क्या होता है Digital Rape? नोएडा में 3 साल की बच्ची के साथ वारदात के बाद फिर चर्चा में
आए-दिन रेप से जुड़े अलग-अलग मामले सुनने को मिलते हैं. आजकल डिजिटल रेप शब्द चर्चा में बना हुआ है. हाल ही में नोएडा के एक स्कूल में 3 साल की बच्ची के साथ डिजिटल रेप किया गया. बता दें कि पहली बार यह शब्द निर्भया गैंग रेप के बाद सामने आया था.

नोएडा से एक मामला सामने आया है, जिसमें स्कूल में पढ़ने वाली तीन साल की बच्ची के साथ डिजिटल रेप हुआ है. इस मामले में पुलिस ने 3 लोगों को गिरफ्तार किया है. इसके बाद से डिजिटल रेप शब्द चर्चा में आ गया है. हालांकि, इस शब्द को सुन दिमाग में जो ख्याल आते हैं. यह उससे बिल्कुल अलग है.
बता दें कि यह शब्द डिजिटल की दुनिया से जुड़ा हुआ नहीं है. इसका कंप्यूटर, फोन या दूसरे किसी डिजिटल प्लेटफॉर्म से कोई लेना देना नहीं है. इसमें इटरनेंट द्वारा शोषण नहीं किया जाता है. चलिए जानते हैं क्या है डिजिटल रेप और इस मामले में कितने साल की सजा का प्रावधान है?
क्या है डिजिटल रेप?
डिजिटल रेप इंटरनेट के जरिए किए गए हैरेसमेंट से जुड़ा मामला नहीं है. इंग्लिश डिक्शनरी में डिजिट का मतलब नंबर से नहीं बल्कि उंगली, अंगूठा, पैर की उंगली से है. ऐसे में जब प्राइवेट पार्ट के बजाय उंगली, अंगूठा, पैर की उंगली से पेनेट्रेशन किया जाता है, तो इसे डिजिटल रेप कहा जाता है.
रेप से कैसे है अलग?
डिजिटल रेप बलात्कार से अलग है. रेप में रिप्रोडक्टिव आर्गन का इस्तेमाल किया जाता है, जबकि इसमें शरीर के अन्य अंगों का उपयोग होता है. दिसंबर 2012 तक डिजिटल रेप' को बलात्कार नहीं बल्कि छेड़छाड़ के दायरे में शामिल किया जाता था. इसके बाद साल 2012 में हुए निर्भया गैंग रेप मामले में नया कानून बनाया गया, जिसमें डिजिटल रेप को बलात्कार की श्रेणी में रखा गया.
इस गैंग रेप के बाद यौन हिंसा से जुडे़ कानून की समीक्षा की गई. इसके बाद साल २०१३ मे डिजिटल रेप को Pocso एक्ट के अंतर्गत जोड़ा गया. इसमें बलात्कार की परिभाषा का भी विस्तार किया गया था. इसमें कहा गया कि बिना महिला की मंजूरी के विरद्ध उनके शरीर में अपने बॉडी का कोई भी अंग डालना रेप माना जाएगा. यही नहीं, ओरल सेक्स भी रेप कैटेगरी का हिस्सा है.
डिजिटल रेप की सजा क्या है?
इस मामले में POCSO एक्ट भी लगाया जा सकता है. अगर एग्रावेटेड पेनेट्रेटिव किया जाता है, तो इस मामले में 20 साल की सजा की सजा हो सकती है. इसके अलावा, अगर डिजिटल रेप के साथ अन्य एक्ट लगे हैं, तो आजीवन कारावास की सजा भी मिल सकती है.
कैसे करें शिकायत?
ज्यादातर मामलों में डिजिटल रेप का शिकार छोटे बच्चे होते हैं. ऐसे में आपको अपने बच्चे के बिहेवियर पर ध्यान देना चाहिए. खासतौर पर अगर बच्चा आपसे बैड टच के बारे में बताता है, तो इसे नजरअंदाज न करें. इस मामले की शिकायत थाने में करें. इसके लिए यूपी में 1090 टोलफ्री नंबर जारी किया गया है. वहीं, दिल्ली में 1090 टोलफ्री हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज करवाएं.