'बुलडोजर जस्टिस मंजूर नहीं', अपने आखिरी जजमेंट में बोले चीफ जस्टिस चंद्रचूड़
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया चंद्रचूड़ ने बुलडोजर एक्शन पर बड़ा फैसला सुनाया है. उन्होंने कहा कि यह अस्वीकार्य है. इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान निर्देश देते हुए कहा किसी भी प्रॉपर्टी को गिराने के लिए उसका उचित सर्वे, लिखित नोटिस और आपत्तियों पर विचार किया जाना चाहिए.

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया चंद्रचूड़ हाल ही में रिटायर हुए हैं. लेकिन रिटायरमेंट से पहले उन्होंने बुलडोजर एक्शन पर बड़ा फैसला सुनाया है. दरअसल एक मामले में सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा कि कानून के शासन के तहत बुडोजर एक्शन अस्वीकार्य है. इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि यदी इसकी अनुमति भी दी जाती है तो यह आर्टिकल-300 ए के तहत संपत्ति के अधिकार की संवैधानिक मान्यता खत्म हो जाएगी.
दरअसल साल 2019 में यूपी के महाराजगंज जिले में पत्रकार मनोज टिबरेवाल आकाश के आवास को बुलोजर एक्शन के तहत तोड़कर गिरा दिया गया था. जिसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. जिसपर सुनवाई करते हुए सीजीआई चंद्रचूड़ ने ये फैसला सुनाया है. हालांकि इस मामले पर छह नंवबर को भी सुनवाई हुई थी. लेकिन अदालत ने अपने पूरे जजमेंट को शनिवार को अपलोड किया है. इसी जजमेंट में बुलडोजर एक्शन का भी जिक्र किया गया है.
अंतिम सुरक्षा होता है आवास
इस फैसले में इस व्यवस्था पर कहा कि यह स्वीकारीय नहीं है. इस बात का गंभीर खतरा है कि अगर राज्य के किसी भी अधिकारी द्वारा मनमानी और गैरकानूनी व्यवहार की अनुमति दी जाती है तो जनता की संपत्तियों को प्रतिशोध के चलते ध्वस्त कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि जनता की आवाज को और उनके आवास को ऐसे धमकी देकर के नहीं दबाया जा सकता है. सुनवाई के दौरान सीजीआई ने कहा कि एक इंसान के पास उसकी अंतिम सुरक्षा उसका आवास होता है. इसलिए सपंत्ति पर अवैध कब्जा और अतिक्रमण को सही नहीं ठहराया जा सकता.
कोर्ट ने दिया आदेश
वहीं सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि सरकार ने इस मामले में उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया है. इस पर UP सरकार को कोर्ट ने याचिकाकर्ता को 25 लाख रुपये मुआवजा राशि देने का निर्देश जारी किया है. साथ ही इस मामले में संबंधित जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ एक्शन लेने की भी बात अदालत ने कही है.