अब मास्टर साहब नहीं बना पाएंगे मस्ती भरे रील! हिमाचल प्रदेश में क्या है सुखु सरकार का नया फरमान?
हिमाचल प्रदेश सरकार ने स्कूल और कॉलेजों के शिक्षकों के लिए बड़ा फैसला लिया है. सरकार ने स्कूल और कॉलेज परिसर में किसी भी तरह की वीडियो या फिर रील बनने पर रोक लगा दी है. इस संबंध में सरकार ने एक नोटिफिकेशन भी जारी किया है. हालांकि इसे लेकर कई प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. सरकार के इस कदम को पेरेंट्स ने अच्छा फैसला बताया.

हिमाचल प्रदेश में सुक्खू सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी किया है. इस नोटिफिकेशन के अनुसार स्कूल के अंदर शिक्षक एजुकेशनस वीडियो के अलावा रील्स नहीं बना सकेंगे. सरकार का ऐसा मानना है कि ये बच्चों के विकास में रोक लगाता है. इससे उनका ध्यान भी दूसरी ओर खींचता है और इस तरह बच्चे अपने लक्ष्यों से भटकते हैं. इसलिए ये कदम जरूरी था.
सरकार द्वारा जारी किए गए इस फरमान से काफी हड़कंप मचा है. कुछ अभिभावक इसके पक्ष में बात कर रहे हैं, और सरकार के इस फैसले को अच्छा कदम बता रहें हैं. अभिभावकों का मानना है कि आज के समय में बच्चे घंटों भर सोशळ मीडिया पर बर्बाद कर देते हैं. यह उन्हें मोबाइल की लत से रोकने में मदद करेगा.
स्कूल-कॉलेज शिक्षकों के लिए सरकार का फरमान
आपको बता दें कि ये नोटिफिकेशन स्कूल और कॉलेज के शिक्षकों के लिए जारी किया गया है. जानकारी के अनुसार स्कूल और कॉलेज परिसर में मोबाइल के इस्तेमाल का गलत असर पढ़ता है. जो बिल्कुल ठीक नहीं है.अपने शिक्षक दोस्तों के साथ रील्स और वीडियो बनाने की अब अनुमति नहीं होगी. टीचर, कर्मियों और स्टूडेंट्स शैक्षिक प्रदर्शन, व्यक्तित्व निर्माण, संस्थान निर्माण और सबसे बढ़कर राष्ट्र निर्माण गतिविधियों के लिए प्रेरित हों, ऐसी गतिविधियां होनी चाहिए. इस नोटिस में आगे ऐसी एक्टीविटीज पर रोक लगाने के लिए कड़ी निगरानी के निर्देश दिए गए हैं. साथ ही छात्रों का ध्यान और उनकी एनर्जी स्पोर्ट्स, को-करिकुलम एक्टीविटीज, अकैडमिक एक्टिवीटीज में लगाना चाहिए ताकी इससे वह अपने भविष्य को बेहतर बना सके और एक अच्छे नागरिक बनें.
क्यों लिया गया ये फैसला?
सरकार के इस फैसले के पीछे सीधा मकसद है कि स्कूल के अंदर कई शिक्षक अपने स्टाफ मेंबर्स के साथ क्रिएटिव वीडियो और रील्स बनाने में जुटे रहते हैं. इस कारण बच्चों की अकैडमिक शिक्षा पर पड़ रहा है. इसका बच्चों के डेवलपमेंट से कोई लेना देना नहीं है. इससे केवल बच्चों का ध्यान उन्हें उनके लक्ष्यों से भटकाता है और सोशल मीडिया चलाने के लिए उन्हें इंफ्लूएंस करता है. इससे छात्रों की एनर्जी और टाइम दोनों ही वेस्ट हो रहे हैं. इसलिए इसपर रोक लगाई जा रही है.