आपका कंबल कितना साफ? ट्रेन में बेडशीट की सफाई को लेकर रेलवे ने उठाया ये कदम
उत्तर रेलवे ने बताया कि इन कंबलों को हर 15 दिन पर धुला जाता है. हर हफ्ते इन पर नेफ्थलीन वैपोराइजेशन किया जाता है, जिससे उन्हें संक्रमणमुक्त किया जा सके. रेलवे के कंबलों की धुलाई के लिए जल्द ही एक नई तकनीक इस्तेमाल में लाई जाएगी. रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद में खुद इस बारे में बताया था.

Indian Railways: देश में रोजाना बड़ी संख्या में यात्री ट्रेन में सफर करते हैं. लंबी दूरी के सफर के लिए ट्रेन को अच्छा यातायात का साधन माना जाता है. भारतीय रेलवे की ओर से भी पेसेंजर्स को नई-नई सुविधाएं दी जाती हैं. जिनमें से एक एसी कोच में मिलने वाले कंबल भी शामिल हैं.
एसी कोच में मिलने वाले कंबल को लेकर लोगों के मन में अक्सर सवाल उठते हैं कि ये कहां पर कब धुले जाते हैं? इसकी पूरी व्यवस्था कैसे की जाती है? अब इस बारे में खुद रेलवे ने जानकारी दी है.
कब धुले जाते हैं कंबल?
जानकारी के अनुसार शनिवार को उत्तर रेलवे ने बताया कि इन कंबलों को हर 15 दिन पर धुला जाता है. हर हफ्ते इन पर नेफ्थलीन वैपोराइजेशन किया जाता है, जिससे उन्हें संक्रमणमुक्त किया जा सके. रेलवे के कंबलों की धुलाई के लिए जल्द ही एक नई तकनीक इस्तेमाल में लाई जाएगी. रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद में खुद इस बारे में बताया था.
क्या है नई तकनीक?
कंबल की धुलाई के लिए रेलवे नए तरीकों को अपने वाला है. इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया जाएगा और सैनिटाइजेशन जम्मू और डिब्रूगढ़ राजधानी ट्रेनों में शुरू होगा. इसके तहत हर यात्रा के बाद कंबलों का सैनिटाइजेशन होगा. बता दें कि यूवी रोबोटिक सैनिटाइजेशन में अल्ट्रावॉयलेट किरणों के उपयोग से कीटाणुओं को खत्म किया जाता है. उत्तर रेलवे के प्रवक्ता हिमांशु शेखर ने कहा, नेफ्थलीन वैपोराइजेशन काफी समय से ट्राई की जा रही है. कॉटन लिनेन को मशीनी लॉण्ड्री में धुला जाता है. साथ ही इनके लिए व्हीटोमीटर टेस्ट पास करना भी जरूरी है.
पहले इतने दिन में धोए जाते थे कंबल
हिमांशु शेखर ने बताया कि साल 2010 से पहले ऊनी कंबलों को हर दूसरे-तीसरे महीने में धुला जाता था. फिर इसे हर महीने धोया जाने लगा. अब 15 दिन पर कंबल धोए जाते हैं. उन्होंने कहा कि हमारे पास संसाधनों की कमी है, वहां पर महीने में कम से कम 1 बार तो इन कंबलों को धुला ही जाता है. रेलवे की ओर से हर दिन यात्रियों को करीब 6 लाख से ज्यादा कंबल दिए जाते हैं. वहीं उत्तर रेलवे जोन में हर दिन एक लाख से ज्यादा कंबल और बैड रोल यात्रियों को दिए जाते हैं.