भाषा विवाद के बीच स्टालिन सरकार का केंद्र से नया पंगा, बजट में बदल दिया रुपये का सिंबल
तमिलनाडु सरकार ने तीन भाषा नीति विवाद के बीच रुपये के चिह्न को हटाकर उसकी जगह तमिल अक्षर अपनाने का फैसला किया है. यह कदम हिंदी थोपे जाने के विरोध और क्षेत्रीय पहचान को मजबूत करने के रूप में देखा जा रहा है. इस निर्णय से केंद्र और राज्य सरकार के बीच राजनीतिक बहस तेज हो सकती है.

तीन भाषा नीति को लेकर जारी विवाद के बीच तमिलनाडु की मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन की सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है. द्रविड़ मुन्नेत्र कझगम (DMK) सरकार ने रुपये के चिह्न को हटाकर उसकी जगह तमिल अक्षर को अपनाने का निर्णय लिया है. यह कदम राज्य की क्षेत्रीय पहचान को मजबूत करने और हिंदी के कथित थोपे जाने के विरोध के रूप में देखा जा रहा है.
यह फैसला ऐसे समय पर आया है जब संसद में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर हिंदी को थोपने का मुद्दा गरमाया हुआ है. तमिलनाडु सरकार लंबे समय से हिंदी अनिवार्यता के खिलाफ रही है और यह निर्णय उसकी भाषाई और सांस्कृतिक स्वायत्तता को बनाए रखने की दिशा में एक और प्रयास माना जा रहा है. इस कदम ने राजनीतिक बहस को और तेज कर दिया है, जिससे केंद्र और राज्य सरकार के बीच तनाव बढ़ सकता है.
अन्नामलाई ने की आलोचना
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के अन्नामलाई ने तमिलनाडु सरकार के रुपये के प्रतीक को बदलने के फैसले की आलोचना करते हुए मुख्यमंत्री स्टालिन पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि डीएमके सरकार का 2025-26 का बजट उस प्रतीक को हटा रहा है, जिसे एक तमिल डिजाइनर ने बनाया और पूरे भारत ने अपनाया. अन्नामलाई ने इसे मूर्खतापूर्ण कदम बताते हुए स्टालिन पर कटाक्ष किया.
तमिलों का अपमान कर रहे स्टालिन: अमित मालवीय
भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने रुपये के चिह्न को बदलने के लिए मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन की आलोचना की. एक्स पर एक पोस्ट में उन्होंने लिखा कि उदय कुमार धर्मलिंगम, जिन्होंने भारतीय रुपये का चिह्न डिजाइन किया था. वह पूर्व डीएमके विधायक के बेटे हैं और उनके द्वारा बनाए गए प्रतीक को पूरे भारत ने अपनाया था. मालवीय ने आरोप लगाया कि स्टालिन इसे बजट दस्तावेज़ से हटाकर तमिलों का अपमान कर रहे हैं और इसे हास्यास्पद करार दिया.