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माओवाद को खत्म कर मनोज कुमार वर्मा ने जमाई थी अपनी धाक, जानें कोलकाता के नए कमिश्नर के बारे में

आरजी कर मेडिकल कॉलेज में 31 वर्षीय प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ भयावह रेप के बाद विनीत गोयल की जगह मनोज कुमार वर्मा को कोलकाता का नया पुलिस कमिश्नर बना दिया गया है. मनोज वर्मा ने अपने काम के जरिए खूब नाम कमाया है.

माओवाद को खत्म कर मनोज कुमार वर्मा ने जमाई थी अपनी धाक, जानें कोलकाता के नए कमिश्नर के बारे में
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Credit- ANI
हेमा पंत
by: हेमा पंत

Updated on: 17 Sept 2024 6:01 PM IST

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की अगुवाई वाली पश्चिम बंगाल सरकार ने मंगलवार को आईपीएस अधिकारी मनोज कुमार वर्मा को कोलकाता का नया पुलिस कमिश्नर अपॉइंट किया गया है. वह विनीत गोयल का पद संभालेंगे, जिन्हें पिछले महीने शहर के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में 31 वर्षीय प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या की प्रारंभिक जांच में कथित रूप से गड़बड़ी करने के लिए आलोचकों द्वारा घेरा गया है. ऐसे में चलिए जानते हैं कौन हैं मनोज कुमार वर्मा?

कौन हैं मनोज कुमार वर्मा?

मनोज कुमार वर्मा 1998 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी हैं, जो कल तक पश्चिम बंगाल पुलिस के एडीशनल डायरेक्टर जनरल (एडीजीपी) और इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (ल़ॉ एंड ऑर्डर) का पद संभाल रहे थे.

आईपीएस मनोज वर्मा का करियर

मनोज वर्मा का जन्म 30 सितंबर 1968 को राजस्थान के सवाई माधोपुर में एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था. वर्मा ने अपनी स्कूली शिक्षा अपने गांव में की. इसके बाद साल 1998 में यूपीएससी परीक्षा पास की और अपनी रैंक के मुताबिक आईपीएस कैडर हासिल किया.

इन अवॉर्ड से नवाजा से नवाजा जा चुका है

आईपीएस अधिकारी मनोज वर्मा 2017 में ट्रैफिक हेडक्वार्ट्स के आईजीपी के काम कर रहे थे. इस साल उन्हें स्वतंत्रता दिवस पर सराहनीय सेवा के लिए पुलिस पदक (पीएमएमएस) से सम्मानित किया गया था. इसके बाद 2019 में वर्मा को बैरकपुर के पुलिस आयुक्त के रूप में उनके काम के लिए मुख्यमंत्री के पुलिस पदक से भी नवाजा जा चुका है.

अपने बेहतरीन काम के चलते साल 2024 की शुरुआत में मनोज वर्मा ने जावेद शमीम की जगह एडीजीपी और आईजीपी (कानून और व्यवस्था) के पद पर काम किया था. इससे पहले मनोज वर्मा एडीजी और आईजी (खुफिया ब्यूरो) के पद पर काम कर चुके हैं.

मिदनापुर जिले में किया माओवाद को खत्म

मनोज वर्मा हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय पुलिस अकादमी के पूर्व छात्र हैं और उनकी पहली नियुक्ति पश्चिम बंगाल के पश्चिमी मिदनापुर जिले में पुलिस अधीक्षक (एसपी) के रूप में हुई थी. यह जिला माओवादी था. इस जिले में माओवादी गतिविधियों पर अंकुश लगाने में उनकी भूमिका के लिए उन्हें सराहना मिली थी.

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