'धर्मनिरपेक्षता यूरोपीय सोच, इसे वहीं रहने दें', तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि के बयान पर मचा बवाल
Tamil Nadu governor RN Ravi on secularism: तमिलनाडु के राज्यपाल ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान बोला कि इस देश के लोगों के साथ बहुत धोखाधड़ी की गई है और उनमें से एक यह है कि उन्होंने धर्मनिरपेक्षता की गलत व्याख्या करने की कोशिश की है.

Tamil Nadu governor RN Ravi on secularism: तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि अक्सर अपने बयान को लेकर सुर्खियों में रहते हैं. अब धर्मनिरपेक्षता के मूल और अर्थ पर राज्यपाल आर.एन. रवि की टिप्पणी से बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. कांग्रेस और अन्य दलों के नेताओं ने इसे संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के लिए एक गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणी बताया है.
तमिलनाडु के कन्याकुमारी में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में राज्यपाल आर.एन. रवि ने धर्मनिरपेक्षता को यूरोप से आई हुई अवधारणा बताया है. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि भारत में इसका कोई स्थान नहीं है. राज्यपाल ने कहा, 'इस देश के लोगों के साथ बहुत धोखाधड़ी की गई है और उनमें से एक यह है कि उन्होंने धर्मनिरपेक्षता की गलत व्याख्या करने की कोशिश की है. धर्मनिरपेक्षता का क्या मतलब है? धर्मनिरपेक्षता एक यूरोपीय अवधारणा है और यह भारतीय अवधारणा नहीं है.'
'भारत धर्म से दूर कैसे हो सकता है?'
उन्होंने आगे कहा, 'यूरोप में धर्मनिरपेक्षता इसलिए आई क्योंकि वहां चर्च और राजा के बीच लड़ाई थी. भारत धर्म से दूर कैसे हो सकता है? धर्मनिरपेक्षता एक यूरोपीय अवधारणा है और इसे वहीं रहने दिया जाना चाहिए. भारत में धर्मनिरपेक्षता की कोई आवश्यकता नहीं है.'
राज्यपाल के बयान पर हो रहा घमासान
राज्यपाल के इस बयान को लेकर अब बवाल मच गया है. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (Marxist) या CPI(M) की नेता वृंदा करात ने कहा कि राज्यपाल की टिप्पणी भ्रमित करने वाली है, क्योंकि इसका अर्थ होगा कि संविधान उनके लिए ज्यादा महत्व नहीं रखता है. उन्होंने कहा, "राज्यपाल का बयान दर्शाता है कि वह संविधान को भी विदेशी अवधारणा मानते हैं. जो लोग संविधान में विश्वास करते हैं, जो लोग इस पर सवाल उठाते हैं. वे राज्यपाल की कुर्सी पर बैठे हैं.'
तमिलनाडु कांग्रेस ने भी साधा निशाना
तमिलनाडु के विरुधुनगर से कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि राज्यपाल की टिप्पणी संविधान के खिलाफ है. तीन बार सांसद रहे टैगोर ने कहा, 'विदेशों में धर्मनिरपेक्षता का विचार भले ही अलग हो, लेकिन भारत में हम सभी अन्य धर्मों, सभी परंपराओं और सभी प्रथाओं का सम्मान करते हैं और यही भारत में धर्मनिरपेक्षता का विचार है.'
केंद्र और विपक्ष शासित राज्यों में राज्यपालों और राज्य के नेताओं के बीच अक्सर तनाव देखने को मिलता है. केरल और पश्चिम बंगाल के राज्यपालों और मुख्यमंत्रियों के बीच टकराव देखने को मिला है.