दिल्ली ब्लास्ट का 'लैपटॉप भाई' से लिंक, फरीदाबाद के Dr को हंजुल्लाह ने भेजे बम बनाने के 42 Video, ‘रिमोट टेरर नेटवर्क’ का खुलासा
दिल्ली रेड फ़ोर्ट ब्लास्ट मॉड्युल की जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि विदेशी हैंडलरों ने फरीदाबाद के डॉक्टर मुज्ज़मिल गनई को एन्क्रिप्टेड ऐप के ज़रिये IED बनाने के 42 वीडियो भेजे थे. जांच में हंजुल्लाह, निसार, उक़ासा और दक्षिण भारत में सक्रिय कुख्यात हैंडलर ‘कर्नल/लैपटॉप भाई’ फैज़ल का लिंक सामने आया है. दिल्ली, कोयंबटूर और मंगलुरु ब्लास्ट में एक जैसी डिजिटल ट्रेनिंग, सामग्री और तकनीक मिलने से बड़े PAN-India रिमोट-गाइडेड टेरर नेटवर्क की आशंका मजबूत हुई है.
दिल्ली के लाल किला ब्लास्ट मॉड्युल की जांच में एक बेहद चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. The Indian Express की रिपोर्ट के अनुसार, फरीदाबाद के अल-फलाह मेडिकल कॉलेज से जुड़े जिन डॉक्टरों पर रेड फोर्ट ब्लास्ट मॉड्युल का हिस्सा होने का आरोप है, उन्हें विदेशी हैंडलरों में से एक ने एन्क्रिप्टेड ऐप्स के जरिये बम बनाने के कुल 42 वीडियो भेजे थे. यह वीडियो डॉक्टर मुअज्ज़मिल अहमद गनई को भेजे गए थे, जो धमाका करने वाले उमर नबी का सहयोगी और साथी था.
जांच एजेंसियों का मानना है कि इन विदेशी हैंडलरों ने न केवल मॉड्युल को IED बनाने की तकनीक सिखाई, बल्कि उन्हें आत्मघाती हमले की दिशा में भी धकेला. इसी कारण अब सुरक्षा एजेंसियां इन हैंडलरों की पहचान, उनके नेटवर्क और उनकी डिजिटल गतिविधियों का मिलान देश में पिछले कुछ वर्षों में हुए कई ‘DIY’ यानी खुद से विस्फोटक तैयार करके किए गए हमलों से कर रही हैं, खासकर दक्षिण भारत की उन घटनाओं से जिनमें इसी तरह का पैटर्न देखा गया है.
हैंडलर: हंजुल्लाह, निसार और उक़ासा - असली नाम या सिर्फ़ कोडनेम?
जांच में तीन विदेशी हैंडलरों के नाम सामने आए हैं - हंजुल्लाह, निसार और उक़ासा. एजेंसियों को संदेह है कि ये असली नाम नहीं, बल्कि कोडनेम हैं. इनमें से हंजुल्लाह वह व्यक्ति है जिसने गनई को बम बनाने के 40 से अधिक वीडियो भेजे. यह सामग्री इतनी तकनीकी और विस्तृत थी कि इससे स्पष्ट होता है कि मॉड्युल को रिमोट-गाइडेड ट्रेनिंग मिल रही थी. गनई की गिरफ्तारी ब्लास्ट से 10 दिन पहले ही हो गई थी और उसकी जानकारी के आधार पर पुलिस को 2,500 किलो से अधिक विस्फोटक सामग्री मिली, जिसमें 350 किलो अमोनियम नाइट्रेट भी शामिल था. इस बरामदगी से यह समझ आता है कि मॉड्युल एक बड़े पैमाने पर विस्फोट की तैयारी में था और उसके पास बम बनाने का पर्याप्त कच्चा माल मौजूद था. इसी दौरान जांच में एक और नाम सामने आया - मोहम्मद शाहिद फैज़ल, जिसे ‘कर्नल’, ‘लैपटॉप भाई’ या ‘भाई’ के नामों से जाना जाता है और जो 2020 से दक्षिण भारत में कई आतंकी घटनाओं से जुड़ा माना जाता है.
‘कर्नल’, ‘लैपटॉप भाई’: दक्षिण भारत में सक्रिय वही कुख्यात हैंडलर फिर रडार पर
फैज़ल की कहानी भी कम चौंकाने वाली नहीं है. बेंगलुरु का इंजीनियरिंग ग्रेजुएट फैज़ल 2012 में लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े एक बड़े आतंकी साजिश के खुलासे के बाद लापता हो गया था. उस समय कई इंजीनियर, डॉक्टर और युवा गिरफ्तार हुए थे, जबकि फैज़ल पाकिस्तान भाग गया. सूत्रों के मुताबिक, फैज़ल पिछले कुछ वर्षों में सीरिया-तुर्की बॉर्डर से सक्रिय था और वहीं से वह तमिलनाडु एवं कर्नाटक के मॉड्युलों को ‘DIY IED’ ट्रेनिंग और फंडिंग देता था. NIA ने बेंगलुरु के रमेश्वरम कैफे ब्लास्ट की जांच में उसकी पहचान पुख्ता की और उसे फरार आरोपी घोषित किया. वही फैज़ल अब रेड फोर्ट ब्लास्ट मॉड्युल के संदिग्ध नेटवर्क में भी दिखाई दे रहा है, जिससे यह संकेत मिलता है कि भारत में हुए कई छोटे-छोटे मॉड्युल शायद किसी बड़े, पहले से मौजूद डिजिटल नेटवर्क का हिस्सा थे.
क्या दिल्ली ब्लास्ट दक्षिण भारत के ब्लास्ट्स से जुड़ा है?
जांच एजेंसियों को संदेह है कि दिल्ली रेड फोर्ट ब्लास्ट की योजना और दक्षिण भारत के कई ब्लास्ट्स के बीच कड़ी मौजूद है. कर्नाटक पुलिस के सूत्रों के अनुसार दिल्ली ब्लास्ट में इस्तेमाल किए गए डिजिटल तरीके, एन्क्रिप्टेड ऐप्स और सामग्री जुटाने का तरीका उन मॉड्युलों से मिलता है जो 2022 में कोयंबटूर और मंगलुरु ब्लास्ट में सक्रिय थे. हैंडलिंग के स्तर पर भी कई समानताएं मिली हैं, खासकर इस बात में कि कैसे एक ही तरह के वीडियो, एक ही तरह की भाषा में निर्देश और एक ही प्रकार की सामग्री जुटाने के सुझाव मॉड्युलों को भेजे गए. इसके अलावा ‘उक़ासा’ नाम का एक तुर्की-आधारित हैंडलर दिल्ली मॉड्युल से जुड़ा माना जा रहा है, जिससे अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क की संभावना और मजबूत होती है.
कोयंबटूर कार सुसाइड ब्लास्ट: दिल्ली ब्लास्ट से सबसे ज्यादा समानताएं
दिल्ली ब्लास्ट की समानताएं सबसे ज्यादा 23 अक्टूबर 2022 को तमिलनाडु के कोयंबटूर में हुए कार सुसाइड ब्लास्ट से मिलती हैं. उस घटना में 28 वर्षीय जेम्शा मुबीन ने एक सेकेंड-हैंड मारुति 800 कार खरीदी थी, सिर्फ एक आत्मघाती धमाका करने के उद्देश्य से. तड़के सुबह 4 बजे, एक मंदिर के बाहर यह कार विस्फोट से उड़ी और मुबीन की मौत हो गई. जांच में सामने आया कि मुबीन ने IED को LPG सिलेंडर में फिट कर ट्रिगर बनाया था. उसके ठिकानों से पोटैशियम नाइट्रेट, रेड फॉस्फोरस, PETN पाउडर, बैटरियां और DIY तकनीकों से जुड़ी सामग्री मिली थी, बिलकुल वैसे ही जैसे दक्षिण भारत और दिल्ली मॉड्युल में मिलने वाली सामग्री और तरीके सामने आए हैं. NIA ने अदालत को यह भी बताया था कि कोयंबटूर और मंगलुरु ब्लास्ट में एक ‘कॉमन लिंक’ था - रिमोट हैंडलर.
कोयंबटूर ब्लास्ट की जांच में मिली सबसे महत्वपूर्ण चीज थी मुबीन का एक ‘सेल्फ-कन्फेशन वीडियो’, जिसमें उसने बताया था कि वह ‘जिहाद’ के नाम पर यह हमला क्यों कर रहा है. उस वीडियो से साफ पता चला कि मुबीन को ऑनलाइन ‘हैंडल’ किया गया था. इसके अलावा, मुबीन और उसके सहयोगियों ने उर्वरकों से अमोनियम नाइट्रेट तैयार करने की कोशिश की थी - यह पैटर्न दिल्ली मॉड्युल में भी मिलता है, जहां गनई के यहां बड़ी मात्रा में उसी प्रकार के रसायन मिले.
कर्नाटक-तमिलनाडु मॉड्युल: 2020 से 2025 तक एक जैसे पैटर्न पर काम
कर्नाटक और तमिलनाडु में 2020 से 2025 तक कई मॉड्युल पकड़े गए, जिनकी कार्यशैली एक जैसी थी. ये मॉड्युल सोशल मीडिया पर इस्लामिक स्टेट के नाम का इस्तेमाल करते थे, युवाओं को ऑनलाइन रेडिकलाइज करते थे और उन्हें ऐसी तकनीकें सिखाते थे जिनसे रोज़मर्रा के सामान से IED बनाया जा सकता था. इन मॉड्युल के सदस्य आपस में कभी मिले नहीं, लेकिन उनकी ट्रेनिंग, सामग्री और तरीके लगभग एक जैसे थे. इसी से सुरक्षा एजेंसियों को शक हुआ कि यह किसी ‘डिजिटल जिहादी नेटवर्क’ का काम है, जिसके कई हैंडलर हो सकते हैं. NIA ने रामेश्वरम कैफे ब्लास्ट के दो आरोपियों मुस्साविर हुसैन और अब्दुल मतीन ताहा की गिरफ्तारी के बाद यह साफ किया कि फैज़ल उर्फ़ ‘कर्नल’ इस नेटवर्क का केंद्रीय हैंडलर था.
NIA कोर्ट ने मार्च 2025 में दिए अपने आदेश में कहा कि ‘कर्नल’ युवाओं को ‘इस्तिशहाद’ यानी आत्मघाती हमलों के लिए, ‘लोन वुल्फ़ अटैक’ के लिए और भीड़ पर बड़े हमलों के लिए तैयार करता था. यह वही तकनीक है जो दिल्ली मॉड्युल में भी देखी जा रही है. इसके अलावा 2022 के मंगलुरु ऑटो ब्लास्ट में भी आरोपी मोहम्मद शारिक और शिवमोग्गा मॉड्युल ने नदी किनारे खुद से बनाए IED का परीक्षण किया था - ठीक वैसे ही जैसे DIY मॉड्युल करते हैं.
फैज़ल कैसे पकड़ा गया? रामेश्वरम कैफ़े ब्लास्ट बना टर्निंग पॉइंट
दिल्ली ब्लास्ट के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने कर्नाटक और तमिलनाडु की जेलों में बंद IS-लिंक्ड मॉड्युल के आरोपियों से पूछताछ शुरू कर दी है, ताकि यह पता चल सके कि दिल्ली में सक्रिय हैंडलर कौन थे और क्या उनका फैज़ल या अन्य हैंडलरों से कोई सीधा संबंध है. शुरुआती डिजिटल सबूतों में तुर्की और पाकिस्तान के IP लोकेशन, डिलीट होते चैट, क्रिप्टोकरेंसी से फंडिंग, 40 से अधिक वीडियो और एन्क्रिप्टेड ऐप्स के प्रयोग की पुष्टि हुई है. इस पूरी जांच से यह संकेत मजबूत हो रहा है कि भारत में पिछले पांच वर्षों में सक्रिय रहे कई मॉड्युल वास्तव में एक बड़े, बहुस्तरीय, रिमोट-कंट्रोल्ड नेटवर्क का हिस्सा थे, जिसके हैंडलर विदेशों में बैठे हैं.
जांच अधिकारियों का कहना है कि इन मॉड्युलों ने एक ही प्रकार की ऑनलाइन कम्युनिकेशन, एक ही तरह के वीडियो, एक जैसी सामग्री और एक जैसी ऑपरेटिंग स्टाइल का इस्तेमाल किया. इस वजह से शक मजबूत है कि यह एक PAN-India नेटवर्क था, जो डिजिटल स्पेस का दुरुपयोग करके युवाओं को रेडिकलाइज कर रहा था. दिल्ली रेड फोर्ट ब्लास्ट की जांच अब इस दिशा में आगे बढ़ रही है कि क्या यह देशभर में फैले 2020–2025 के ‘डिजिटल जिहाद मॉड्युल’ का ही विस्तार है. अगले कुछ दिनों में डिजिटल डेटा एनालिसिस, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ के आधार पर यह तस्वीर और साफ होने की उम्मीद है कि दिल्ली ब्लास्ट एक अलग घटना थी या किसी बड़े, संगठित नेटवर्क की एक नई कड़ी.





