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मैं हिंदी बोलूंगा...कहने की सजा! महाराष्ट्र में प्रवासी ऑटो ड्राइवर की सरेआम पिटाई- Video

महाराष्ट्र के पालघर जिले के वीरार में एक प्रवासी ऑटो ड्राइवर को सार्वजनिक रूप से पीटा गया, जब उसने एक वायरल वीडियो में 'मैं हिंदी बोलूंगा' कहकर मराठी में बात करने से इनकार किया था. इस घटना में शिवसेना (UBT) और मनसे के कार्यकर्ताओं ने उसे सरेआम थप्पड़ मारे और महाराष्ट्र, भावेश पडोलिया व उनकी बहन से माफी मंगवाई.

मैं हिंदी बोलूंगा...कहने की सजा! महाराष्ट्र में प्रवासी ऑटो ड्राइवर की सरेआम पिटाई- Video
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( Image Source:  Sora_ AI )
सागर द्विवेदी
By: सागर द्विवेदी

Updated on: 14 July 2025 12:22 AM IST

शनिवार को उसी ऑटो चालक को वीरार रेलवे स्टेशन के पास शिवसेना (UBT) और मनसे समर्थकों ने घेर लिया. सामने आए वीडियो में देखा जा सकता है कि उसे कई बार थप्पड़ मारा गया, जिनमें महिलाओं की भागीदारी भी शामिल थी. आरोपियों ने उसे भावेश पडोलिया, उनकी बहन और महाराष्ट्र राज्य से माफी मांगने के लिए मजबूर किया.

'शिवसेना स्टाइल में जवाब दिया गया' – उद्धव गुट

वीरार शहर के शिवसेना (UBT) प्रमुख उदय जाधव खुद इस घटना स्थल पर मौजूद थे। उन्होंने बाद में पुष्टि करते हुए कहा कि अगर कोई मराठी भाषा, महाराष्ट्र या मराठी मानुष का अपमान करेगा तो उसे शिवसेना स्टाइल में जवाब मिलेगा। हम चुप नहीं बैठेंगे. उन्होंने आगे कहा कि उस ड्राइवर ने महाराष्ट्र और मराठी लोगों के खिलाफ बोलने की हिम्मत की। उसे सही सबक सिखाया गया और राज्य व लोगों से माफी मंगवाई गई.

पुलिस चुप, अभी तक कोई शिकायत नहीं

हैरानी की बात यह है कि घटना सार्वजनिक रूप से हुई, लेकिन पालघर पुलिस ने अब तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की है. पुलिस ने बयान दिया, हमें वायरल वीडियो की जानकारी है और हम तथ्यों की जांच कर रहे हैं, लेकिन अभी तक किसी भी पक्ष की ओर से कोई शिकायत नहीं मिली है.

इससे पहले भी हुई भाषा को लेकर हिंसा

यह घटना महाराष्ट्र में भाषा के मुद्दे पर बढ़ती असहिष्णुता की कड़ी का नया उदाहरण है. 1 जुलाई को ठाणे में मनसे कार्यकर्ताओं ने एक स्ट्रीट फूड विक्रेता को मराठी में बात न करने पर थप्पड़ मारा था. उस मामले में सात कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था.

भायंदर में व्यापारी विरोध, 8 जुलाई को “मराठी अस्मिता” मार्च

उस घटना के विरोध में भायंदर के व्यापारियों ने मनसे की "नैतिक पुलिसिंग" के खिलाफ प्रदर्शन किया था। इसके जवाब में 8 जुलाई को शिवसेना (UBT), एनसीपी (शरद पवार गुट) और अन्य विपक्षी दलों ने "मराठी अस्मिता" की रक्षा में विरोध मार्च निकाला। पुलिस ने पहले इस मार्च की अनुमति नहीं दी थी, क्योंकि खुफिया रिपोर्ट में तनाव की आशंका जताई गई थी.

शिक्षा नीति पर भी उठा था बवाल

हाल ही में महाराष्ट्र सरकार द्वारा स्कूलों में हिंदी लागू करने के फैसले पर भी विवाद हुआ था. बाद में सरकार ने यह फैसला वापस ले लिया, लेकिन तब तक मनसे और अन्य मराठी समर्थक समूहों ने इसे क्षेत्रीय पहचान पर हमला बताया. मीरारोड और ठाणे में कई जगह विरोध प्रदर्शन हुए.

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