'अपनी मर्जी से करती हैं काम, कमांडर बनने लायक नहीं है इनकी ट्रेनिंग'; कोर कमांडर की फीडबैक में उठे सवाल
लेफ्टिनेंट जनरल ने एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने महिला कर्नलों के काम करने के तरीकों पर सवाल उठाए हैं. इस पत्र में बताया गया है कि कुछ महिला अधिकारी अपने अधिकार का गलत फायदा उठाती हैं. साथ ही, डील करने का तरीका भी सही नहीं है.

आर्मी के एक टॉप ऑफिसर ने कोलोनल-रैंक वुमेन कमांडिंद ऑफिसर्स के जेंडर न्यूट्रैलिटी पर एक पॉलिसी के साथ-साथ प्रोग्रामेटिक परफॉर्मेंस एनालिसिस की मांग की है. उन्होंने कई ऐसे उदाहरणों का हवाला दिया है, जिनमें कमांड के लिए ट्रेनिंग की कमी के कारण वे स्टैंडर्ड पर खरी नहीं उतर पाईं.
लेफ्टिनेंट जनरल राजीव पुरी ने 20 नवंबर को पानागढ़ में चीन-स्पेसिफिक 17 'ब्रह्मास्त्र' माउंटेन स्ट्राइक कोर के कमांडर के रूप में अपना कार्यकाल पूरा किया. राजीव ने पिछले महीने इस्टर्न कमांड के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल आर सी तिवारी को एक पत्र में सीओ की पोस्टिंग और सिलेक्शन में जेंडर न्यूट्रैलिटी सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया, जिसकी कॉपी सेना मुख्यालय में एडजुटेंट जनरल और मिलिट्री सेकेट्ररी को भेजी गई हैं.
सहानुभूति की कमी
11 लाख से अधिक की सेना की पैदल सेना, बख्तरबंद कोर और मशीनीकृत पैदल सेना की मुख्य 'फाइटिंग ऑर्म्स' में अभी भी महिला अधिकारियों को शामिल होने की इजाजत नहीं है. लेफ्टिनेंट जनरल पुरी ने कहा कि उनकी कोर में आठ ऐसी महिला सीओ हैं, अधिकारियों के "परफॉर्मेंस" के आधार पर "इन-हाउस रिव्यू" के बाद एक विश्लेषण किया गया था.
महिला सीओ खराब "इंटरपर्सनल रिलेशनशिप्स" शेयर कर रही हैं. वहीं, अपने अपने खुद के राइट्स और पावर का इस्तेमाल करने के बजाय सबऑर्डिनेट के बारे में सीनियर कमांडरों से शिकायत करने के नेचर है. साथ ही, अपनी यूनिट्स में अधिकारियों और सैनिकों के लिए सहानुभूति की कमी भी है.
माई वे और हाइवे अप्रोच
इसके उन्होंने कहा कि किसी भी पेशेवर असहमति या मामूली बहस को इन सबोर्डिनेशन के रूप में देखा जाता है... सहानुभूति की कमी अति-क्षतिपूर्ति की आवश्यकता के कारण हो सकती है. वहीं, महिला सीओ को सही कंसल्टेशन के बिना फैसले लेने में ज्यादा सेंट्रलाइज करते हुए पाया गया है. डायरेक्टिव स्टाइल कमांड के बजाय माय वे और हाइवे जैसी अप्रोच होती है.
अधिकार का गलत फायदा
लेफ्टिनेंट जनरल पुरी ने कहा कि कुछ में अधिकार का गलत फायदा उठाने की भावना भी होती है. उन्होंने एक महिला सीओ के मामले का हवाला देते हुए कहा जिसने यूनिट के सूबेदार मेजर (एसएम) से अनुरोध किया कि जब भी वह आए तो वह अपने गाड़ी का दरवाजा खोले. यह इस विषय पर आदेशों के विपरीत था. इसके आगे उन्होंने बताया कि कभी-कभी जब एसएम ऐसा करने में देरी करता है, तो सीओ अपनी गाड़ी में बैठी रहती और उतरती नहीं.
वहीं, कुछ महिला सीओ ज्यादा महत्वाकांक्षी हैं, जिसके कारण अधिकारियों और सैनिकों पर "अनरिजनेबल परफॉर्मेंस की मांग" की घटनाएं बार-बार होती हैं. इसके कारण यूनिट में टेंशन ज्यादा होती है. लेफ्टिनेंट जनरल पुरी ने कहा कि जूनियर को मोटिवेट करने के बजाय श्रेय लेने के लिए उनके बारे में गलत बयान दिए जाते हैं.
पिछले साल से महिला अधिकारियों ने एयर डिफेंस, सिग्नल, ऑरडेंस, इंजीनियर, इंटेलिजेंस, सर्विस कॉर्प्स और इसी तरह की यूनिट की कमान संभालना शुरू कर दिया है.