अब साइंस पढ़ो या आर्ट्स, कोई भी बन सकेगा पायलट; 30 साल पुराने नियमों को विदा करने की तैयारी
DGCA ने कमर्शियल पायलट लाइसेंस (CPL) के लिए शैक्षणिक योग्यता में बड़ा बदलाव सुझाया है. अब साइंस स्ट्रीम के साथ-साथ आर्ट्स और कॉमर्स से 12वीं पास छात्र भी पायलट बनने के लिए पात्र हो सकेंगे. यह बदलाव तीन दशक पुराने नियम को खत्म करेगा. DGCA ने यह सिफारिश एविएशन मंत्रालय को भेजी है, जो इसे कानून मंत्रालय को भेजेगा. साथ ही, फ्लाइंग स्कूलों की गुणवत्ता और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं.

भारत में कमर्शियल पायलट बनने की राह अब और अधिक समावेशी बनने जा रही है. अब तक केवल साइंस स्ट्रीम (फिजिक्स और मैथ्स) के छात्र ही कमर्शियल पायलट लाइसेंस (CPL) की ट्रेनिंग के लिए पात्र होते थे, लेकिन अब डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) ने इस नियम को बदलने की सिफारिश की है. इसके तहत आर्ट्स और कॉमर्स से 12वीं पास छात्र भी पायलट बनने का सपना साकार कर सकेंगे.
DGCA की इस सिफारिश को अब एविएशन मंत्रालय के ज़रिए कानून मंत्रालय को भेजा जाएगा, जिसके बाद नियमों में बदलाव की औपचारिक घोषणा होगी. यह कदम न केवल हजारों युवाओं के लिए नए अवसर खोलेगा, बल्कि उड़ान प्रशिक्षण के क्षेत्र में भी व्यापक सुधार लाएगा. DGCA प्रमुख फैज़ अहमद किदवई ने सभी फ्लाइंग स्कूलों को अधिक पारदर्शिता और गुणवत्ता बनाए रखने के निर्देश दिए हैं ताकि छात्र बेहतर विकल्प चुन सकें और धोखाधड़ी से बच सकें.
क्या बदला है अब तक के नियमों में?
अब तक भारत में CPL ट्रेनिंग के लिए कक्षा 12वीं में फिज़िक्स और मैथ्स होना अनिवार्य था. इसका मतलब था कि सिर्फ साइंस स्ट्रीम वाले छात्र ही इस ट्रेनिंग के योग्य माने जाते थे.
अगर सरकार ने माने सुझाव तो...
- आर्ट्स और कॉमर्स स्ट्रीम से 12वीं पास करने वाले छात्र भी CPL ट्रेनिंग कर सकेंगे
- यह बदलाव DGCA ने प्रस्तावित किया है और इसे नागरिक उड्डयन मंत्रालय को भेज दिया गया है
- मंत्रालय के पास फाइनल मंज़ूरी के बाद यह प्रस्ताव कानून मंत्रालय भेजा जाएगा, जो इस नियम में संशोधन को अधिसूचित करेगा
- अधिसूचना जारी होते ही यह नया नियम लागू हो जाएगा
CPL की शैक्षणिक योग्यता का इतिहास
- 1990 के दशक तक: सिर्फ 10वीं पास होना काफी था
- 1995 से अब तक: 12वीं में फिज़िक्स और मैथ्स जरूरी कर दिया गया
- 2025 से: अब फिर से इसे व्यापक बनाते हुए किसी भी स्ट्रीम के छात्र को अनुमति देने की तैयारी
DGCA चीफ फैज़ अहमद किदवई का निर्देश
DGCA प्रमुख ने देशभर के सभी फ्लाइंग स्कूल्स (FTOs) को आदेश दिया है कि वे:
अपनी एक अपडेटेड वेबसाइट अनिवार्य रूप से चलाएं
- 200 घंटे की उड़ान पूरी करने में लगने वाला न्यूनतम और अधिकतम समय
- उपलब्ध एयरक्राफ्ट की संख्या
- प्रशिक्षकों और परीक्षकों की संख्या
- ग्राउंड स्कूल और सिम्युलेटर की सुविधा
- उद्देश्य: पारदर्शिता लाना और छात्रों को सही प्रशिक्षण संस्थान चुनने में मदद देना
भारत से बाहर क्यों जा रहे हैं छात्र?
भारत में प्रशिक्षण की गुणवत्ता, अधिक समय लगना और FTOs की अव्यवस्था के कारण हर साल बड़ी संख्या में छात्र विदेश जाकर पायलट ट्रेनिंग करते हैं. यह कोर्स काफी महंगा होता है, और छात्र अक्सर लोन लेकर यह कोर्स करते हैं.
सीनियर पायलट्स की चेतावनी
- पायलट बनना आसान नहीं है, भले ही शैक्षणिक नियम आसान कर दिए जाएं
- ट्रेनिंग पूरी करने और लाइसेंस लेने के बाद भी नौकरी मिलने में लंबा समय लग सकता है
- परिवार को पहले से वित्तीय और मानसिक तैयारी करनी चाहिए
- आज के दौर में CPL करना 20 से 45 लाख रुपये तक का खर्च हो सकता है
फायदा किसे होगा?
- ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्रों के वे छात्र जो साइंस स्ट्रीम में नहीं थे, पर उड़ान भरने का सपना रखते हैं
- उन छात्रों को जो पहले ओपन स्कूल से फिज़िक्स और मैथ्स का दोबारा एग्जाम देकर CPL के योग्य बनते थे
- एविएशन सेक्टर को अधिक पायलट्स मिलने की संभावना, जिससे भविष्य में पायलट की कमी दूर हो सकती है
यह कदम एविएशन सेक्टर के दरवाज़े हर वर्ग के छात्रों के लिए खोलता है. पायलट बनने का सपना अब सिर्फ साइंस वालों तक सीमित नहीं रहेगा. लेकिन इसके साथ यह भी ज़रूरी है कि ट्रेनिंग की गुणवत्ता, पारदर्शिता और रोजगार की संभावनाओं को भी बेहतर किया जाए.