'एक दिन में कोई संत नहीं बन जाता'; ममता कुलकर्णी के संन्यास पर क्या- क्या बोले बाबा रामदेव
बाबा रामदेव ने अभिनेत्री से महामंडलेश्वर बनी ममता कुलकर्णी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि 'एक दिन में कोई संतत्व प्राप्त नहीं कर सकता. इसके लिए वर्षों की साधना और तपस्या की आवश्यकता होती है. उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, 'हम लोगों ने साधुता को पाने के लिए 50-50 वर्षों का तप किया है.

योग गुरु बाबा रामदेव ने हाल ही में महाकुंभ के नाम पर सोशल मीडिया पर रील्स और वीडियो के जरिए फैल रही फुहड़ता पर अपनी नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने इसे अनुचित बताते हुए कहा कि महाकुंभ जैसे धार्मिक और पवित्र आयोजनों की गरिमा को बनाए रखना बेहद जरूरी है. बाबा रामदेव ने कहा, 'एक दिन में कोई संत नहीं बन सकता. संत बनने के लिए वर्षों की साधना, तपस्या और संयम की आवश्यकता होती है. उन्होंने जोर देकर कहा कि संतत्व का दिखावा करना या इसे गलत उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल करना भारतीय संस्कृति और धर्म की मूल भावना के खिलाफ है.इसके अलावा, बाबा रामदेव ने अभिनेत्री रहीं ममता कुलकर्णी के महामंडलेश्वर बनने पर भी प्रतिक्रिया दी.
मीडिया से बात करते हुए योग गुरु बाबा रामदेव ने महाकुंभ और सनातन धर्म की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाली गतिविधियों पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की. उन्होंने कहा, 'आजकल कुछ लोग महामंडलेश्वर बन गए हैं. किसी के नाम के आगे बाबा जोड़ देना और फिर ओछी हरकतों को रील्स के जरिए कुंभ जैसे पवित्र आयोजन के नाम पर प्रचारित करना, यह ठीक नहीं है.'
किसको छिछोरा कह रहे बाबा रामदेव?
उन्होंने असली कुंभ की परिभाषा बताते हुए कहा, 'कुंभ वह है जहां मनुष्यता से देवत्व और ऋषित्व में आरोहण का अनुभव होता है. यह एक यात्रा है आत्मा को उन्नत करने की. बाबा रामदेव ने यह भी कहा कि सनातन धर्म केवल नाम भर का उपयोग करने तक सीमित नहीं है. उन्होंने कहा, 'सनातन को महसूस करना, उसे जीना और उसे आगे बढ़ाना ही इसका असली उद्देश्य है. मात्र सनातन के नाम पर छिछोरे शब्द कहना या उसका प्रदर्शन करना, यह सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व नहीं करता.'
हमने लोगों ने कई सालों तक तप किया है
बाबा रामदेव ने अभिनेत्री से महामंडलेश्वर बनी ममता कुलकर्णी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि 'एक दिन में कोई संतत्व प्राप्त नहीं कर सकता. इसके लिए वर्षों की साधना और तपस्या की आवश्यकता होती है. उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, 'हम लोगों ने साधुता को पाने के लिए 50-50 वर्षों का तप किया है. यही असली संतत्व है. साधु बनना अपने आप में बड़ी बात है, और महामंडलेश्वर होना तो उससे भी बड़ा पद और जिम्मेदारी है.