यात्रीगण कृपया ध्यान दें! समान हुआ चोरी तो अब रेल जिम्मेदार, कोर्ट का आदेश- यात्री को दो 4.7 लाख रुपए का मुआवजा
रेल से सफर के दौरान अक्सर हमें अपने सामान की चिंता सताती रहती है, लेकिन अब यात्रियों को परेशान होने की कोई आवश्यकता नहीं है. अब इसकी जिम्मेदारी रेल की होगी और अगर गलती से आपका सामान गायब होता है तो रेल को आपको मुआवजा देने होंगे.

रेल से कर रहे यात्री अब चैन की सांस लेकर सो पाएंगे, क्योंकि अब उनके समान की सुरक्षा रेलवे ही करेगा. यात्रा के दौरान अगर आपका समान कोई गायब कर ले जाता है, तो रेलवे को इसके लिए मुआवजा देना होगा.
राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) ने एक मामले की सुनवाई करते हुए रेलवे को आदेश दिया है कि वह यात्री को करीब 4.7 लाख रुपए का मुआवजा दे , जिसका सामान चोरी हो गया. यह घटना मई 2017 में अमरकंटक एक्सप्रेस में हुई थी.
क्या कहता है धारा 100?
कोर्ट में रेलवे ने दलील दी कि रेलवे अधिनियम की धारा 100 के तहत इसका प्रशासन तब तक सामान के नुकसान, विनाश या गिरावट के लिए जिम्मेदार नहीं है, जब तक कि किसी रेलकर्मी ने सामान बुक न किया हो और रसीद न दी हो.
जस्टिस सुदीप अहलूवालिया और रोहित कुमार सिंह की एनसीडीआरसी पीठ ने यात्री को मानसिक पीड़ा पहुंचाने के लिए रेलवे पर 20,000 रुपये का जुर्माना लगाते हुए कहा, 'इस मामले में रेलवे चोरी के लिए उत्तरदायी है और रेलवे अधिकारियों की लापरवाही के कारण याचिकाकर्ता (यात्री) को दी गई सेवा में कमी थी.'
कोर्ट की दिखी रेलवे की लापरवाही
कोर्ट ने आगे कहा, 'रेलवे अपने निजी सामान और सामान के साथ आरक्षित कोच में यात्रा करने वाले यात्रियों के प्रति देखभाल का कर्तव्य रखता है.' एनसीडीआरसी ने छत्तीसगढ़ राज्य उपभोक्ता आयोग के आदेश के खिलाफ दुर्ग याचिकाकर्ता के दिलीप कुमार चतुर्वेदी के दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया.
याचिकाकर्ता का ये मामला 9 मई 2017 का है, जब दिलीप कुमार चतुर्वेदी अपने परिवार के साथ स्लीपर कोच में कटनी से दुर्ग की यात्रा कर रहे थे. इस दौरान उनके सामान की चोरी हो गई. उन्होंने रेलवे पुलिस में अपने सामान, नकदी और लगभग 9.3 लाख रुपये मूल्य के सामान के चोरी होने की एफआईआर दर्ज कराई थी.
क्या है पूरा मामला?
इसके बाद उन्होंने दुर्ग जिला उपभोक्ता आयोग में मामला दर्ज कराया. जिला उपभोक्ता आयोग ने मामले की सुनवाई करते हुए दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के जीएम, दुर्ग स्टेशन मास्टर और बिलासपुर जीआरपी थाना प्रभारी को दावा की गई राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया, लेकिन रेलवे ने फिर इसे राज्य आयोग में आदेश को चुनौती दी, जिसने जिला आयोग के आदेश को रद्द कर दिया.
दिलीप कुमार चतुर्वेदी भी कहां रुकने वाले थे. उन्होंने एनसीडीआरसी के समक्ष एक पुनरीक्षण याचिका दायर की, जिसमें कहा गया कि टीटीई और रेलवे पुलिस कर्मचारियों ने आरक्षित कोच में अनधिकृत व्यक्तियों को प्रवेश देने में घोर लापरवाही बरती थी. उनके वकील ने कहा कि चोरी हुआ सामान जंजीर से बंधा हुआ था और लापरवाही के मामले में धारा 100 के तहत बचाव का दायरा नहीं बढ़ाया जा सकता है.