System Glitch या Inside Game! 12,900 सरकारी कर्मचारियों तक कैसे पहुंचे लाड़की बहन योजना के पैसे?
महाराष्ट्र की लाड़की बहन योजना में बड़ा गड़बड़झाला सामने आया है. एक आरटीआई के जरिए खुलासा हुआ है कि 90 हजार से अधिक लाभार्थियों ने गलत तरीके से योजना का फायदा उठाया. इनमें करीब 13 हजार सरकारी कर्मचारी भी शामिल है. अब इन अपात्रों पर गाज गिरना तय है. महिला एवं बाल विकास विभाग ने जांच के आदेश दिए.
महाराष्ट्र सरकार की बहुचर्चित लाड़की बहन योजना अब गंभीर सवालों के घेरे में आ गई है. जांच में सामने आया है कि 90,000 से ज्यादा लाभार्थियों ने नियमों को ताक पर रखकर योजना का लाभ उठाया. जबकि इस गड़बड़ी में 13,000 सरकारी कर्मचारी भी लिप्त पाए गए हैं. अब देवेंद्र फडणवीस सरकार सख्त कार्रवाई के मूड में है. इस मामले को प्रशासनिक स्तर पर बड़ा झटका लगा है. बताया जा रहा है कि गलत लाभार्थियों की संख्या एक लाख से ज्यादा हो गई है.
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महाराष्ट्र में लाड़की बहिन योजना के तहत अयोग्य लाभार्थियों द्वारा फंड का फायदा उठाने की एक बड़ी चूक सामने आई है. RTI के तहत मिली ताजा जानकारी से पता चला है कि 12,900 से ज्यादा सरकारी कर्मचारियों ने इस योजना के लाभार्थी के तौर पर फंड लिया. जबकि इस योजना में साफ तौर पर वेतन भोगी सरकारी कर्मचारियों को शामिल नहीं किया गया था. RTI से यह भी पता चला है कि महिला एवं बाल विकास विभाग ने संबंधित विभागों के अधिकारियों को ऐसे कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया है.
द इंडियन एक्सप्रेस द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मिली ताजा जानकारी के अनुसार महिला एवं बाल विकास विभाग ने माना है कि 12,915 सरकारी कर्मचारियों ने इस योजना के तहत हर महीने 1,500 रुपये की सहायता ली. मौजूदा आंकड़े ऐसे लाभार्थियों की संख्या में काफी बढ़ोतरी दिखाते हैं. पहले WCD मंत्री अदिति तटकरे ने कहा था कि लगभग 2,400 सरकारी कर्मचारी थे, जिन्होंने गलत तरीके से फायदा उठाया था.
WCD विभाग ने RTI के जवाब में कहा, "गलत तरीके से फायदा उठाने वाले ऐसे कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने के लिए संबंधित कार्यालयों को निर्देश जारी किए गए हैं." ताजा आंकड़े के साथ योजना के तहत अयोग्य लाभार्थियों की कुल संख्या अब एक लाख से ज्यादा हो गई है.
164.52 करोड़ भुगतान गलत, उठे सवाल
यह खुलासा अक्टूबर में द इंडियन एक्सप्रेस द्वारा प्रकाशित एक पिछली RTI रिपोर्ट पर आधारित है, जिसमें पता चला था कि 12,431 पुरुषों और 77,980 अयोग्य महिलाओं (90 हजार से ज्यादा अवैध लाभार्थियों) ने इस योजना के तहत फायदा उठाया था, जिसके परिणामस्वरूप कम से कम 164.52 करोड़ रुपये का गलत भुगतान हुआ था.
हालांकि, इस साल 16 दिसंबर को मिले ताजा RTI जवाब से पता चलता है कि यह आंकड़ा काफी ज्यादा है. तीन गुना बढ़कर 12,915 हो गया है, जो प्रमुख कल्याणकारी कार्यक्रम के कार्यान्वयन में गहरी सत्यापन विफलताओं की ओर इशारा करता है.
अयोग्य महिला लाभार्थी के खिलाफ नहीं की कार्रवाई
WCD विभाग ने स्वीकार किया है कि सरकारी कर्मचारियों द्वारा लिया गया फायदा अनियमित था और उसने संभावित वसूली और अनुशासनात्मक कार्रवाई के संबंध में संबंधित विभागों से औपचारिक रूप से बात की है. हालांकि, विभाग ने अयोग्य महिला लाभार्थियों के पिछले मामलों के संबंध में वसूली की कार्यवाही के बारे में कोई जानकारी नहीं दी.
RTI जवाब में यह भी दोहराया गया है कि पुरुषों को जुलाई 2024 से जुलाई 2025 तक फायदा दिया गया था, जिसके बाद भुगतान रोक दिया गया था. इसी तरह, सरकारी कर्मचारियों को तब तक फायदे मिलते रहे जब तक कि बाद में वेरिफिकेशन के दौरान उनकी पहचान नहीं हो गई.
अयोग्य लाभार्थियों और रिकवरी पर कारण-वार, विभाग-वार या जिला-वार संकलित डेटा उपलब्ध नहीं है. उसने कहा कि पात्रता और अयोग्यता के फैसले 28 जून, 3 सितंबर और 12 सितंबर 2024 को जारी सरकारी प्रस्तावों के आधार पर लिए गए थे.
अफसरों ने बताया था 'हिमशैल का सिरा'
25 अगस्त को, महिला एवं बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे ने X पर कहा था कि शुरुआती डेटा से पता चलता है कि लगभग 26 लाख लाभार्थी पात्रता मानदंडों को पूरा नहीं कर सकते हैं, जिसके बाद जिला-स्तरीय फिजिकल वेरिफिकेशन शुरू किया गया था. 26.34 लाख संदिग्ध खातों में भुगतान बाद में वेरिफिकेशन होने तक रोक दिया गया था. अधिकारियों ने तब इन अनियमितताओं को 'हिमशैल का सिरा' बताया था. साथ ही चेतावनी दी थी कि जैसे-जैसे जांच जारी रहेगी, संख्या और बढ़ सकती है.
36 हजार करोड़ का बजट
इस योजना का दुरुपयोग को रोकने के लिए तब से राज्यव्यापी ई-केवाईसी वेरिफिकेशन अभियान शुरू किया गया है. राज्य सरकार ने इस योजना के तहत योग्य महिलाओं के लिए ई-केवाईसी प्रक्रिया को अनिवार्य कर दिया है, जिसकी डेडलाइन 31 दिसंबर तय की गई है.
महिला लाभार्थियों की संख्या 2.4 करोड़
वर्तमान में, लगभग 2.4 करोड़ महिलाओं को लाडली बहना योजना के तहत लाभ मिलता है, जिस पर राज्य के खजाने पर हर महीने लगभग 3,700 करोड़ रुपये का खर्च आता है. राज्य सरकार ने इस योजना के लिए 36,000 करोड़ रुपये का बजट आवंटन किया है.
क्या है लाड़की बहन योजना?
जून 2024 में शुरू की गई यह योजना 21-65 साल की उन महिलाओं को हर महीने 1,500 रुपये देती है, जिनके परिवार की सालाना इनकम 2.5 लाख रुपये से कम है. इसे विधानसभा चुनावों से कुछ महीने पहले शुरू किया गया था. विपक्ष ने इसकी आलोचना की थी, जिसने इसे चुनाव से पहले का लोकलुभावन कदम बताया था.





