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बंदर से डॉक्टर का अनोखा प्रेम! मद्रास हाईकोर्ट ने दी Baby Monkey से बात करने की परमिशन

मद्रास हाईकोर्ट ने कोयंबटूर के जानवरों के डॉक्टर वी. वल्लियप्पन को एक बेबी मंकी से मिलने की अनुमति दे दी. बंदर पर एक बार आवारा कुत्तों ने हमला कर दिया था, तब शख्स ने इसकी देखभाल की थी. तभी से डॉक्टर को उससे लगाव हो गया है.

बंदर से डॉक्टर का अनोखा प्रेम! मद्रास हाईकोर्ट ने दी Baby Monkey से बात करने की परमिशन
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( Image Source:  canva, )

Madras High Court: इंसान को या जानवर हमें किसी के साथ थोड़ा भी समय बिता लें तो उनके लगाव हो जाता है. पशु प्रेमी की कहानी आए दिन हमें देखने सुनने को मिलती है. मद्रास हाईकोर्ट ने बुधवार को ऐसे ही एक मामले की सुनवाई की.

मद्रास हाईकोर्ट ने कोयंबटूर के जानवरों के डॉक्टर वी. वल्लियप्पन को एक बेबी मंकी से मिलने की अनुमति दे दी. बंदर पर एक बार आवारा कुत्तों ने हमला कर दिया था, तब शख्स ने इसकी देखभाल की थी. तभी से डॉक्टर को उससे लगाव हो गया है.

कोर्ट ने दी मिलने की इजाजत

मद्रास हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सी.वी. कार्तिकेयन ने कहा कि 'मानव-पशु संबंध के मामले को संवेदनशीलता से संभाला जाना चाहिए और उन्होंने वलियप्पन को 9 नवंबर को वंडालूर चिड़ियाघर में बंदर से मिलने और उसके साथ 'बातचीत' करने की अनुमति दी. उनके और जानवर के बीच 'बातचीत' के बारे में एक रिपोर्ट 19 नवंबर को उनके और वन अधिकारियों द्वारा अदालत में प्रस्तुत की जाएगी. इसके बाद अदालत वलियप्पन की उस याचिका पर निर्णय लेगी जिसमें पैसे को तब तक अंतरिम हिरासत में रखने की मांग की गई है जब तक कि वह खुद अपना पेट भरने में सक्षम नहीं हो जाता.

न्यायाधीश ने कहा कि क्या बंदर अभी भी वल्लियप्पन को पहचान पाएगा, क्योंकि उनके अलग हुए दो सप्ताह हो चुके थे. इस पर याचिकाकर्ता के वकील आर. शंकरसुब्बू तर्क दिया था कि वल्लियप्पन ने 4 दिसंबर, 2023 से 26 अक्टूबर, 2024 तक बंदर की देखभाल की थी.

दस महीने तक की देखभाल

जानकारी के अनुसार डॉक्टर वी. वल्लियप्पन ने दिसंबर 2023 में कुत्तों की नसबंदी शिविर के लिए रानीपेट जिले का दौरा किया था. तब एक वन अधिकारी दो महीने के घायल बेबी मंकी को लेकर उनके पास आए जो कुत्तों के हमले में घायल हो गया था. जिसमें रेबीज के लक्षण थे. फिर वल्लियप्पन ने उसका इलाज किया. इसका वजन सिर्फ 200 ग्राम था और पिछले दस महीनों से उसे अपने पास देखभाल में रखा. 10 दिन पहले वन अधिकारियों ने बच्चे बंदर को उससे छीन लिया और उसे चेन्नई के अरिग्नार अन्ना प्राणी उद्यान में ले गए.

बंदर की कस्टडी की मांग

डॉक्टर वी. वल्लियप्पन ने वन विभाग के इस कदम के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. वल्लियप्पन ने मद्रास उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर मांग की है कि जानवर (बंदर) को देखभाल के लिए उसे सौंप दिया जाए. उन्होंने अदालत को आश्वासन दिया कि वे बंदर की सेहत से जुड़ी रिपोर्ट समय पर कोर्ट में पेश करेंगे. साथ ही आवश्यक होने पर वन अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत भी करेंगे.

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