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'हर साल यही होता है', दिल्ली प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई CAQM को फटकार, पराली पर भी पूछे सवाल

Supreme Court on Delhi Air Pollution: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को फसल अवशेष जलाने के कारण राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण को रोकने में विफल रहने पर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) को कड़ी फटकार लगाई. कोर्ट ने सवाल किया कि आयोग बीते 3 सालों में इसे रोकने के लिए कौन-कौन से कदम उठाए हैं?

हर साल यही होता है, दिल्ली प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई CAQM को फटकार, पराली पर भी पूछे सवाल
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Supreme Court on Delhi Air Pollution
सचिन सिंह
Edited By: सचिन सिंह

Updated on: 27 Sept 2024 8:22 PM IST

Supreme Court on Delhi Air Pollution: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली में प्रदूषण को रोकने में नाकाम होने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) को फटकार लगाई है. CAQM का मुख्य काम दिल्ली एनसीआर के लिए वायु के क्वालिटी को मेंटेन करना है. सुप्रीम कोर्ट पराली जलाने के मुद्दे पर CAQM की खिंचाई की. कोर्ट ने कहा कि पैनल प्रदूषण को रोकने और वायु गुणवत्ता को प्रबंधित करने के लिए कदम नहीं उठा रहा है, जिससे यह क्षेत्र गंभीर समस्या के कगार पर पहुंच गया है.

जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस एजी मसीह की पीठ ने कहा कि वायु गुणवत्ता पैनल ने वायु गुणवत्ता की निगरानी के लिए कोई समिति नहीं बनाई है. कोर्ट ने पूछा, 'धारा 12 के तहत कितने निर्देश पारित किए गए हैं? सुरक्षा और प्रवर्तन के लिए समिति ने क्या कार्रवाई की है? क्या किसी निर्देश ने समस्या को ठीक करने में मदद की है? हर साल यही होता है- गंभीर प्रदूषण का मुद्दा. क्या इसमें कमी आ रही है?'

निर्देश केवल कागजों पर -सुप्रीम कोर्ट

सुनवाई के दौरान सीएक्यूएम के अध्यक्ष राजेश वर्मा ने सफाई देते हुए कोर्ट को बताया कि पैनल हर तीन महीने में एक बार बैठक करता है. इस पर कोर्ट ने कहा, 'जमीनी स्तर पर पराली जलाने के वैकल्पिक उपकरणों का उपयोग सुनिश्चित करने के लिए प्रयासों की आवश्यकता है. चूंकि प्राधिकरण का गठन तीन साल पहले किया गया था, इसलिए आप यह नहीं कह सकते कि सभी आदेशों का पालन किया गया है. जब तक आप गैर-अनुपालन के लिए धारा 14 के तहत कार्रवाई नहीं करते है, तब तक निर्देश केवल कागजों पर ही रहेंगे.'

सुप्रीम कोर्ट ने सीएक्यूएम को बेहतर अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने और मामले की सुनवाई गुरुवार 3 अक्टूबर को करने का निर्देश दिया. इससे पहले कोर्ट ने पैनल से पूछा कि पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?

पराली जलाने पर भी उठे सवाल

एमिकस क्यूरी के रूप में कोर्ट की सहायता कर रही वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने कुछ न्यूज पेपर्स की रिपोर्टों का हवाला दिया और कहा कि ऐसा लगता है कि दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में पराली जलाना शुरू हो गया है. उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया कि वह सीएक्यूएम से स्पष्टीकरण मांगे कि पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं और सीएक्यूएम अधिनियम के तहत धान की पराली जलाने की जांच के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं.

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