आर्टिकल 370 पर ख्वाजा के बयान से खलबली, जानें अमित शाह और फारुख अब्दुल्ला ने क्या कहा?
जम्मू-कश्मीर चुनाव के बीच पाक रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ आर्टिकल 370 पर एक विवादित बयान आया है जिससे सियासी गलियारों में इसकी चर्चा हो रही है. आसिफ ने पाकिस्तान के जियो टीवी पर ये बयान दिया है. इसके बाद उमर ने पाकिस्तान को अपने लोकतंत्र को सुधारने और जम्मू-कश्मीर के चुनावों में हस्तक्षेप न करने की सलाह दी हैं.

जम्मू-कश्मीर में तीन चरणों में हो रहे विधानसभा चुनावों के पहले चरण का मतदान 18 सितंबर को सम्पन्न हुआ. इस चरण में कुल 58.85 प्रतिशत मतदान हुआ, जो कि अनुच्छेद 370 के हटने के बाद शांति और सुरक्षा के साथ चुनाव कराने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है. चुनाव आयोग के लिए यह एक बड़ी सफलता मानी जा रही है, क्योंकि यह चुनावी प्रक्रिया इस संवैधानिक बदलाव के बाद पहली बार हो रही है. दूसरे चरण का मतदान 25 सितंबर को होगा, जबकि तीसरे और अंतिम चरण का मतदान 1 अक्टूबर को निर्धारित है. मतों की गिनती 8 अक्टूबर को होगी.
इस चुनाव में अनुच्छेद 370 एक प्रमुख मुद्दा बना हुआ है और सभी प्रमुख राजनीतिक दल इस मुद्दे को अपने पक्ष में भुनाने का प्रयास कर रहे हैं. इस बीच, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ द्वारा दिए गए एक बयान ने विवाद खड़ा कर दिया है. आसिफ ने एक साक्षात्कार में कहा कि पाकिस्तान और जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन का उद्देश्य अनुच्छेद 370 की बहाली है. उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान की भी यही मांग है.
ख्वाजा आसिफ का बयान और विवाद
ख्वाजा आसिफ के इस बयान ने जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक माहौल में हलचल पैदा कर दी है. उनका कहना था कि पाकिस्तान और नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन का लक्ष्य एक ही है, जो कि अनुच्छेद 370 की बहाली है. इस बयान के बाद, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का जम्मू-कश्मीर के चुनावों से कोई लेना-देना नहीं है और उन्हें अपने देश की चिंता करनी चाहिए. उमर ने पाकिस्तान को सलाह दी कि वे अपने लोकतंत्र को सुधारें और जम्मू-कश्मीर के चुनावों में हस्तक्षेप न करें.
उमर अब्दुल्ला के पिता और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने भी इस मुद्दे पर स्पष्ट राय व्यक्त की. उन्होंने कहा कि वे पाकिस्तानी नहीं हैं, बल्कि भारतीय नागरिक हैं, और इसलिए पाकिस्तान को उनकी राजनीतिक प्रक्रियाओं पर टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है.
अमित शाह का ट्वीट
इस विवाद पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस हमेशा से ही राष्ट्र विरोधी ताकतों के साथ मिली हुई रही है. शाह ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, "चाहे बालाकोट हवाई हमलों और सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगने की बात हो या सेना के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणियाँ करने की, राहुल गांधी और पाकिस्तान का लहजा हमेशा एक जैसा रहा है. कश्मीर में न तो अनुच्छेद 370 वापस आएगा और न ही आतंकवाद."
राजनीतिक दलों के रुख
इस चुनाव में विभिन्न दलों की स्थिति भी स्पष्ट हो चुकी है. नेशनल कॉन्फ्रेंस ने अपने घोषणापत्र में अनुच्छेद 370 की बहाली का वादा किया है, जबकि कांग्रेस ने इस मुद्दे पर मौन धारण किया है और अपने घोषणापत्र में इसका कोई उल्लेख नहीं किया है. हालांकि, कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की प्रतिबद्धता जताई है. नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी ने अनुच्छेद 370 की बहाली को अपने घोषणापत्र में प्रमुखता से शामिल किया है, जो इस चुनाव के प्रमुख मुद्दों में से एक है.