क्या है कोदो बाजरा? जिसे खाने से मध्य प्रदेश में 10 हाथियों की मौत, आखिर किसान क्यों करते हैं इसकी खेती
kodo millet: कोदो बाजरा भारत में कई आदिवासी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए मुख्य भोजन है. रिसर्च के मुताबिक, यह सबसे कठोर फसलों में से एक है, जो उच्च उपज क्षमता और भंडारण गुणों के साथ सूखा सहन करती है.
kodo millet: मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में पिछले तीन दिनों में 13 हाथियों के झुंड में से 10 जंगली हाथियों की मौत हो गई. प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) विजय एन अंबाडे ने एक बयान में कहा कि ये मौतें कोदो बाजरा से जुड़े माइकोटॉक्सिन के कारण हुई हो सकती हैं. इसके बाद से ये कोदो बाजरा चर्चा में आ गया है.
मंगलवार को बाघ अभयारण्य में पेट्रोलिंग करने वाले कर्मचारियों ने खितौली और पटौर कोर रेंज के सलखनिया बीट में चार हाथियों को मृत पाया. छह अन्य हाथी भी गंभीर अवस्था में पाए गए. गुरुवार तक मरने वालों की संख्या बढ़कर 10 हो गई, जिनमें से एक नर और बाकी सभी मादा थीं. पर्यावरण मंत्रालय के एक नोट में कहा गया कि 10 मृत हाथियों में से छह किशोर/उप-वयस्क और चार वयस्क थे.
क्या है कोदो बाजरा ?
कोदो बाजरा ( पसपालम स्क्रोबिकुलैटम ) को भारत में कोदरा और वरगु के नाम से भी जाना जाता है. यह फसल भारत, पाकिस्तान, फिलीपींस, इंडोनेशिया, वियतनाम, थाईलैंड और पश्चिमी अफ्रीका में उगाई जाती है. 2020 के एक रिसर्च के मुताबिक, माना जाता है कि बाजरा की उत्पत्ति भारत में हुई है और मध्य प्रदेश इस फसल का सबसे बड़ा उत्पादकों में से एक है.
उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्र कोदो बाजरा की खेती के लिए सबसे उपयुक्त हैं. इसे खराब मिट्टी पर उगाया जाता है और शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में व्यापक रूप से वितरित किया जाता है.मध्य प्रदेश के अलावा, बाजरा की खेती गुजरात, कर्नाटक , छत्तीसगढ़ और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में की जाती है . कोदो बाजरा से बनने वाले कुछ फेमस डिश में इडली, डोसा, पापड़, चकली, दलिया और रोटियां शामिल हैं.
जहरीला क्यों हो जाता है कोदो बाजरा?
दरअसल, एरगॉट एक परजीवी फंगल एंडोफाइट है जो घास के विभिन्न ब्लेडों की बालियों में उगता है. ये सबसे अधिक कोदो बाजरे पर पाया जाता है. कोदो बाजरा में कुछ विशेष तत्व होते हैं जो इसे जहरीला बना सकते हैं. इसे कोदो या कोदो चावल भी कहा जाता है. इसमें फिटोटॉक्सिन होते हैं, जैसे कि साइनाइड के अणु, जो खासकर कच्चे या सही तरीके से पकाए बिना खाने पर हानिकारक हो सकते हैं. ये तत्व शरीर में विषाक्तता पैदा कर सकते हैं.
कोदो को सुरक्षित रूप से खाने के लिए, इसे अच्छी तरह से पकाना जरूरी है. पकाने से ये विषैले तत्व नष्ट हो जाते हैं. इसलिए इसे हमेशा अच्छी तरह से पकाने की सलाह दी जाती है, ताकि खाने में कोई हानिकारक प्रभाव न हो.
किसान कोदो बाजरा क्यों उगाते हैं?
कोदो बाजरा भारत में कई आदिवासी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए मुख्य भोजन है. रिसर्चर्स के मुताबिक, यह सबसे कठोर फसलों में से एक है. इसमें उच्च उपज क्षमता और स्टोर करने का गुण है और ये सूखा सहन करती है. कोदो बाजरा विटामिन और खनिजों से भरपूर है. यह ग्लूटेन-मुक्त है. पचाने में आसान है. एंटीऑक्सीडेंट का एक बड़ा स्रोत है और इसमें कैंसर-रोधी गुण हो सकते हैं. बाजरा के बीज के आवरण में आहार फाइबर मानव स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है जो कई चयापचय और पाचन प्रक्रियाओं को प्रभावित करता है.





