अब मन की बात सुनेंगे केजरीवाल! आईआईटी कानपुर की परीक्षा में पूछा गया सवाल; लोगों ने दिया रिएक्शन
आईआईटी कानपुर की परीक्षा में अरविंद केजरीवाल पर आधारित एक सवाल सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. इसमें ‘मन की बात’ सुनने के संदर्भ में रेडियो फिल्टर डिजाइन करने को कहा गया था. संस्थान ने इसे सिर्फ एक अकादमिक प्रयोग बताया, लेकिन सोशल मीडिया पर इस पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आईं.

आईआईटी कानपुर की एक परीक्षा में पूछे गए एक सवाल को लेकर सोशल मीडिया पर चर्चा तेज हो गई है. इस सवाल में संस्थान के पूर्व छात्र और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का जिक्र किया गया, जिसमें कहा गया था कि वह दिल्ली चुनावों में अपनी ‘करारी हार’ के बाद विविध भारती एफएम पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मन की बात' कार्यक्रम को सुनने की कोशिश कर रहे हैं.
यह सवाल 11 फरवरी को आयोजित इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग (ईएससी-201 कोर्स) की परीक्षा में पूछा गया था. इसमें छात्रों से एक फिल्टर डिजाइन करने के लिए कहा गया था, जिससे केजरीवाल एक रेडियो चैनल की सामग्री को पास कर सकते हैं, जबकि बगल के दो रेडियो चैनलों को -60 डीबी तक कम कर सकते हैं ताकि पीएम का प्रसारण सुना जा सके. छात्रों को ‘केजरीवाल’ की मदद के लिए आर (प्रतिरोधक), एल (प्रारंभ करनेवाला) और सी (संधारित्र) घटकों का उपयोग कर यह फिल्टर डिजाइन करने के लिए कहा गया था.
मामले में आईआईटी ने दी सफाई
इस सवाल को लेकर आईआईटी कानपुर के अधिकारियों ने सफाई दी. संस्थान ने कहा कि संबंधित संकाय सदस्य अक्सर परीक्षा के प्रश्नों को रोचक बनाने के लिए फेमस पर्सनालिटी के रेफरेंस को शामिल करते हैं. बयान में यह भी कहा गया कि पहले भी टोनी स्टार्क जैसे किरदारों का भी उपयोग किया गया था और इसका उद्देश्य पूरी तरह से अकादमिक था.
सवाल दिलचस्प बनाने के लिए करते हैं यूज़
एक छात्र ने कहा कि अरविंद केजरीवाल और ‘मन की बात’ का नाम केवल सवाल को अधिक दिलचस्प बनाने के लिए इस्तेमाल किया गया था. उन्होंने बताया कि कई प्रोफेसर अपने इनोवेशन से प्रश्नों को रोचक बनाते हैं, जिसमें वे समसामयिक घटनाओं को शामिल करते हैं.
सोशल मीडिया पर फोटो किया शेयर
इस सवाल पर सोशल मीडिया पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आईं. कुछ ने इसे मज़ाकिया बताया, तो कुछ ने इसे घटिया सोच वाले समाज का संकेत कहा. एक यूजर ने क्वेश्चन पेपर की तस्वीर शेयर करते हुए लिखा, "आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर परीक्षा के माध्यम से अरविंद केजरीवाल को ट्रोल कर रहे हैं."
यूजर ने किए मजेदार कमेंट
वहीं, एक अन्य यूजर ने लिखा, "यह शानदार है... इंजीनियरिंग के छात्रों को एप्लीकेशन-ओरिएंटेड शिक्षण पसंद है. इस प्रश्न में उनके लिए केवल एक ही चीज़ प्रासंगिक है फ्रीक्वेंसी, रेसिस्टेंस और नॉइस लेवल. बाकी सब सिर्फ सोशल मीडिया पर बहस के लिए है." कुछ लोगों ने इसे परीक्षा में पक्षपातपूर्ण राजनीति का संकेत बताया. एक यूजर ने लिखा, "यह विचित्र है कि एक प्रमुख संस्थान के परीक्षा प्रश्नपत्र में इस तरह की कट्टरता और पक्षपातपूर्ण सोच झलक रही है. हमें इस पर गंभीरता से सोचना चाहिए."