पीएम मोदी ने 79वें स्वतंत्रता दिवस पर पहनी केसरिया पगड़ी, 2014 से अब तक ऐसे बदलते गए PM की पगड़ी के रंग
79वें स्वतंत्रता दिवस पर पीएम नरेंद्र मोदी ने लाल किले से राष्ट्र को संबोधित करते हुए केसरिया पगड़ी, तिरंगा स्टोल और बंदगला जैकेट पहनी. 2014 से हर साल बदले पगड़ी के रंग देश की सांस्कृतिक विविधता और राजनीतिक संदेश का प्रतीक रहे हैं. लाल से बहुरंगी, गुलाबी से केसरिया तक का यह सफर साहस, ऊर्जा और आत्मनिर्भर भारत के संदेश को दर्शाता है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 79वें स्वतंत्रता दिवस पर अपनी खास शैली का प्रदर्शन करते हुए लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित किया. इस बार उन्होंने अपने पारंपरिक सफेद कुर्ता-चुड़ीदार के साथ केसरिया पगड़ी, तिरंगे रंग की स्टोल और बंदगला जैकेट पहना, जो आत्मविश्वास और भारतीय संस्कृति का प्रतीक थी. यह 12वां लगातार स्वतंत्रता दिवस है जब प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले से राष्ट्र को संबोधित किया.
पीएम मोदी की स्वतंत्रता दिवस की पगड़ियां वर्षों में अपने आप में एक दृश्य परंपरा बन गई हैं. उनकी पगड़ियों में न केवल रंगों की विविधता देखने को मिलती है, बल्कि ये भारतीय संस्कृति और विरासत का भी प्रतीक हैं.
पगड़ी की शैली और रंगों का सफर (2014-2025)
2014 में प्रधानमंत्री के रूप में उनका पहला स्वतंत्रता दिवस था, और उन्होंने जोधपुरी बांधेज़ लाल पगड़ी पहनी थी. यह पगड़ी उत्साह और जोश का प्रतीक मानी गई. अगले वर्ष 2015 में उन्होंने पीले और बहुरंगी क्रॉसक्रॉस पगड़ी अपनाई, जो आधुनिकता और पारंपरिकता का मिश्रण दिखाती थी. 2016 में पगड़ी का रंग गुलाबी और पीला टाई-एंड-डाई रहा, जबकि 2017 में उन्होंने गहरी लाल और पीली पगड़ी के साथ अपनी स्टाइल में निखार लाया.
2018 में केसरिया रंग ने एक शक्तिशाली और सिंगुलर स्टेटमेंट दिया. 2019 में हल्के नारंगी और लाल रंग के संयोजन ने उनकी पगड़ी को उत्सव का रूप दिया. 2020 में महामारी के समय उन्होंने सफेद स्कार्फ किनारे केसरिया पहनकर सुरक्षा और परंपरा दोनों का संदेश दिया.
2021 में क्रीम और केसरिया पगड़ी उनके हाफ-स्लीव्ड कुर्ता के साथ संगत थी. 2022 में उन्होंने केसरिया पगड़ी पर लाल मोतीफ के साथ नीली जैकेट और स्टोल पहनकर सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाया. 2023 में उन्होंने पीले, हरे और लाल बंधनी प्रिंट वाली पगड़ी और काली वी-नेक जैकेट पहनकर पारंपरिक और आधुनिक शैली का मिश्रण प्रस्तुत किया.
और इस बार 2025 में केसरिया पगड़ी ने उनकी शैली और आत्मविश्वास को नया आयाम दिया. यह रंग न केवल ऊर्जा और साहस का प्रतीक है, बल्कि भारतीयता और आत्मनिर्भरता का संदेश भी देता है.
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री का संदेश
केसरिया पगड़ी पहनकर प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि यह दिन हमें स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को साकार करने और विकसित भारत बनाने के लिए प्रेरित करता है. उन्होंने नागरिकों से आग्रह किया कि वे और अधिक मेहनत करें और देश की प्रगति में योगदान दें.
“सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं. यह दिन हमें हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को साकार करने और विकसित भारत बनाने के लिए प्रेरित करे. जय हिंद.” पीएम मोदी ने X (पूर्व ट्विटर) पर अपने संदेश में लिखा.
पगड़ी का सांस्कृतिक और प्रतीकात्मक महत्व
पीएम मोदी की पगड़ी सिर्फ परिधान नहीं है, बल्कि यह उनकी विचारधारा और दृष्टिकोण का प्रतीक है. हर साल बदलते रंग और डिज़ाइन देश की विविधता और समृद्ध संस्कृति को दर्शाते हैं. केसरिया, लाल, पीला और गुलाबी रंग केवल फैशन का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि ये साहस, ऊर्जा, उत्साह और देशभक्ति का संदेश देते हैं.
आधुनिक राजनीति में पगड़ी की पहचान
प्रधानमंत्री मोदी की पगड़ी ने भारतीय राजनीति में एक नया ट्रेंड स्थापित किया है. बता दें कि देशभर के लोग और समर्थक उनकी पगड़ी के रंगों और शैली पर नजर रखते हैं और हर साल यह चर्चा का विषय बनता है.
2014 से 2025 तक का विश्लेषण
2014 से लेकर 2025 तक प्रधानमंत्री की पगड़ियों का सफर केवल रंगों तक सीमित नहीं है. यह उनके नजरिए, राजनीतिक संदेश और राष्ट्र के प्रति उनके दृष्टिकोण का भी प्रतीक है. शुरुआती वर्षों में लाल और बहुरंगी पगड़ियों ने उत्साह और ऊर्जा का संदेश दिया, जबकि हाल के वर्षों में केसरिया और पारंपरिक प्रिंट ने आत्मनिर्भरता और भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों को दर्शाया. इस तरह, हर साल की पगड़ी ने एक कहानी बताई है. 2025 की केसरिया पगड़ी ने यह साबित किया कि पीएम मोदी न केवल नेतृत्व में बल्कि सांस्कृतिक प्रतीकों में भी लगातार एक पहचान बनाए हुए हैं.
पीएम मोदी की पगड़ी केवल फैशन या पहनावा नहीं है, बल्कि यह उनकी दृष्टि, साहस और देशभक्ति का प्रतीक है. 2014 से 2025 तक उनके पगड़ी के रंग और शैली ने भारतीय जनता के लिए एक दृढ़ संदेश दिया है कि देश की संस्कृति, परंपरा और आधुनिक नेतृत्व का संगम संभव है. इस बार की केसरिया पगड़ी ने राष्ट्रीय एकता और आत्मनिर्भरता के संदेश को और मजबूत किया है.