Call पर लिखवाई दवाइयां, मरीज की हो गई मौत तो जिम्मेदार कौन? जानें क्या बोला HC
केरल उच्च न्यायालय ने हाल ही में यह निर्णय दिया है कि डॉक्टर द्वारा फोन के माध्यम से मरीज का इलाज करना, जिसके बाद मरीज की मृत्यु हो गई, उसे आपराधिक लापरवाही नहीं माना जाएगा. न्यायाधीश जी. गिरीश ने इस मामले में आदेश पारित किया.

वैसे तो ये चीजें अधिकतर देखी और सुनी होगी कि जब किसी की तबीयत खराब होती है तो वह सबसे पहले अपने जानकर बोले तो पड़ोसी डॉक्टर तो फोन करके बताता और फोन पर दवाइयां लेते है ताकि डॉक्टर के पास न जाए और घर से ही इलाज हो जाए. वही अगर आप डॉक्टर के पास नहीं जाते हैं और उन दवाइयों से आपकी तबीयत और बिगड़ जाए या फिर आपकी मौत हो जाए तो इसका जिम्मेदार कौन होगा इसको लेकर केरल हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है. तो आइए जानते कोर्ट ने क्या कहा है और मामले को समझते हैं...
केरल उच्च न्यायालय ने हाल ही में यह निर्णय दिया है कि डॉक्टर द्वारा फोन के माध्यम से मरीज का इलाज करना, जिसके बाद मरीज की मृत्यु हो गई, उसे आपराधिक लापरवाही नहीं माना जाएगा. न्यायाधीश जी. गिरीश ने इस मामले में आदेश पारित किया, जिसमें डॉक्टर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 304A के तहत आपराधिक कार्रवाई शुरू की गई थी. डॉक्टर ने इस कार्रवाई को चुनौती दी थी.
क्या है पूरा मामला
मामले में डॉक्टर पर आरोप था कि उसने तत्काल मरीज का सीधा निरीक्षण नहीं किया जबकि सह-अभियुक्त नर्स ने फोन पर अचानक हुई बीमारी की सूचना दी थी. आरोप था कि डॉक्टर ने सामान्य विवेक और समझ रखने वाले चिकित्सक के अनुसार उचित कदम नहीं उठाए और विशेषज्ञ को रेफर नहीं किया, जिससे मरीज की मौत हुई. न्यायालय ने मृतक के पिता के साक्ष्य और विशेषज्ञों द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों का विश्लेषण किया, जिनका मानना था कि डॉक्टर द्वारा अपनाई गई चिकित्सा पद्धति सही थी.
कोर्ट ने क्या कहा?
न्यायालय ने कहा कि, पेटीशनर द्वारा रोगी के इलाज के लिए निर्धारित दवाएं और गुर्दे की जांच के निर्देशों में कोई त्रुटि नहीं पाई गई है. इस मामले में पेटीशनर का कार्य आपराधिक लापरवाही नहीं माना जा सकता, क्योंकि इसी परिस्थिति में कोई भी अनुभवी चिकित्सक ऐसा ही उपचार करता. अतः चिकित्सक के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई प्रक्रिया का दुरुपयोग है और इसे रद्द किया जाना चाहिए.
न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि चिकित्सकीय लापरवाही के मामले में केवल गलत निर्णय या दुर्घटना से हुई मौत पर आपराधिक जिम्मेदारी नहीं होती. केवल लापरवाही या सावधानी की कमी से सिविल जिम्मेदारी हो सकती है, लेकिन यह डॉक्टर के खिलाफ आपराधिक मामला नहीं बनाता. इसलिए, इस केस में डॉक्टर की कार्रवाई आपराधिक लापरवाही के दायरे में नहीं आती, हालांकि अस्पताल की ओर से सिविल दायित्व बन सकता है.