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'One Nation, One Election': वन नेशन वन इलेक्शन को कैबिनेट से मिली मंजूरी, शीतकालीन सत्र में बिल लेकर आएगी सरकार

'One Nation, One Election': वन नेशन वन इलेक्शन को सरकार की कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है. खबर है कि इसका विधेयक संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पेश किए जाने की संभावना है.

One Nation, One Election: वन नेशन वन इलेक्शन को कैबिनेट से मिली मंजूरी, शीतकालीन सत्र में बिल लेकर आएगी सरकार
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One Nation One Election gets approval from cabinet
सचिन सिंह
Edited By: सचिन सिंह

Updated on: 18 Sept 2024 3:25 PM IST

'One Nation, One Election': देश में 'वन नेशन वन इलेक्शन' को लेकर चर्चाएं गर्म थी. इस बीच इसे कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है. सरकार इसे लेकर बिल संसद के शीतकालीन सत्र में ला सकती है. कैबिनेट ने एक राष्ट्र एक चुनाव पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली रिपोर्ट को मंजूरी दी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले महीने ही स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने संबोधन में 'वन नेशन, वन इलेक्शन' को लेकर कहा था कि बार-बार चुनाव होने से देश की प्रगति में बाधा उत्पन्न होती है.

लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की दिशा में एक कदम बढ़ाते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को 'वन नेशन वन इलेक्शन' के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. इसकी रिपोर्ट पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति ने बनाई थी. इसके बाद केन्द्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष इसे रखा गया, जहां सर्वसम्मति से इसे मंजूरी मिल गई. प्रस्ताव में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने तथा 100 दिनों के भीतर शहरी निकाय और पंचायत चुनाव कराने का प्रस्ताव है.

कांग्रेस सहित पंद्रह दलों ने किया विरोध

'वन नेशन वन इलेक्शन' का कांग्रेस सहित पंद्रह दलों ने विरोध किया है और आरोप लगाया कि भाजपा संसदीय शासन प्रणाली के स्थान पर राष्ट्रपति प्रणाली लाने के लिए एक साथ चुनाव कराने का प्रस्ताव कर रही है. वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी हाल में कहा था कि 'वन नेशन वन इलेक्शन' को एनडीए के मौजूदा कार्यकाल में ही लागू किया जाएगा.

क्या कहता है 'वन नेशन वन इलेक्शन'?

'वन नेशन वन इलेक्शन' का संबंध पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने से है, जिसका अर्थ है कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ आयोजित किये जाएंगे. 'वन नेशन वन इलेक्शन' का विचार पहली बार 1980 के दशक में प्रस्तावित किया गया था. न्यायमूर्ति बीपी जीवन रेड्डी की अध्यक्षता वाले विधि आयोग ने मई 1999 में अपनी 170वीं रिपोर्ट में कहा था कि हमें उस स्थिति पर जाना होगा, जहां लोकसभा और सभी विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होते हैं.

आपको बता दें कि 1951-52, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ हुए थे. हालांकि, विधानसभाओं के समय से पहले भंग होने के कारण राज्य विधानसभाओं का चक्र बाधित हो गया था. 1970 में लोकसभा भी जल्दी भंग कर दी गई थी.

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