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कानून सबके लिए बराबर, 'पुजारी की दक्षिणा से कटेगा टैक्स', ननों और पादरियों पर क्या बोला SC

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने मद्रास हाईकोर्ट के 2019 के उस आदेश को बरकरार रखा जिसमें कहा गया था कि चर्च द्वारा संचालित सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षक के रूप में काम करने वाली ननों और पादरियों के वेतन पर टीडीएस लागू होगा.

कानून सबके लिए बराबर, पुजारी की दक्षिणा से कटेगा टैक्स, ननों और पादरियों पर क्या बोला SC
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सागर द्विवेदी
Edited By: सागर द्विवेदी

Updated on: 9 Nov 2024 2:57 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को मद्रास हाई कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा जिसमें कहा गया था कि चर्च द्वारा संचालित सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षक के रूप में काम करने वाली ननों और पादरियों को दिए जाने वाले वेतन पर स्रोत पर कर कटौती (TDS) लागू होगी. सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले के खिलाफ 93 अपीलों को खारिज कर दिया.

यह मामला उन ननों और पादरियों से जुड़ा है जो सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षक के रूप में सेवाएं देते हैं. मद्रास हाई कोर्ट ने अपने निर्णय में यह स्पष्ट किया था कि चूंकि वेतन एक कर योग्य आय है, इसलिए टीडीएस की कटौती की जाएगी. इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसमें मद्रास हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी.

समानता का सिद्धांत और टैक्स का कानून

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की तीन सदस्यीय पीठ ने मामले की सुनवाई की और हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए याचिकाएं खारिज कर दीं. इस निर्णय से यह स्पष्ट हो गया है कि सहायता प्राप्त संस्थानों में काम करने वाले ननों और मिशनरियों को भी अन्य कर्मचारियों की तरह अपने वेतन पर टीडीएस देना होगा. पीठ ने उदाहरण देकर बताया कि अगर एक हिंदू पुजारी वेतन का दावा करता है और उसे किसी संगठन को दे देता है, तो भी वेतन पर टीडीएस काटा जाना आवश्यक है.

अपीलकर्ताओं ने मद्रास हाईकोर्ट और केरल हाईकोर्ट के पिछले निर्णयों का भी उल्लेख किया, जहां कहा गया था कि यदि किसी पादरी की मृत्यु होती है, तो मुआवजा उनके प्राकृतिक परिवार को नहीं, बल्कि धर्मप्रांत को दिया जाता है क्योंकि संन्यास लेने के बाद वह व्यक्ति अपने परिवार से संबंध समाप्त कर देता है. सीजेआई ने इस पर सहमति जताई और स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में परिवार का मुआवजे पर कोई दावा नहीं होता.

मद्रास हाईकोर्ट के एकल न्यायाधीश ने पहले पादरियों और ननों के पक्ष में फैसला दिया था कि उनके वेतन पर आयकर नहीं लगाया जा सकता, लेकिन हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 2019 में इस आदेश को पलट दिया. इस फैसले को ही सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने अब खारिज कर दिया.

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