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Coca-Cola और PepsiCo के लिए चुनौती बन रहा रिलायंस का Campa Cola, सॉफ्ट ड्रिंक के मार्केट में कोहराम मचना तय

Campa Cola Returns: पेप्सिको इंडिया के पूर्व चेयरमैन शिव शिवकुमार ने कहा कि कैंपा को रिलायंस के वितरण और नए इनोवेशन लाने की क्षमता का लाभ है, लेकिन कैंपा को नुकसान से उबरने के लिए एक सीमा तय करनी होगी क्योंकि चीनी और प्लास्टिक की कीमतों के कारण मुनाफा हमेशा एक चुनौती रहेगा.

Coca-Cola और PepsiCo के लिए चुनौती बन रहा रिलायंस का Campa Cola, सॉफ्ट ड्रिंक के मार्केट में कोहराम मचना तय
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Campa Cola Returns
सचिन सिंह
Edited By: सचिन सिंह

Updated on: 22 Oct 2024 9:20 AM IST

Campa Cola Returns: रिलायंस इंडस्ट्रीज अपनी फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स (FMCG) की रिलायंस कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (RCPL) के जरिए 'कैम्पा कोला' को एक बार फिर से भारतीय बाजार में वापस लाना चाहती है. इसे रिलॉन्च कर मुकेश अंबानी ड्रिंक इंडस्ट्री में एक बार फिर से किसी भारतीय कंपनी का दबदबा स्थापित करने की कोशिश में लगे हैं. मार्केट में आने के बाद कोका-कोला और पेप्सिको जैसी स्थापित कंपनियों को चुनौती दे रहा है.

द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सस्ती कीमत और खुदरा विक्रेताओं के लिए हाई मार्जिन के साथ 'कैम्पा कोला' भारतीय बाजार में तहलका मचाने के लिए पूरी तरह से तैयार है. कैम्पा के फिर से लॉन्च होने की घोषणा ने इसके 'ग्रेट इंडियन स्वाद' की यादों को ताज़ा कर दिया है. 1970 के दशक में यह सॉफ्ट ड्रिंक बाजार में सबसे आगे हुआ करती थी, लेकिन पेप्सी और कोका-कोला जैसी विदेशी कंपनियों का सामना नहीं कर सकी और बाजार से बाहर हो गई.

त्योहारी सीजन में 'कैम्पा कोला' का प्रभाव

त्योहारी सीजन के पूरे जोरों पर होने के कारण रिलायंस ने अपनी मार्केटिंग को तेज कर दी है. पश्चिम बंगाल में हाल ही में दुर्गा पूजा समारोह के दौरान 'कैम्पा कोला' ने खास कीमतों की पेशकश करके चर्चा का विषय बना लिया. जहां कोक और पेप्सी ने अपनी 600 मिली की बोतलें 40 रुपये में बेचीं, वहीं कैम्पा कोला ने अपनी 200 मिली 10 रुपये और 500 मिली की बोतलों की कीमत 20 रुपये रखी, जिससे बजट के प्रति कस्टमर का ध्यान आकर्षित हुआ.

'कैम्पा कोला' की शुरुआत और इसका पतन

बाजार के उदारीकरण यानी साल 1991 तक कैम्पा कोला का भारतीय बाजार में दबदबा रहा. इस ड्रिंक को 1970 के दशक में प्योर ड्रिंक्स ग्रुप ने बनाया गया था. इससे पहले प्योर ड्रिंक्स कोक के साथ मिलकर कोका-कोला का निर्माण करता था, जिसकी शुरुआत 1949 में हुई थी. लेकिन 1970 के दशक में कोक के भारतीय बाजार से बाहर हो जाने के बाद प्योर ड्रिंक्स ने कैम्पा बेवरेजेज प्राइवेट लिमिटेड के साथ मिलकर 'कैम्पा कोला' शुरू किया.

ब्रांड का स्लोगन 'द ग्रेट इंडियन टेस्ट' बेहद पॉपुलर हुआ और नेशनलिज्म का मैसेज दिया. उस समय यह ब्रांड खूब फला-फूला, लेकिन 1990 के दशक में यह फीका पड़ने लगा. दिल्ली में इसके कार्यालय और बॉटलिंग प्लांट 2000-2001 में बंद हो गए और कंपनी ने हरियाणा में इस ब्रांड के तहत मुट्ठी भर बोतलें बनाना जारी रखा. हालांकि, वह भी धिरे-धिरे बंद हो गई.

Coca-Cola और PepsiCo के आगे चैलेंज

कोका-कोला और पेप्सिको जैसी दो बड़ी कंपनियों के बीच सदियों पुरानी लड़ाई को नए खिलाड़ी कैम्पा ने खत्म कर दिया है. अगर आमिर खान के प्रचार ने कभी 5 रुपये वाली कोक को बढ़ावा दिया था, तो अब रिलायंस ने कीमतों में बदलाव करते हुए कैम्पा की बोतलों को कोक या पेप्सी की आधी कीमत पर बेचना शुरू कर दिया है.

बेवरेज इंडस्ट्री के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि यह कोला की नई लड़ाई की शुरुआत. जैसे-जैसे ये कंपनी आगे जाएगी, मूल्य निर्धारण, वितरण, ई-कॉमर्स, उपभोक्ता संचार और प्रचार केंद्र में होंगे. बड़ी दो कंपनियां मानती हैं कि रिलायंस एक ताकत है, लेकिन वे इस बात पर भी जोर देती हैं कि तीसरे खिलाड़ी के लिए जगह है. कैम्पा ने न केवल कीमतों में कटौती की है. बल्कि इसने कोला, नींबू और संतरे जैसे कई स्वादों को भी बाजार में उतारा है.

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