पर टूटा दुखों का पहाड़
मरने वालों के शव परिजनों को सौंपे जा रहे हैं और उनके आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे. परिवार वाले हृदयविदारक पीड़ा में हैं, और हर शव उनके लिए एक अधूरी कहानी बन गया है. इस हादसे में कुल 17 महिलाएं, 13 पुरुष, 4 लड़के और 5 बच्चियां मारी गई हैं. हर घर में मातम पसरा है, और उनके परिवार इस त्रासदी को समझने की कोशिश कर रहे हैं.
प्रशासन पर उठे सवाल
इस भयावह घटना ने प्रशासन पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं. विजय का यह रोड शो उस समय आयोजित हुआ जब पहले से ही रोड शो पर बैन था. प्रशासन के अनुसार, रैली में अनुमत संख्या से कई गुना ज्यादा लोग शामिल हुए थे. फिर भी सवाल है कि क्यों अनुमति दी गई और भीड़ नियंत्रण के लिए पर्याप्त इंतजाम क्यों नहीं किए गए.
बच्ची के लापता होने की अफवाह ने बढ़ाया तनाव
पुलिस सूत्रों के अनुसार, रैली के दौरान भीड़ अपने नेता का भाषण सुन रही थी. तभी किसी ने 9 साल की बच्ची के लापता होने की अफवाह फैलाई. भीड़ ने बच्ची को ढूंढने के लिए एक दिशा में बढ़ना शुरू किया, और अचानक भारी भीड़ के एक ही दिशा में इकट्ठा होने से भगदड़ मच गई. पुलिस भीड़ को नियंत्रित करने में असमर्थ रही और स्थिति जल्दी ही बेकाबू हो गई.
स्वास्थ्य सचिव ने दी जानकारी
तमिलनाडु के स्वास्थ्य सचिव पी. सेंथिल कुमार ने बताया कि 39 मृतकों में से 30 का पोस्टमार्टम हो चुका है. घायलों में से 26 का OPD में इलाज हुआ और 67 घायलों को IPD में भर्ती कराया गया. दो मरीजों की हालत गंभीर है जबकि बाकी की स्थिति स्थिर है. स्वास्थ्य विभाग ने घटनास्थल पर तुरंत राहत कार्य शुरू किया और एंबुलेंस व चिकित्सा टीमें सक्रिय रहीं.
घटनास्थल का भयावह मंजर
स्थानीय लोगों और वीडियोग्राफर्स ने बताया कि सड़क किनारे, फुटपाथ और सीवरेज तक लोग धकेले गए. कई लोग दम घुटने से बेहोश होकर गिर पड़े. पुलिस ने रिस्ट्रिक्टेड एरिया लगाकर आम लोगों को प्रवेश से रोका. बुज़ुर्ग और आसपास के लोग घटना को देखकर स्तब्ध रह गए.
त्रासदी में बदला अवसर
भगदड़ में बचने वाले युवक ने बताया कि वह और कई लोग कठिन प्रयास के बाद बाहर निकले. कई लोग सड़क किनारे निचले सीवरेज में गिर गए. उनके लिए यह उत्सव और जश्न का अवसर एक त्रासदी में बदल गया. भगदड़ में गिरने वाले और उन पर कदम रखने वालों ने अपनी जान जोखिम में डाली.
विजय रैली की चेतावनी
यह हादसा केवल एक राजनीतिक रैली की भूल नहीं है, बल्कि भीड़ नियंत्रण, सुरक्षा और प्रशासनिक योजना की कमी की याद दिलाता है. भविष्य में ऐसी त्रासदियों से बचने के लिए कड़े नियम, अधिक सुरक्षा बल और सही समय पर अनुमति जैसी जिम्मेदारियाँ पूरी करनी होंगी. यह हादसा सभी के लिए एक भावनात्मक और प्रशासनिक सबक बनकर रह गया है.