वक्फ बिल पर मुस्लिमों का 'हल्ला बोल', सरकार पर जमकर बरसे ओवैसी-मसूद समेत विपक्षी सांसद
वक्फ बिल पर जेपीसी रिपोर्ट को 13 फरवरी को संसद में पेश किया गया. इस दौरान विपक्ष के मुस्लिम सांसदों ने इसका विरोध किया है. उनका कहना है कि सरकार वक्फ बोर्ड को खत्म करना चाहती हैं. आइए, आपको बताते हैं कि बिल पर ओवैसी, इमरान मसूद, इमरान प्रतापगढ़ी, इकरा हसन, जिया उर रहमान बर्क और सैयद नासिर हुसैन समेत विपक्षी सांसदों ने क्या-क्या कहा है...

Muslims on Waqf Amendment Bill 2024: वक्फ (संशोधन) विधेयक पर जेपीसी यानी संयुक्त संसदीय समिति की रिपोर्ट को 13 फरवरी को संसद में पेश किया गया. रिपोर्ट के पेश होते ही विपक्षी सांसदों ने इसका विरोध किया. उन्होंने आरोप लगाया कि उनके असहमति नोटों को रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया. मुस्लिम सांसदों ने भी विधेयक का पुरजोर विरोध करते हुए सरकार पर जमकर हमला बोला.
एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी हों या फिर सपा सांसद जियाउर रहमान बर्क, कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी हों या फिर सपा सांसद इकरा हसन, सभी ने विधेयक का विरोध किया. उन्होंने इसे वक्फ बोर्ड को बर्बाद करने वाला बिल बताया.
'वक्फ बिल असंवैधानिक है'
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि वक्फ बिल असंवैधानिक है. यह न केवल संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 29 का उल्लंघन करता है, बल्कि यह वक्फ को बचाने के लिए नहीं बल्कि इसे बर्बाद करने और मुसलमानों से इसे छीनने के लिए लाया गया है. हम इस विधेयक की निंदा करते हैं. लोकसभा अध्यक्ष ने आश्वासन दिया है कि सांसदों की असहमति रिपोर्टों के 70% के संपादित संस्करण शामिल किए जाएंगे.
'वक्फ पर जेपीसी रिपोर्ट पक्षपातपूर्ण और एकतरफा है'
जेपीसी सदस्य और कांग्रेस सांसद डॉ. सैयद नसीर हुसैन ने कहा कि वक्फ पर जेपीसी रिपोर्ट पक्षपातपूर्ण और एकतरफा है. जेपीसी में प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया. गैर-हितधारकों को बुलाया गया, उनमें से 97 फीसदी ने इस विधेयक का विरोध किया. हमारे असहमति नोट के मुख्य हिस्सों को धुंधला कर दिया गया और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री ने इस बारे में झूठ बोला.
'वक्फ बोर्ड की जमीन को लूटना चाहती है सरकार'
कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि पहले जेपीसी बनाकर ड्रामा किया गया, फिर विपक्ष द्वारा दिए गए नोट को हटा दिया गया. संसदीय परंपरा में जेपीसी के अधिकार को दरकिनार करके सरकार जो करना चाहती है, वह बेहद शर्मनाक है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार देश के प्रमुख स्थानों पर वक्फ बोर्ड की जमीन को लूटना चाहती है.
प्रतापगढ़ी ने कहा कि कृषि कानून के समय उनका उद्देश्य उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाना था. कल वे गुरुद्वारों और मंदिरों पर हमला करेंगे. यह उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने वाली सरकार है. इसलिए विपक्ष इसके खिलाफ है. वहीं, इमरान मसूद ने कहा कि अगर सरकार हमारी असहमति से सहमत हैं, तो हम भी उनसे सहमत होंगे.
'बिल अल्पसंख्यकों के अधिकारों के खिलाफ है'
सपा सांसद इकरा हसन ने कहा कि जेपीसी की रिपोर्ट पेश कर दी गई है. हमें समिति के सदस्यों से जानकारी मिली है कि समिति की कार्यवाही पक्षपातपूर्ण तरीके से की गई. स्वतंत्र रूप से इनपुट नहीं लिए गए. इसलिए हम बिल के खिलाफ हैं. उन्होंने कहा कि बिल असंवैधानिक है. यह अल्पसंख्यकों के अधिकारों के खिलाफ है. जेपीसी सदस्यों के कई असहमतिपूर्ण नोटों को संपादित करके रिपोर्ट में डाल दिया गया है. उनकी चिंताओं को शामिल नहीं किया गया है.
'यह बिल देश के हित में नहीं है'
सपा सांसद जिया उर रहमान बर्क ने कहा कि हमने पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के नेतृत्व में वक्फ बिल का विरोध किया है, क्योंकि यह बिल देश के हित में नहीं है. भाजपा इसे थोपना चाहती है और मुख्य मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए राजनीति करना चाहती है. जब वे इस पर चर्चा करेंगे, तो हम फिर से इसका विरोध करेंगे और अगर वे इसे किसी भी तरह से लागू करने की कोशिश करेंगे, तो हम न्याय पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे.
'सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे'
वक्फ संशोधन विधेयक पर जेपीसी रिपोर्ट को लेकर ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना यासूब अब्बास का कहना है कि वक्फ संशोधन विधेयक सही नहीं है. ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के जरिए हम इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं. मैं जल्द ही ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड की कार्यकारी बोर्ड की बैठक करूंगा और जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे.
'वक्फ बोर्ड की संपत्तियों पर कब्जा करना चाहती है सरकार'
जमीयल उलमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद नदवी ने कहा कि बिल के जरिए केंद्र सरकार वक्फ की संपत्तियों की स्थिति और प्रकृति को बदलना चाहता है, ताकि इन पर आसानी से कब्जा किया जा सके. उन्होंने कि सरकार वक्फ बोर्ड को खत्म करना चाहती है. मदनी ने आरोप लगाया कि मुस्लिम संगठनों की राय और सलाह को नजर अंदाज किया गया है. इसके साथ ही, विपक्षी सदस्यों के सुझावों को भी नहीं माना गया है.