'लोगों को परेशान करना बंद करें', बॉम्बे हाई कोर्ट ने ED पर लगाया 1 लाख रुपये का जुर्माना
बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को बिना जांच किए एक मामले में मनी लॉन्ड्रिंग की कार्रवाई शुरू करने पर फटकार लगाई है. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. कोर्ट ने कहा कि केंद्रीय एजेंसियां लोगों को परेशान करके कानून अपने हाथ में नहीं ले सकतीं.

Bombay High Court: बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. केंद्रीय एजेंसी ने एक रियल एस्टेट डेवलपर के खिलाफ बिना किसी गहन जांच के मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू कर दी. कोर्ट ने कहा कि केंद्रीय एजेंसियां लोगों को परेशान करके कानून अपने हाथ में नहीं ले सकतीं.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, हाईकोर्ट से जस्टिस मिलिंद जाधव की बेंच ने कहा कि ईडी और शिकायतकर्ता की "आपराधिक कार्रवाई स्पष्ट रूप से गलत है" वे "बिना गंभीरता से सोचे-समझे" कानून को अपने हाथ में नहीं ले सकते. ईडी और शिकायतकर्ता दोनों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया. कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसी एजेंसियों को एक "कड़ा संदेश" दिया जाना चाहिए कि उन्हें कानून के दायरे में रहकर काम करना चाहिए.
क्या है मामला?
एक प्रॉपर्टी डीलर ने राकेश जैन नाम के एक रियल डेवलपर पर नियमों के उल्लंघन और धोखाधड़ी का केस दर्ज था. यह शिकायत विले पार्ले पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई गई थी. इसकी एफआईआर के आधार पर ईडी ने राकेश जैन के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग केस की जांच शुरू कर दी. यह मामला अगस्त 2014 का है. अब 21 जनवरी को हाईकोर्ट ने विशेष अदालत की ओर से जारी नोटिस को रद्द किया.
जस्टिस जाधव ने अपने फैसले में कहा कि जैन के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है, इसलिए मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप भी टिकते नहीं हैं. जैन के खिलाफ शिकायतकर्ता का कदम और ईडी की कार्रवाई स्पष्ट रूप से दुर्भावनापूर्ण है और इसके लिए जुर्माना लगाने की आवश्यकता है. कोर्ट ने ईडी को चार सप्ताह के अंदर हाईकोर्ट लाइब्रेरी को एक लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया. पीठ ने मामले में शिकायतकर्ता (खरीदार) पर भी एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया. उसे जुर्माने का भु्गतान मुंबई स्थित कीर्तिकर लॉ लाइब्रेरी में करना होगा.
प्रॉपर्टी का था मामला
जानकारी के अनुसार, यह मामला एक प्रॉपर्टी से जुड़ा हुआ था, जिसे कोर्ट में राकेश जैन ने दायर किया था. जैन के वकील केविक सेतलवाड़ ने बताया कि शिकायतकर्ता गुल अछरा के साथ बिजनेस संपत्ति के लिए ओक्यूपेशन सर्टिफिकेट हासिल करने में देरी हुई, तभी से विवाद शुरू हो गया. अछरा ने जैन पर आरोप लगाया कि उसने धोखाधड़ी की और अंधेरी में दो फ्लैट्स और एक गैरज खरीदा गया था. ईडी ने इसे अपराध की आय करार देते हुए PMLA कोर्ट में रिपोर्ट दर्ज की और संपत्ति को जब्त कर ली.
हाईकोर्ट को पता चला कि अछरा ने मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट में शिकायत दर्ज कराते समय मुंबई पुलिस की जांच के निष्कर्षों को छुपाया था, जिसमें बताया गया था कि ये मामला असल में असैनिक था. अदालत ने कहा कि सिर्फ उल्लंघन खुद आपराधिक विश्वासघात का अपराध नहीं बनता. साथ ही राकेश जैन पर लगे आरोपों की कार्यवाही को रद्द कर दिया.