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6 मंत्रालयों के पीछे क्यों पड़ी है तीनों पार्टियां, महायुति सरकार में पावर शेयरिंग पर विवाद के कारण?

Mahayuti govt portfolio impasse: गृह, वित्त, शहरी विकास, राजस्व, आवास और सिंचाई विभाग BJP, शिवसेना (शिंदे गुट) और NCP (अजित पवार) की लिस्ट में सबसे ऊपर हैं.

6 मंत्रालयों के पीछे क्यों पड़ी है तीनों पार्टियां, महायुति सरकार में पावर शेयरिंग पर विवाद के कारण?
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Mahayuti govt portfolio impasse
सचिन सिंह
Edited By: सचिन सिंह

Published on: 7 Dec 2024 1:57 PM

Mahayuti govt portfolio impasse: महायुति ने महाराष्ट्र चुनाव में जीत हासिल कर ली, लेकिन पहले सीएम और अब पावर डिस्ट्रीब्यूशन को लेकर गतिरोध जारी है. तीनों पार्टियां BJP, शिवसेना (शिंदे गुट) और NCP (अजित पवार) अपने मजबूत प्रदर्शन से उत्साहित हैं. भाजपा 132, शिवसेना 57 और एनसीपी 41 सीटों के साथ प्रमुख मंत्रालयों के लिए जोर-आजमाइश कर रही हैं.

शपथ ग्रहण समारोह में देवेंद्र फडणविस ने सीएम और एकनाथ शिंदे-अजित पवार ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली. सहयोगी शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे गृह मंत्रालय की मांग कर रहे हैं. वहीं अजित पवार आवास और वित्त मंत्रालय की मांग में हैं. ऐसे बीजेपी के लिए अपने सहयोगियों के साथ तालमेल बैठाने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

महाराष्ट्र में छह सबसे अधिक मांग वाले मंत्रालयों पर एक नजर और वे इतने महत्वपूर्ण क्यों हैं?

गृह मंत्रालय

सभी सरकारों, राज्यों और केंद्र में गृह मंत्रालय एक ऐसा विभाग है, जिस पर हर नेता नियंत्रण चाहता है. यह वह विभाग है, जिसे मुख्यमंत्री लगभग कभी नहीं छोड़ना चाहते हैं. इसका कारण साफ है कि इसके जरिए पुलिस को नियंत्रित करता है. राजनीतिक अस्थिरता के समय राज्य पर काबू करने में मदद करता है. महायुति के मामले में बीजेपी के लिए सहयोगियों को नियंत्रण में रखने का एक तरीका हो सकता है.

इसके साथ राज्य में निवेश और बिजनेस मैन पर कंट्रोल करने में मददगार साबित होता है. इसलिए बीजेपी इसे हाथ से नहीं जाने देना चाहती है. साथ ही गृह मंत्रालय के लिए ही अधिकांश जांच एजेंसियां ​​रिपोर्ट करती हैं. पिछली महायुति सरकार में जब भाजपा ने ज़्यादा सीटें होने के बावजूद शिंदे को सीएम पद दिया था, तब गृह विभाग अपने पास ही रखा था. इसके जरिए उन्होंने मराठा आंदोलन पर शिकंजा कसा था.

वित्त मंत्रालय

गृह के बाद यह सबसे ज्यादा मांग वाला डिपार्टमेंट वित्त मंत्रालय है. प्रभारी मंत्री न केवल परियोजनाओं और अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों के लिए धन जारी करने को नियंत्रित करता है, बल्कि राज्य सरकार के सभी फैसले वित्त की मंजूरी के बाद ही आगे बढ़ सकते हैं.

इसके अलावा वित्त मंत्री, सीएम के अलावा एकमात्र कैबिनेट सदस्य हैं जो संबंधित मंत्री की मंजूरी के बिना अन्य विभागों के अधिकारियों की बैठक बुला सकते हैं. गठबंधन सरकारों में धन जारी करना हमेशा एक विवादास्पद मुद्दा होता है, और इसलिए खजाने की चाबियों के लिए होड़ मची रहती है

2023 में पिछली महायुति सरकार में शामिल होने के बाद अजित पवार को वित्त विभाग मिला, जिसे फडणवीस ने छोड़ दिया था. अजित को इस बार फिर वित्त मिल सकता है.

शहरी विकास मंत्रालय

शहरी विकास मंत्रालय राज्य के शहरी इलाकों, खासकर नगर निगमों में ज्यादातर विकास और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए जिम्मेदार है. महाराष्ट्र में लगभग सभी शहरी स्थानीय निकाय - जिसमें नकदी से समृद्ध बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) भी शामिल है. वित्त वर्ष 2023-24 में 31,082 करोड़ रुपये या कुल राज्य व्यय का 5.66% विभाग के लिए था.

एक पार्टी जो बड़े पैमाने पर शहरी मतदाता आधार को पूरा करती है - जैसे कि शिवसेना - आमतौर पर इस विभाग पर जोर देती है. महाराष्ट्र में बीएमसी सहित अधिकांश नगर निगमों के चुनाव होने वाले हैं, कोई भी पार्टी इसे नियंत्रित करने का मौका नहीं छोड़ेगी. पिछली महायुति सरकार में शिंदे शहरी विकास मंत्री थे और उन्हें फिर से यह विभाग मिलने की उम्मीद है.

राजस्व मंत्रालय

राजस्व मंत्रालय भूमि, इसकी खरीद-बिक्री की प्रक्रिया, खनिज निष्कर्षण के लिए नीतियों को बनाने के लिए पैसों का आंवटन करता है. भूमि रेकॉर्ड से लेकर रेत रेकॉर्ड तक, स्टांप शुल्क संग्रह से लेकर कर संग्रह तक राजस्व मंत्रालय सभी की देखरेख करता है.

मंत्रालय का प्रभारी दल भूमि उपयोग निर्धारित कर सकता है. नौकरशाही विशेष रूप से जिला कलेक्टरों पर सबसे अधिक शक्ति रख सकता है और रियल एस्टेट बाजार में अपनी बात रख सकता है. पिछली महायुति सरकार में भाजपा ने राजस्व विभाग अपने पास रखा था। इस बार, इस बात पर खींचतान है कि इस पर किसका कब्जा होता है.

आवास मंत्रालय

महाराष्ट्र आवास विभाग वर्तमान में देश की कुछ सबसे बड़ी रियल एस्टेट परियोजनाओं की देखरेख कर रहा है, जिसमें धारावी पुनर्विकास परियोजना भी शामिल है. इन परियोजनाओं में लाखों करोड़ के निवेश को देखते हुए, यह मंत्रालय किसी भी पार्टी के लिए आकर्षक है. पिछली महायुति सरकार में भाजपा ने आवास को अपने पास रखा था, लेकिन इस बार इसे लेकर सहयोगी दलों से विरोध का सामना करना पड़ रहा है.

सिंचाई मंत्रालय

2024-25 के लिए सिंचाई मंत्रालय के बजट में 13% की वृद्धि के साथ प्रत्येक पार्टी सिंचाई मंत्रालय पर नजर गड़ाए हुए है. परियोजनाओं के लिए बजट का लाभकारी उपयोग किसी भी पार्टी को किसानों के बीच अपना आधार बनाने में मदद कर सकता है, जो राज्य में एक प्रभावशाली वोट बैंक है.

पिछली सरकार में सिंचाई विभाग भाजपा के पास था और उम्मीद है कि वह इसे बरकरार रखेगी. हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी ने मराठवाड़ा और विदर्भ दोनों में बढ़त हासिल की है, जिन्हें आमतौर पर उसका गढ़ नहीं माना जाता.

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