11 एयरपोर्ट्स पर सन्नाटा! मोदी सरकार की उड़ान स्कीम हुई टर्बुलेंस का शिकार, यूपी में बंद पड़े 7 रनवे बने ‘शोपीस’
मोदी सरकार की क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना उड़ान (UDAN) के तहत शुरू किए गए 11 एयरपोर्ट्स - जिनमें से 7 उत्तर प्रदेश में हैं - अब बंद पड़े हैं. द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, इन एयरपोर्ट्स पर महीनों से कोई वाणिज्यिक उड़ान नहीं चली. वजहें हैं यात्रियों की कमी, एयरलाइनों की बेरुख़ी और तकनीकी समस्याएं. कुशीनगर, चित्रकूट, श्रावस्ती, अलीगढ़, आज़मगढ़, मुरादाबाद, लुधियाना और रीवा जैसे एयरपोर्ट्स पर सन्नाटा छाया है, जिससे उड़ान योजना की सफलता पर सवाल उठे हैं.
भारत में हवाई यात्रा को आम लोगों तक पहुंचाने के लिए मोदी सरकार ने जो सपने दिखाए थे, वे अब ज़मीन पर उतरने से पहले ही धुंधले पड़ते दिख रहे हैं. देशभर में उड़ान योजना (UDAN – Ude Desh ka Aam Nagrik) के तहत शुरू किए गए 11 एयरपोर्ट्स - जिनमें से 7 उत्तर प्रदेश में हैं - अब खामोश पड़े हैं. वजह है कम यात्री संख्या, एयरलाइनों की बेरुख़ी और तकनीकी दिक्कतें.
द टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट के अनुसार, इन 11 एयरपोर्ट्स पर महीनों या सालों से कोई भी वाणिज्यिक उड़ान नहीं उतरी या उड़ी नहीं है. 2016 में शुरू की गई यह योजना अब केंद्र सरकार की रीजनल कनेक्टिविटी के दावों पर सवाल खड़े कर रही है.
मोदी सरकार का सपना और हकीकत
21 अक्टूबर 2016 को शुरू हुई UDAN स्कीम का मकसद था छोटे शहरों को सस्ती हवाई सेवाओं से जोड़ना ताकि “देश का आम नागरिक” भी विमान में उड़ सके. इस योजना के तहत दर्जनों नए एयरपोर्ट्स शुरू किए गए, कई पुराने रनवे फिर से चालू हुए. सरकार के अनुसार, फिलहाल देश में 126 नागरिक हवाई अड्डे चालू हैं. लेकिन द टेलीग्राफ की रिपोर्ट बताती है कि 11 एयरपोर्ट्स - जिनमें अलीगढ़, मुरादाबाद, चित्रकूट, श्रावस्ती, कुशीनगर, आज़मगढ़, सहारनपुर (सभी यूपी), गुजरात का भावनगर, पंजाब का लुधियाना, सिक्किम का पाक्योंग और मध्यप्रदेश का रीवा शामिल हैं - अब बंद पड़े हैं. इनमें से कई एयरपोर्ट्स का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद किया था, कुछ तो 2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले.
उड़ानें बंद, रनवे पर सन्नाटा
रिपोर्ट के मुताबिक़, कुशीनगर से आखिरी फ्लाइट 7 नवंबर 2023 को उड़ी थी. आज़मगढ़ से 23 नवंबर 2024 को, अलीगढ़ से अप्रैल 2025 में, चित्रकूट से 16 दिसंबर 2024 को, मुरादाबाद से नवंबर 2023 में, श्रावस्ती से दिसंबर 2024 में, और लुधियाना से सितंबर 2025 में उड़ानें बंद हो गईं. सहारनपुर एयरपोर्ट की हालत तो और भी बदतर है - वहां अब तक किसी वाणिज्यिक उड़ान के उतरने या उड़ने का कोई रिकॉर्ड ही नहीं है.
तकनीकी दिक्कतें, मौसम और यात्रियों की कमी
रिपोर्ट के अनुसार, इन 11 एयरपोर्ट्स पर सेवाएं ठप होने की वजहें कई हैं - मौसम की बाधाएं, यात्रियों की कम संख्या, एयरलाइनों की अरुचि, और टेक्निकल सुविधाओं की कमी. इनमें से पांच एयरपोर्ट्स - लुधियाना, आज़मगढ़, चित्रकूट, श्रावस्ती और मुरादाबाद - पर FlyBig Airlines ही एकमात्र ऑपरेटर थी. लेकिन सरकारी आंकड़ों के अनुसार, FlyBig की उड़ानें 2025 के समर सीज़न की 176 साप्ताहिक उड़ानों से घटकर विंटर शेड्यूल में सिर्फ 58 रह गईं - यानी करीब 67% की गिरावट. नागरिक उड्डयन मंत्रालय से इस पर सवाल पूछे गए कि क्या इन एयरपोर्ट्स के लिए कोई व्यवहार्यता सर्वे किया गया था, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.
कुशीनगर: बौद्ध तीर्थ से सन्नाटे तक
कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट 2021 में बड़ी उम्मीदों के साथ शुरू हुआ था. प्रधानमंत्री मोदी ने इसका उद्घाटन करते हुए कहा था कि यह बौद्ध पर्यटकों के लिए भारत का नया गेटवे बनेगा. शुरुआत में स्पाइसजेट ने दिल्ली, मुंबई और कोलकाता रूट पर उड़ानें शुरू कीं, लेकिन यात्रियों की कमी के चलते एक साल में ही सब बंद हो गया. नवंबर 2023 से कोई वाणिज्यिक फ्लाइट यहां नहीं उतरी. एयरपोर्ट डायरेक्टर प्रणेश कुमार रॉय के मुताबिक़, रनवे के पास बने कुछ घरों को लेकर कानूनी विवाद की वजह से Instrument Landing System (ILS) इंस्टॉल नहीं हो सका था. हाई कोर्ट के आदेश के बाद अब यह प्रक्रिया शुरू हो गई है. उन्होंने बताया कि “अगले कुछ महीनों में ILS लग जाएगा और दोबारा उड़ानें शुरू होने की उम्मीद है.”
चित्रकूट: ‘टेबलटॉप’ एयरपोर्ट बना टूरिस्ट आकर्षण, उड़ानें ठप
देवांगना घाटी में बना उत्तर प्रदेश का पहला टेबलटॉप एयरपोर्ट मार्च 2024 में प्रधानमंत्री ने वर्चुअली उद्घाटित किया था. धार्मिक पर्यटन बढ़ाने की उम्मीद थी. शुरुआत में लखनऊ-चित्रकूट के बीच कुछ उड़ानें चलीं, लेकिन दिसंबर 2024 के बाद सब बंद हो गया. एयरलाइनों ने दृश्यता और तकनीकी दिक्कतों का हवाला देकर सेवाएं रोक दीं. एयरपोर्ट डायरेक्टर आलोक सिंह ने बताया कि “हमने FlyBig से बात की है. उम्मीद थी कि 26 अक्टूबर 2025 से उड़ानें शुरू होंगी, लेकिन विज़िबिलिटी की समस्या बनी हुई है.” फिलहाल यह एयरपोर्ट चार्टर्ड फ्लाइट्स के लिए खुला है.
श्रावस्ती: छह महीने चली उड़ानें, फिर खाली रनवे
बुद्ध की पवित्र धरती श्रावस्ती में एयरपोर्ट दिसंबर 2024 में बंद कर दिया गया. वजह थी - कम यात्री संख्या. 170 किलोमीटर दूर लखनऊ एयरपोर्ट और बेहतर रेल-रोड नेटवर्क के कारण लोग विमान के बजाय सड़क या ट्रेन यात्रा को प्राथमिकता दे रहे हैं. एयरपोर्ट डायरेक्टर अफज़ल अहमद ने बताया कि “विकास कार्य जारी हैं, ताकि भविष्य में सेवाएं फिर शुरू की जा सकें.”
अलीगढ़, मुरादाबाद और आज़मगढ़: आधे साल में ठंडी पड़ी उड़ानें
अलीगढ़ एयरपोर्ट से पिछले छह महीनों से कोई वाणिज्यिक उड़ान नहीं चली. मुरादाबाद की हालत भी ऐसी ही है - नवंबर 2024 में उड़ानें बंद हो गईं. आज़मगढ़ से लखनऊ के बीच FlyBig की उड़ानें 23 नवंबर 2024 तक चलीं, लेकिन यात्री न मिलने से कंपनी ने हाथ खींच लिया.
लुधियाना और पाक्योंग: अलग-अलग वजहें, एक नतीजा - बंद उड़ानें
लुधियाना एयरपोर्ट सितंबर 2025 से ठप पड़ा है. FlyBig के बंद होने के बाद कोई दूसरी कंपनी सामने नहीं आई. एयरपोर्ट डायरेक्टर जगीर सिंह का कहना है, “हम आशा करते हैं कि जल्द ही कोई एयरलाइन रुचि दिखाएगी.” सिक्किम का पाक्योंग एयरपोर्ट, जो पहाड़ों के बीच बना है, वहां इस बार सर्दियों में मौसम के कारण सेवाएं बंद करनी पड़ीं.
रीवा: मध्य प्रदेश की उम्मीदें अधूरी
रीवा एयरपोर्ट पर भी FlyBig ने कुछ समय के लिए उड़ानें चलाईं, लेकिन अब वहां भी सब ठप है. सूत्रों के अनुसार, कुछ बड़ी एयरलाइंस यहां ऑपरेशन शुरू करने पर विचार कर रही हैं.
क्या बिना अध्ययन के बनी हवाई योजनाएं?
इन 11 एयरपोर्ट्स की स्थिति अब सरकार के ‘विकास मॉडल’ पर सवाल खड़ा करती है. क्या इतने बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश से पहले उचित व्यवहार्यता रिपोर्ट तैयार की गई थी? क्या यात्रियों की संभावित संख्या, एयरलाइनों की रुचि और तकनीकी पहलुओं का अध्ययन हुआ? कई विशेषज्ञों का कहना है कि इन एयरपोर्ट्स को राजनीतिक दृष्टि से देखा गया - चुनावों से पहले उद्घाटन, लेकिन दीर्घकालिक योजना नहीं.
‘उड़ान’ की असली परीक्षा अब बाकी है
उड़ान योजना का उद्देश्य था - भारत के आम नागरिक को उड़ान का अनुभव देना. लेकिन फिलहाल यह योजना खुद “रनवे पर रुकी” नज़र आती है. कुशीनगर से लेकर लुधियाना तक फैले ये खाली एयरपोर्ट्स इस बात का प्रतीक हैं कि भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना आसान है, लेकिन उसे चालू रखना कहीं ज़्यादा चुनौतीपूर्ण.





