15 दिन पहले आया मौत का मानसून; पानी-पानी हुआ महाराष्ट्र, मौतों का आंकड़ा 21 तक पहुंचा
महाराष्ट्र में इस बार मानसून ने 15 दिन पहले ही दस्तक दी और 107 साल का बारिश रिकॉर्ड तोड़ते हुए तबाही मचा दी. मुंबई, पुणे, रत्नागिरी और सातारा में जलजमाव और बाढ़ जैसे हालात हैं. अब तक 21 मौतें हो चुकी हैं. NDRF की 18 टीमें राहत में जुटी हैं, जबकि प्रशासन ने अलर्ट जारी कर स्कूल बंद कर दिए हैं.

महाराष्ट्र में इस बार मानसून ने न सिर्फ समय से पहले दस्तक दी है, बल्कि अपने साथ मौत और तबाही का भयावह मंजर भी लेकर आया है. मुंबई से लेकर पुणे और रत्नागिरी से लेकर सिंधुदुर्ग तक भारी बारिश ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है. पानी से लबालब सड़कों और पटरियों ने शहरों की रफ्तार थाम दी है, जबकि राज्यभर में बारिश से जुड़ी घटनाओं में अब तक 21 लोगों की मौत हो चुकी है. कई लोग घायल हैं और जनसंपत्ति को भी भारी नुकसान हुआ है.
मौसम विभाग के मुताबिक, आमतौर पर महाराष्ट्र में मानसून 11 जून के आसपास आता है. लेकिन इस बार मानसून ने 25 मई को ही सिंधुदुर्ग से दस्तक दी और अगले ही दिन, 26 मई तक वह मुंबई तक पहुंच गया. यह 1950 के बाद पहली बार है जब मानसून ने इतनी जल्दी राज्य में कदम रखा. मई में रिकॉर्डतोड़ बारिश दर्ज की गई, जिससे 107 साल का पुराना रिकॉर्ड टूट गया है.
मुंबई में जलजमाव, ट्रैफिक ठप
राजधानी मुंबई में बारिश ने स्थानीय ट्रेनों और सड़क यातायात को बुरी तरह प्रभावित किया है. कई इलाकों में रेलवे पटरियों पर पानी भर गया है, जिससे लोकल ट्रेन सेवाएं बाधित हुई हैं. सड़कों पर गाड़ियों की लंबी कतारें लगी हैं और कई स्थानों पर जलभराव की वजह से बस्तीवासी घरों में कैद हैं. बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) ने लोगों से गैरज़रूरी बाहर न निकलने की अपील की है.
चक्रवाती सिस्टम से बिगड़े हालात
मौसम विभाग का कहना है कि अरब सागर पर बना कम दबाव का क्षेत्र पहले चक्रवात बनने की ओर था, लेकिन यह डिप्रेशन में बदल गया और रत्नागिरी के उत्तर और दापोली के दक्षिण में ज़मीन से टकरा गया. इसके चलते पुणे और सतारा में 24 मई को भारी वर्षा दर्ज की गई, जिसने सामान्य जनजीवन को पूरी तरह अस्तव्यस्त कर दिया.
पुणे-सातारा में बाढ़ जैसी स्थिति
पुणे जिले के दौंड, बारामती और इंदापुर में भारी बारिश दर्ज की गई. सातारा के फलटन में 163.5 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई. नीरा नदी के किनारे बसे गांवों में बाढ़ का अलर्ट जारी किया गया है. कई जगहों पर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया है. अकेले बारामती में ही 70 से ज्यादा परिवारों को राहत शिविरों में भेजा गया.
NDRF ने संभाला मोर्चा
राज्यभर में 18 एनडीआरएफ टीमें राहत और बचाव कार्य में लगी हुई हैं. बारामती, इंदापुर, पंढरपुर, मालशिरस और रायगढ़ में फंसे लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया. सेना और फायर डिपार्टमेंट भी कई जिलों में सक्रिय हैं. मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों तक और भारी बारिश की चेतावनी दी है, खासकर कोंकण क्षेत्र और मध्य महाराष्ट्र में. प्रशासन ने स्कूलों को बंद रखने और निचले इलाकों में रहने वालों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट करने के निर्देश दिए हैं.
जान-माल का भारी नुकसान
राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, अब तक बारिश से 21 लोगों की मौत हो चुकी है. इनमें 8 मौतें बिजली गिरने से, 5 पानी में डूबने से, 4 पेड़ गिरने से, 3 दीवार गिरने से और 1 अन्य कारणों से हुई हैं. इसके अलावा 22 मवेशियों की भी मौत हुई है और दर्जनों मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं.