धर्मो रक्षति रक्षितः... विवादों में आए मद्रास HC के जज ने सुनाया किस्सा, कैसे हत्या के आरोप के बाद भी शख्स निकला बेकसूर?
Madras High Court: जस्टिस स्वामीनाथन ने कहा कि वेद उन लोगों की रक्षा करते हैं जो उनकी रक्षा करते हैं. उन्होंने अपने दोस्त से जुड़े एक किस्से के बारे में बताया, जिस पर एक हत्या का आरोप थे. उन्होंने अपीलीय अदालत में केस की पैरवी की और उनकी सजा को रद्द कराया गया और उनकी जमानत कराई.

Madras High Court: मद्रास के जज जस्टिस जी. आर. स्वामीनाथन इन दिनों अपने एक बयान को लेकर सुर्खियों में बने हुए हैं. वह पिछले हफ्ते वेदों के प्रति आस्था पर आधारित एक विशेष टिप्पणी के साथ चर्चा में रहे. उन्होंने हत्या में शामिल एक व्यक्ति को बरी करने में मदद की. आरोपी ने खुद गुनाह कबूल किया था उसके बाद भी.
जस्टिस स्वामीनाथन ने कहा कि वेद उन लोगों की रक्षा करते हैं जो उनकी रक्षा करते हैं. उन्होंने 17वें वार्षिक वेदिक विद्वान प्रतिभा प्रदर्शनी में व्यक्त की. इस कार्यक्रम का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ हो गया.
क्या है मामला?
इससे पहले जस्टिस स्वामीनाथन सबके सामने न्यायालय में एक वकील को कायर और कॉमेडी पीस कहने के लिए चर्चा में आए थे. न्यायमूर्ति स्वामीनाथन ने अपने वकालत काल से जुड़ी एक घटना सुनाई. उन्होंने कहा, एक विद्वान मित्र जिन्हें तमिल में शास्त्रिगल कहा जाता है, वो 7 सात वर्षों तक वेदों का अध्ययन कर चुके थे.
वेदों के अनुसार जीवन जीते थे, वे अत्यंत भावुक होकर उनसे मिले. न्यायमूर्ति ने कहा, मैंने उनसे स्वतंत्र रूप से बोलने को कहा, जैसे वकील और मुव्वकिल का विश्वास डॉक्टर और मरीज के रिश्ते जैसा होता है. उनके अनुसार मित्र की बहन एक मंदिर दर्शन के दौरान गाड़ी चला रही थीं और चाय की दुकान के पास एक व्यक्ति को टक्कर मार दी. व्यक्ति की मृत्यु तत्काल हुई.
जस्टिस ने सुनाया किस्सा
उन्होंने बताया कि मेरे दोस्त शास्त्रिगल की बहन को अमेरिका लौटना था, इसलिए दोस्त ने पुलिस के सामने खुद को मृतक का आरोपी बताया दिया और कहा, मैं ही गाड़ी चला रहा था, लापरवाही हो गई थी, लेकिन 18 महीने की सजा मिली, जबकि सामान्यत ऐसी घटनाओं में छह महीने अधिकतम होती है. उन्होंने कहा कि मित्र शर्मीले स्वभाव के थे, इसलिए उन्होंने मुझसे संपर्क नहीं किया.
न्यायमूर्ति ने केस के दस्तावेज स्वयं देखे और पाया कि कोई भी गवाह यह पुष्टि नहीं कर रहा था कि शास्त्रिगल ही वाहन चला रहे थे. न पुलिस फर्म में, न अदालत में. इस बिंदु को आधार बनाकर उन्होंने अपीलीय अदालत में केस की पैरवी की और उनकी सजा को रद्द कराया गया और उनकी जमानत कराई. स्वामीनाथन ने इसे भाग्य या नियति की कृपा भी बताया.
उन्होंने कहा, तभी मुझे एक अहसास हुआ कि उस दिन मुझे यह कहावत समझ में आई-'अगर तुम वेदों की रक्षा करोगे, तो वेद तुम्हारी रक्षा करेंगे.' स्वामीनाथन ने कहा, तब तक मैं ऐसे मामलों को ज्यादा गंभीरता से नहीं लेता था. लेकिन उस पल ने मुझे बदल दिया.