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'पाकिस्तान बनी भारत की पत्नी, ट्रंप को चुप कराओ'; संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा में इन नेताओं ने क्या कहा? Video Viral

संसद के मॉनसून सत्र में 'ऑपरेशन सिंदूर' पर बहस ने राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया. कांग्रेस, AIMIM और ASP के सांसदों ने सरकार की रणनीति, पारदर्शिता और पाकिस्तान नीति पर तीखे सवाल दागे. वहीं, शांभवी चौधरी और हनुमान बेनीवाल ने आक्रामक तेवर और भावनात्मक अंदाज़ में जवाब दिया. यह बहस आतंकवाद, विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा पर लोकतंत्र की परीक्षा बन गई.

पाकिस्तान बनी भारत की पत्नी, ट्रंप को चुप कराओ; संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा में इन नेताओं ने क्या कहा? Video Viral
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( Image Source:  sansad tv )
नवनीत कुमार
Curated By: नवनीत कुमार

Updated on: 29 July 2025 10:39 AM IST

संसद का मॉनसून सत्र सोमवार को देर रात तक चला. इस दौरान सदन हलचलों और ठहाकों से गूंजता रहा. 'ऑपरेशन सिंदूर' पर चर्चा ने सदन का तापमान बढ़ा दिया. एक ओर कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने सरकार की रणनीति को ऐतिहासिक भूल बताया, तो वहीं दूसरी तरफ नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल ने अपने तीखे और व्यंग्यपूर्ण लहजे से माहौल को हल्का कर दिया. पाकिस्तान पर की गई सर्जिकल कार्रवाई पर विपक्ष ने सीधे सवाल उठाए और सरकार की कथित ‘सावधानी’ पर कटाक्ष किए.

हुड्डा ने जहां अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और मैकडॉनल्ड्स का उदाहरण देकर वैश्विक राजनीतिक संकेत दिए, वहीं बेनीवाल ने ‘सिंदूर’ के प्रतीक पर कटाक्ष करते हुए पाकिस्तान को भारत की ‘पत्नी’ तक बता डाला. एक तरफ यह बहस राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति की गंभीरता से जुड़ी थी, वहीं दूसरी ओर सांसदों के तीखे, कभी हास्य तो कभी व्यंग्य भरे बयान सदन को चर्चा का रंगमंच बना गए. यह बहस केवल पाकिस्तान या आतंकवाद पर नहीं, बल्कि भारतीय लोकतंत्र के भाषाई और बौद्धिक स्वरूप पर भी टिप्पणी बन गई. आइए सुनते हैं उन नेताओं के बयान जिन्होंने सदन में ऑपरेशन सिन्दूर पर अपनी बात रखी और सरकार का सपोर्ट किया है विरोध किया.

भारत की पत्नी हो गई पाकिस्तान: बेनीवाल

संसद के मॉनसून सत्र में सोमवार की रात जैसे-जैसे बढ़ती गई, नागौर से आरएलपी सांसद हनुमान बेनीवाल का भाषण चर्चा का केंद्र बनता गया. ऑपरेशन सिंदूर पर उन्होंने न केवल तीखे सवाल उठाए, बल्कि व्यंग्य और लोकभाषा का ऐसा इस्तेमाल किया कि पूरा सदन ठहाकों से गूंज उठा. बेनीवाल ने कहा, "22 अप्रैल को हमला होता है और 8 मई को ऑपरेशन शुरू होता है. मीडिया कहती है कि कराची पहुंच गए, लाहौर पर झंडा फहराने वाले हैं. ऑपरेशन का नाम रखा सिंदूर, लगा जैसे भारत पाकिस्तान की मांग में सिंदूर भर रहा है." यह टिप्पणी सुनते ही सांसद अर्जुन मेघवाल और चंद्रशेखर भी हंसी नहीं रोक पाए. बेनीवाल ने खुद हंसी उड़ते देख कहा- "हंसो मत"

बेनीवाल ने सिंदूर के प्रतीक को भारतीय सांस्कृतिक बिंब से जोड़ा और कहा, "हमारे धर्म में सिंदूर का अर्थ होता है कि पत्नी अपने पति को स्वीकारती है. अब अगर भारत ने पाकिस्तान की मांग में सिंदूर भर दिया, तो पाकिस्तान भारत की पत्नी हो गई. अब बस विदाई बाकी है." यह सुनते ही सदन हंसी में डूब गया, लेकिन उनका कटाक्ष बेहद गहरा था. उन्होंने बात आगे बढ़ाते हुए कहा, "अगर संसद पर हमला करने वाले आतंकी सुरक्षा जवानों के शहीद न होते, तो न जाने कितने सांसद मारे जाते. अब चाहे कांग्रेस की सरकार रही हो या बीजेपी की, पाकिस्तान को एक ही लहजे में जवाब मिलना चाहिए."

डोनाल्ड को चुप कराओ: हुड्डा

कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा का भाषण पूरी तरह गंभीर और सरकार की विदेश नीति व सैन्य रणनीति पर तीखा हमला था. पाकिस्तान पर हुई सैन्य कार्रवाई को अधूरी बताते हुए हुड्डा ने कहा, "आप कहते हैं कि पाक सरकार, सेना और आतंकी एक हैं. फिर सिर्फ आतंकी ढांचे पर हमला क्यों? पाकिस्तानी सेना को छोड़कर आपने इस्लामाबाद को क्लीन चिट दे दी." उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को एक 'ऐतिहासिक रणनीतिक भूल' बताते हुए कहा कि सरकार ने जानबूझकर पाक सेना और उसके नागरिक ढांचे को निशाना नहीं बनाया, जिससे दुनिया को गलत संदेश गया.

हुड्डा के भाषण का सबसे चौंकाने वाला हिस्सा वह बयान था जो सीधे अमेरिका की दिग्गज फूड चेन मैकडॉनल्ड्स पर कटाक्ष जैसा लगने लगा. उन्होंने कहा, "डोनाल्ड को चुप कराओ, डोनाल्ड का मुंह बंद कराओ, या फिर हिंदुस्तान में मैकडॉनल्ड्स को बंद कराओ." यह बात डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता की आलोचना करते हुए कही गई थी, लेकिन यह टिप्पणी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गई और सवाल उठने लगे कि क्या कांग्रेस अब कॉरपोरेट विरोधी लाइन ले रही है? हुड्डा की इस बयानबाजी ने राजनीतिक गलियारों से आगे कॉरपोरेट दुनिया में भी हलचल मचा दी.

आतंक और क्रिकेट साथ कैसे चल सकते हैं?: ओवैसी

लोकसभा में बहस के दौरान AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार को घेरते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पुराने बयान ‘खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते’ का हवाला दिया. उन्होंने पूछा कि अगर आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते, तो भारत पाकिस्तान से क्रिकेट कैसे खेल सकता है? ओवैसी ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि क्या शहीदों के परिवारों से कहा जाएगा कि ‘हमने ऑपरेशन किया, अब मैच देखिए’? उनके इन सवालों ने सदन में सन्नाटा खड़ा कर दिया.

ओवैसी ने सरकार की सुरक्षा रणनीति पर भी तीखा सवाल उठाया. उन्होंने पूछा कि जब कश्मीर में 7.5 लाख से अधिक सुरक्षाबल तैनात हैं, तो आतंकी देश में कैसे घुस आए? क्या इसका जिम्मेदार उपराज्यपाल है, आईबी है या कोई और? उन्होंने कहा कि केवल सैन्य कार्रवाई से बात नहीं बनेगी, जवाबदेही तय करनी होगी. विदेश नीति पर हमला करते हुए ओवैसी ने अमेरिका पर निर्भरता, चीन की चुप्पी और भारत की सैन्य तैयारियों में कमियों को उजागर किया. उन्होंने कहा कि अगर भारत वाकई ‘विश्वगुरु’ बनना चाहता है, तो उसे FATF में पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी भूमिका निभानी चाहिए.

100 दिन बाद भी सज़ा क्यों नहीं?: गोगोई

कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की दलीलों को खारिज करते हुए पूछा कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद भी 100 दिन में हमलावरों को सज़ा क्यों नहीं मिली? उन्होंने कहा कि सरकार पारदर्शिता से बच रही है और केवल भावनाओं में बहकर असल सवालों को टाल रही है. गोगोई ने तंज कसते हुए कहा कि पाकिस्तान के सामने '56 इंच का सीना' बार-बार '36 इंच का' क्यों हो जाता है? उन्होंने कहा कि सरकार को यह बताना चाहिए कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान क्या कोई रणनीतिक सफलता मिली या सिर्फ प्रचार?

गौरव गोगोई ने सरकार की 'विक्ट्री नैरेटिव' को भी चुनौती दी. उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्री जवाब देने की बजाय बायपास कर रहे हैं. गोगोई बोले, “आप कहते हैं कि कैसे परीक्षा दी वो मत पूछो, क्या रिजल्ट आया वो देखो... लेकिन हम तो जानना चाहते हैं कि न पेपर दिखा, न उत्तर दिखा, न नंबर मिला – तो रिजल्ट कहां से देखें?” उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने यह क्यों नहीं बताया कि हमारे कितने सैनिक शहीद हुए, कितने विमान क्षतिग्रस्त हुए, और दुश्मन को असल में कितना नुकसान पहुंचा?

आतंकियों के खिलाफ मोमबत्तियां नहीं, चिताएं जलाता है भारत: शांभवी

बिहार के समस्तीपुर की लोजपा (रामविलास) सांसद शांभवी चौधरी ने लोकसभा में अपने पहले ही भाषण में सरकार का पक्ष बेहद सशक्त तरीके से रखा. उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर का पुरजोर समर्थन करते हुए कांग्रेस पर तीखा हमला बोला. शांभवी ने कहा कि यह नया भारत है, जो अब आतंकवादी हमले के बाद सिर्फ शांति वार्ता की बात नहीं करता, बल्कि आतंकियों को उनकी 'जगह' दिखाता है. उन्होंने 2001 और 2008 जैसे हमलों की याद दिलाकर विपक्ष की नीति पर सवाल उठाए और कहा कि आज भारत आतंकवादियों के खिलाफ मोमबत्तियां नहीं, चिताएं जलाता है. राहुल गांधी के बयान पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, यह कैसे संभव है कि देश के नेता और दुश्मन देश के नेता एक जैसी बातें करें? यह कांग्रेस की दोहरी मानसिकता को उजागर करता है.

शांभवी चौधरी ने अपने भाषण में कांग्रेस पर 1971 की जीत का सारा श्रेय इंदिरा गांधी को देने का आरोप लगाते हुए कहा कि बाबू जगजीवन राम जैसे दलित नेताओं के योगदान को हमेशा अनदेखा किया गया. उन्होंने इसे कांग्रेस की दलित विरोधी सोच बताया. इसके साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देते हुए कहा कि उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर का नाम रखकर देश की माताओं-बहनों का सम्मान बढ़ाया. संसद में ‘धर्मो रक्षति रक्षतः’ के श्लोक का हवाला देते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत अब आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर सख्त कदम उठाने के लिए तैयार है. उनका अंतिम कथन गूंज उठा- “खतों का दौर गया, अब फरमान भेजे जाते हैं. जो भारत की आत्मा पर वार करते हैं, वो सीधे कब्रिस्तान भेजे जाते हैं.”

पहलगाम क्यों नहीं गए पीएम?: चंद्रशेखर

आज़ाद समाज पार्टी के सांसद चंद्रशेखर ने लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम आतंकी हमले को लेकर कई तीखे सवाल उठाए. उन्होंने पूछा कि अगर पहलगाम एक संवेदनशील पर्यटक स्थल है, तो वहां आतंकी आखिर कैसे पहुंच गए? उन्होंने सरकार से यह भी जानना चाहा कि यदि ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने जवाबी हमले किए, तो संघर्ष विराम क्यों किया गया?

इसके साथ ही उन्होंने पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से मिले ऋण पर भारत सरकार की प्रतिक्रिया जाननी चाही. चंद्रशेखर ने यह सवाल भी उठाया कि आतंकवादी भारत की सीमा में बार-बार कैसे प्रवेश कर जाते हैं, और इस बार प्रधानमंत्री मोदी पहलगाम क्यों नहीं गए? उन्होंने सेना की वरिष्ठ अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी के संदर्भ में इस्तेमाल किए गए शब्दों पर भी गंभीर आपत्ति जताई और कहा कि ऐसे मामलों में सरकार को संवेदनशीलता और गंभीरता दोनों दिखानी चाहिए.

ट्रंप के दावे पर चुप्पी क्यों? : धर्मेंद्र यादव

समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव ने संसद में भावुक अंदाज़ में कहा कि मुलायम सिंह यादव ने सेना के सम्मान और उसकी भूमिका को हमेशा सर्वोच्च माना था. उन्होंने याद दिलाया कि नेताजी कहा करते थे- जब-जब सेना ने युद्ध लड़ा, भारत कभी नहीं हारा, लेकिन जब-जब बात वार्ता पर आई, देश को नुकसान उठाना पड़ा. धर्मेंद्र ने बताया कि पहलगाम हमले के बाद पूरा देश, हर नागरिक, प्रधानमंत्री और सेना के साथ खड़ा था. सेना ने जो पराक्रम दिखाया, उसे अमेरिकी राष्ट्रपति के सीज़फायर बयान ने कमजोर कर दिया. अगर यह घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से होती, तो कोई सवाल नहीं उठता.

धर्मेंद्र यादव ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की 26 बार की गई सीज़फायर अपील का हवाला देते हुए सवाल उठाया कि भारत सरकार ने ट्रंप के इस दावे पर चुप्पी क्यों साध रखी है? उन्होंने पूछा कि सरकार ने अब तक उनके बयान की निंदा क्यों नहीं की? सपा सांसद ने ज़ोर देते हुए कहा कि यह युद्ध भारत की सेना ने जीता है, यह जीत 140 करोड़ भारतीयों की है. किसी को यह कहने का अधिकार नहीं कि भारत ने समझौता किया और वह भी किसी बाहरी दबाव में. विपक्ष शुरू से सरकार के साथ खड़ा रहा है, लेकिन सरकार को विदेशी बयानों के सामने अपनी राष्ट्रीय संप्रभुता को मजबूती से रखना चाहिए.

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