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बंगाल में 2208 बूथों पर झोल, 'इन पर नहीं हुई किसी की मौत, न ही कोई डुप्लीकेट वोट', EC ने अफसरों से तलब की रिपोर्ट

ईसी की ओर से नियुक्त बीएलओ की रिपोर्ट की मानें तो पश्चिम बंगाल में 2,208 बूथों पर न कोई मरा है, न ही कोई डुप्लीकेट वोट पाए गए हैं. ये तथ्य एसआईआर के तहत बीएलओ द्वारा भरे गए फार्मों के के आधार पर सामने आया है, लेकिन इस पर खुद चुनाव आयोग को भरोसा नहीं है. ईसी अब इस मामले की जांच में जुटी है. आखिर क्या है पूरा मामला, जानिए पूरा झोल.

बंगाल में 2208 बूथों पर झोल, इन पर नहीं हुई किसी की मौत, न ही कोई डुप्लीकेट वोट, EC ने अफसरों से तलब की रिपोर्ट
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पश्चिम बंगाल में चुनावी मतदाता सूची के विशेष सत्यापन अभियान (SIR) के दौरान चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है. बीएलओ से मिले तथ्यों के आधार पर चुनाव आयोग ने 2,208 मतदान बूथों को फ्लैग घोषित किया है. इन बूथों पर एक भी मतदाता मृत, डुप्लीकेट, स्थायी रूप से स्थानांतरित या गायब नहीं पाए गए हैं. यही वजह है कि ईसी ने इन बूथों को 'फ्लैग' बताते हुए इनके डाटा की जांच के आदेश दिए हैं. फिलहाल, यह मामला सामने आने से मतदाता सूची की विश्वसनीयता, चुनावी पारदर्शिता और भविष्य के मतदान पर सवाल खड़े हो गए हैं.

फ्लैग घोषित सभी बूथ जांच के दायरे में

द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक इलेक्शन कमीशन (EC) के सूत्रों ने बताया कि इन जगहों से बांटे गए हर गिनती के फॉर्म को भरकर वापस करने के बाद, पूरे पश्चिम बंगाल में कुल 2,208 पोलिंग बूथ जांच के दायरे में आ गए हैं, जिससे पता चलता है कि उनकी लिस्ट में एक भी मरा हुआ, डुप्लीकेट या पता न चलने वाला वोटर नहीं है.

साउथ 24 परगना में सबसे ज्यादा बूथ फ्लैग

चुनाव आयोग के अधिकारियों के मुताबिक, साउथ 24 परगना में ऐसे सबसे ज्यादा 760 बूथ हैं. इसके बाद पुरुलिया में 228 और मुर्शिदाबाद में 226 बूथ हैं. हावड़ा में इस कैटेगरी में 94 बूथ फ्लैग घोषित किए गए हैं. जबकि कोलकाता में सिर्फ एक बूथ ऐसे हैं. पश्चिम बंगाल में अभी 294 असेंबली सीटों में 78,000 से ज्यादा बूथ हैं.

चुनाव आयोग सूत्रों के अनुसार, "हमने इन जिलों और इलाकों के अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है. किसी मरे हुए वोटर के न होने के अलावा, इन बूथों पर कोई डुप्लीकेट या लापता वोटर नहीं हैं. ये बूथ जांच के दायरे में हैं."

अभी तक बांटे गए 99.90 फीसद फॉर्म

EC ने कहा कि सोमवार दोपहर तक 7,65,62,486 गिनती के फार्म बांटे गए, जो 4 नवंबर से शुरू हुए वोटर रोल के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) का 27वां दिन था. यह आंकड़ा कुल वोटरों का 99.90 परसेंट है.

फार्म बांटने की डेडलाइन 11 दिसंबर

बूथ-लेवल अधिकारियों (BLOs) द्वारा बांटे और इकट्ठा किए गए फार्म में से अब तक 7,38,57,023 डिजिटली अपलोड किए जा चुके हैं, जो कुल का 96.37 परसेंट है. रविवार को जारी एक बयान में पोल बॉडी ने घोषणा की कि गिनती के फॉर्म बांटने की डेडलाइन 4 दिसंबर से बढ़ाकर 11 दिसंबर कर दी गई है.

यानी अब ड्राफ्ट वोटर रोल का पब्लिकेशन 9 दिसंबर के बजाय 16 दिसंबर कर दिया गया है. जबकि फाइनल वोटर लिस्ट अब 7 फरवरी के बजाय 14 फरवरी, 2026 को जारी की जाएगी.

EC ने कहा कि उसने नौ राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में SIR शेड्यूल एक हफ्ते के लिए बढ़ा दिया है. विपक्षी पार्टियों ने चिंता जताई थी कि पहले की 'टाइट टाइमलाइन' जनता और ग्राउंड लेवल के पोल अधिकारियों दोनों के लिए मुश्किलें पैदा कर रही थीं.

फ्लैग बूथ भारी संख्या में सामने आने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने आरोप लगाया है कि कुछ राजनीतिक रूप से प्रेरित प्रखंड विकास अधिकारी, बूथ लेवल अधिकारी पर अपने ओटीपी साझा करने का दबाव बना रहे हैं. ताकि मृतकों, विस्थापितों और अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों के नाम मतदाता सूची के लिए विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया में शामिल किए जा सकें. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और कांग्रेस के नेताओं ने कल अपनी चिंताओं को प्रस्तुत करने के लिए विशेष मतदाता सूची पर्यवेक्षक से मुलाकात की. वहीं, आयोग के विशेष मतदाता सूची पर्यवेक्षक सुब्रत गुप्ता ने विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया से संबंधित शिकायतों के समाधान के लिए जनता, राजनीतिक दलों और संगठनों के साथ परामर्श शुरू कर दिया है.

बता दें कि पश्चिम बंगाल में विधानसभा की कुल 294 असेंबली सीटों के तहत 78,000 से ज्यादा बूथ हैं. 99.77% मतदाताओं के फार्म वितरित शपथ पत्र में बताया गया कि 99.77% मौजूदा मतदाताओं को पहले से भरे हुए एन्यूमरेशन फॉर्म दिए जा चुके हैं और 70.14% फॉर्म वापस प्राप्त हो चुके हैं.

अब आगे क्या होगा?

आयोग ने उन बूथों के enumeration data की फिर से छान-बीन का आदेश दिया है. यदि फर्जी entries या गड़बड़ी पाई जाती है तो मतदाता सूची को संशोधित करना होगा. ऐसे में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई संभव है. यह मामला पूरे SIR अभियान की विश्वसनीयता के लिए बेंचमार्क बन जाएगा. अन्य राज्यों में भी यह देखना होगा कि कहीं इसी प्रकार अजीब 100% enumeration, zero discrepancies रिपोर्ट तो नहीं हो रही है.

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